Vat Savitri Vrat 2025: सावित्री-सत्यवान की अमर कथा पर आधारित वट सावित्री व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत खास माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या को रखा जाता है और इस साल यह व्रत 26 मई 2024, सोमवार को रखा जाएगा। खास बात यह है कि इसी दिन शनि जयंती भी है। सुहागिन महिलाएं इस दिन अपने पति की लंबी उम्र और वैवाहिक जीवन की खुशहाली के लिए पूरे विधि-विधान से व्रत रखती हैं और वट वृक्ष की पूजा करती हैं। इसके साथ ही वट यानी बरगद के पेड़ पर कच्चा सूत लपेटती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पूजा के समय बरगद के पेड़ पर कितनी बार कच्चा सूत लपेटना चाहिए? ऐसे में आइए जानते हैं इस व्रत से जुड़ी खास बातें और कच्चा सूत लपेटने का महत्व।

वट सावित्री व्रत का महत्व

यह व्रत सावित्री और सत्यवान की पौराणिक कथा से जुड़ा है। पौराणिक कथा के अनुसार, सावित्री ने अपने पति सत्यवान को यमराज से वापस पा लिया था और वह घटना वट वृक्ष के नीचे हुई थी। तभी से यह परंपरा चल पड़ी कि महिलाएं इस दिन व्रत रखें और वट वृक्ष की पूजा कर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से अखंड सौभाग्य, सुख-शांति और दांपत्य जीवन में मजबूती आती है।

कैसे करें वट वृक्ष की पूजा?

व्रत वाले दिन सुहागिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ लाल या पीले रंग के वस्त्र पहनें और सोलह श्रृंगार कर लें। फिर पूजा की थाली में हल्दी, कुमकुम, अक्षत, सिंदूर, जल, फल, मिठाई और कच्चा सूत शामिल करें। इसके बाद बरगद के पेड़ की विधिपूर्वक पूजा करें। फिर पूजा के बाद महिलाएं कच्चा सूत लेकर वट वृक्ष के चारों ओर परिक्रमा करें और पेड़ पर सूत लपेटें। पूजा के बाद सावित्री-सत्यवान की कथा सुनें या पढ़ें और फिर पति की लंबी उम्र के लिए कामना करें।

कितनी बार लपेटना चाहिए कच्चा सूत?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, वट वृक्ष की जड़ में भगवान ब्रह्मा, तने में भगवान विष्णु और शाखाओं में भगवान शिव का वास होता है। इसी वजह से इसे त्रिदेवों का स्वरूप माना जाता है। साथ ही पेड़ की झूलती शाखाएं देवी सावित्री का प्रतीक मानी जाती हैं। इसलिए वट वृक्ष पर कच्चा सूत लपेटना देवी-देवताओं की कृपा पाने का तरीका है। धार्मिक मान्यता के अनुसार महिलाएं पेड़ पर 7, 21 या 108 बार कच्चा सूत लपेट सकती हैं। अधिकतर महिलाएं 7 बार सूत लपेटती हैं क्योंकि यह परंपरा बहुत पुराने समय से चली आ रही है। यह पति-पत्नी के सात जन्मों के अटूट बंधन का प्रतीक माना जाता है।

मान्यता है कि श्रद्धा भाव से अगर कोई महिला कच्चा सूत लपेटती है, तो उसके पति की आयु लंबी होती है और दांपत्य जीवन में आने वाले संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है। यह व्रत महिला की निष्ठा, प्रेम, त्याग और समर्पण का प्रतीक भी है।

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