Vidur Niti: महात्मा विदुर कौरव वंश की गाथा में अपना विशेष स्थान रखते हैं। इन्हें धर्मराज का अवतार माना जाता है। यही वजह थी कि कौरवों के साथ रहकर भी वे ईर्ष्या, द्वेष और छल कपट से हमेशा दूर रहे। उन्होंने अपनी नीतियों के जरिए हमेशा धर्म का पालन करते हुए सही सुझाव दिये। चाणक्य की तरह ही इनकी नीतियां भी मानव समाज के कल्याण के लिए कारगर साबित होती हैं। एस श्लोक में विदुर ने बताया है कि कैसे लोगों को धन सौंपने से सर्वनाश हो सकता है।
येऽर्थाः स्त्रीषु समायुक्ताः प्रमत्तपतितेषु च।
ये चानार्ये समासक्ताः सर्वे ते संशयं गताः ॥
विदुर नीति अनुसार आलसी इंसान के हाथ कभी धन नहीं सौंपना चाहिए क्योंकि इससे सर्वनाश हो सकता है। क्योंकि आलस व्यक्ति को कोई भी काम सही से नहीं करने देता। ऐसे लोग हमेशा काम को पूरा करने में टाल मटोल करते रहते हैं या फिर दूसरों लोगों को काम सौंप देते हैं। इसलिए ऐसे व्यक्ति को कोई काम देने से लागत से अधिक खर्च हो सकता है।
अधम यानी बदमाश व्यक्ति को भी धन नहीं देना चाहिए। विदुर नीति के अनुसार ऐसे किसी भी व्यक्ति को धन नहीं सौंपना चाहिए जिसकी नीयत में संदेह हो। क्योंकि ऐसा इंसान धन का गलत इस्तेमाल करके आपको मुश्किल में डाल सकता है।
दुष्ट इंसान को भी धन नहीं सौंपना चाहिए क्योंकि ऐसे व्यक्ति से धन जब आप वापस मांगेंगे तो आपको वो वापस नहीं मिलेगा। इसलिए विदुर नीति में ऐसे व्यक्तियों को भी धन देना धन का नाश माना गया है।
विदुर नीति अनुसार स्त्रियों को भी धन देने से बचना चाहिए। क्योंकि इनका मन चंचल होता है। ऐसे में कई बार वे उत्साह में ये नहीं समझ पातीं कि धन कहां खर्च करना है और कहां नहीं? ऐसे में फिजूल खर्च होने की संभावनाएं बनी रहती है। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि आप अपने घर में स्त्रियों को धन देने से वंचित रखें बल्कि उन्हें पैसे देते समय ये समझाने की कोशिश करें कि धन का प्रयोग वह सही तरीके से करें।