Vidur Niti: महाभारत के समय से ही महात्मा विदुर को सबसे समझदार व्यक्ति माना जाता है। कहते हैं कि विदुर की समझदारी और श्री कृष्ण के संग की वजह से ही पांडवों ने महाभारत का युद्ध जीत लिया था। विदुर जी की खासियत यह मानी जाती है कि विदुरता यानी समझदारी होने के बावजूद भी उन्होंने कभी अपनी समझ पर घमंड नहीं किया। विदुर नीति महाभारत काल के विदुर के विचारों के बारे में बात करती है। इस नीति के कुछ खंडों में विदुर और धृतराष्ट्र संवाद शामिल किया जाता है। इतनी समझदारी के बावजूद भी वह राजा नहीं बन सके क्योंकि विदुर एक दासी के पुत्र थे। उन्होंने अपनी नीति पुस्तक में सुख-समृद्धि के उपाय भी बताए हैं –
महात्मा विदुर के अनुसार अगर पैसा कमाने के लिए अगर लोगों को अधर्म की राह पर चलना पड़े, या कोई गलत काम करना पड़े तो उसका त्याग करना ही बेहतर है।
विदुर के मुताबिक किसी भी व्यक्ति पर जरूरत से ज्यादा भरोसा नहीं करना चाहिए। उनके मुताबिक लालची, स्वार्थी और आलसी व्यक्तियों पर तो कभी विश्वास नहीं करना चाहिए। जो व्यक्ति विश्वास के काबिल हो उन पर भी आंख बंद कर विश्वास न करें।
कहा जाता है कि पूजा-पाठ करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। मान्यता है कि जिन घरों में नियम से पूजा-पाठ किया जाता है, ऐसे घरों में देवी लक्ष्मी वास करती हैं। कहा जाता है कि देवी लक्ष्मी हमेशा ऐसे घरों पर अपनी कृपा बरसाए रखती हैं जिससे घर में सुख-समृद्धि और संपन्नता आती है।
उनके अनुसार जिन लोगों में जलन, असंतोष. क्रोधित, शंकालु, दूसरों पर आश्रित रहने वाले, दूसरों से नफरत करने वाले लोग सदैव दुखी रहते हैं। इसलिए ऐसे लोगों से दूरी बनाकर रखने से ही मनुष्य सुखी रहेंगे।
महात्मा विदुर लोगों को अपनी कुछ आदतों को त्यागने की सलाह देते हैं जिससे उनके पास लक्ष्मी की कृपा रहे। अपनी श्रेष्ठता पर जिस व्यक्ति को अहंकार होता है, जरूरत से ज्यादा दान करने वाले लोग और अधिक बुद्धिमान व्यक्ति पर मां लक्ष्मी की कृपा नहीं बरसती है।
वो मानते हैं कि काम, क्रोध और लालच इनसे दूरी बनाने से ही लोग प्रसन्न रहते हैं। जो लोग इनमें संलिप्त होते हैं, वो खुद के लिए नरक का रास्ता चुनते हैं।

