Vat Savitri Vrat, Somvati Amavasya 2025: वैदिक पंचांग के अनुसार आज ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि दोपहर 12 बजकर 11 मिनट तक है। वहीं इसके बाद अमावस्या तिथि आरंभ हो जाएगी। इसके साथ ही आज वट सावित्री व्रत, मासिक कार्तिगाई, दर्श अमावस्या, अन्वाधान, आडल योग, विडाल योग है। पंचांग के अनुसार, वट सावित्री का व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को रखा जाता है। यह व्रत सुहागिन महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र और वैवाहिक जीवन की सुख-शांति के लिए किया जाता है। इसके साथ ही आज सोमवती अमावस्या भी है। ऐसे में इस दिन का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है। ऐसे आइए जानते हैं पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि, व्रत कथा, मंत्र सहित आज की धर्म से जुड़ी हर एक अपडेट के बारे में…
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर के पितरों के लिए तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और जीवन में शुभ फल देते हैं। वहीं, सोमवार का दिन स्वयं भगवान शिव को समर्पित होता है। जब दोनों तिथियां एक साथ आएं, तब यह एक दुर्लभ और बेहद शुभ योग बनता है, जिसमें किए गए उपाय शीघ्र फल देते हैं।
वट सावित्री व्रत की पूजा करने के लिए महिलाएं प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ लाल या पीले वस्त्र धारण कर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद वट वृक्ष के पास जाकर पूजा करें। यदि बाहर जाना संभव न हो, तो घर में गमले में बरगद का पौधा रखकर भी पूजा कर सकती है। पूजा के लिए आवश्यक सामग्री में लाल चुनरी, मौली, रोली, चावल, हल्दी, फूल, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर), फल, मिठाई, बांस की टोकरी में सात अनाज, जल से भरा लोटा, दीपक, अगरबत्ती, कपूर, वट वृक्ष व्रत कथा पुस्तक आदि रखें।
वैदिक पंचांग के अनुसार, जेष्ठ माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत 26 मई को दोपहर 12 बजकर 11 मिनट पर होगी और यह 27 मई को सुबह 8 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगी। चूंकि उदया तिथि के अनुसार व्रत और पूजा अमावस्या के दिन ही की जाती है, इसलिए आज यानी 26 मई को ही जेष्ठ सोमवती अमावस्या मानी जाएगी।
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल वट सावित्री व्रत पर कल भरणी नक्षत्र, शोभन योग और अतिगण्ड योग का शुभ संयोग बन रहा है।
इस साल वट सावित्री व्रत आज यानी 26 मई को रखा जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि 26 मई को सुबह 12:11 बजे से शुरू होकर 27 मई को सुबह 8:31 बजे तक रहेगी। वहीं, पूजा के लिए सबसे शुभ समय 26 मई को सुबह 11:51 बजे से दोपहर 3:00 बजे तक का अभिजीत मुहूर्त है। इसी समय में वट वृक्ष की पूजा करना अत्यंत फलदायक माना गया है।