Vidur Niti: महात्मा विदुर की ज्ञान कौशलता और बुद्धिमत्ता का लोहा आज भी लोग मानते हैं। वर्तमान समय में भी बातों की प्रमाणिकता कम नहीं हुई है। महाभारत के सबसे महत्वपूर्ण पात्रों में से एक महात्मा विदुर अपनी दूरदर्शिता के लिए काफी मशहूर थे। महात्मा विदुर ने अपने नीति शास्त्र में ऐसे सिद्धातों का जिक्र किया है जिससे लोगों को धन संबंधी दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा। आइए जानते हैं विस्तार से –
महात्मा विदुर कहते हैं कि जिस धन को प्राप्त करने में मन तथा शरीर को क्लेश हो, धर्म का उल्लंघन करना पड़े, शत्रु के सामने अपना सिर झुकाने की बाध्यता हो, ऐसे धन को प्राप्त करने की सोच को त्याग देना चाहिए।
वहीं, एक श्लोक के जरिये विदुर कहते हैं कि अगर मनुष्य के पास धन प्राप्ति का साधन है, तो उसके लिए यह सबसे बड़ा सुख है। क्योंकि, जिनके पास आय के साधन नहीं होते, उनका धन जल्दी ही समाप्त हो जाता है।
महात्मा विदुर के अनुसार ऐसे लोगों को कभी धन नहीं देना चाहिए, जो पैसों को गलत कामों में लगाता हो। क्योंकि ऐसे व्यक्ति को धन देने से वह सारा पैसा गलत कामों में लगा देता है जिससे उनका धन बर्बाद हो सकता है।
विदुर के मुताबिक जो बहुत धन, विद्या तथा ऐश्वर्य को पाकर भी इठलाता नहीं, वह पंडित कहलाता है। अगर कोई इंसान आपके भरोसे के लायक नहीं है तो आप उसे पैसे कतई न दें। आप वैसे इंसान को पैसे देकर फंस जाते हैं और आपको धन की क्षति होती है। उनके अनुसार जो लोग विश्वासपात्र नहीं हैं उन पर तो भरोसा नहीं ही करना चाहिए। साथ ही, जिन पर भरोसा हो भी उन लोगों पर भी आंख मूंदकर भरोसा करने से बचें।
अधर्मी होते हैं ऐसे लोग: महात्मा विदुर कहते हैं कि जो लोग अच्छे कर्म और अच्छे लोगों में भरोसा नहीं रखते हैं, जो गुरुजनों का आदर नहीं करते हैं या फिर मित्रों का परित्याग करते हैं; उन पुरुषों को अधर्मों की श्रेणी में रखा जाता है।
ये लोग सदैव दुखी रहते हैं: नीतिज्ञ विदुर बताते हैं कि जो लोग दूसरों से ईर्ष्या और घृणा करते हैं, हमेशा असंतुष्ट रहते हैं, क्रोध में रहते हैं, हमेशा शक करते हैं या फिर दूसरों पर सदा आश्रित रहते हैं, वो हमेशा ही दुखी रहते हैं।
