Vat Savitri Purnima 2024 Date: हिंदू धर्म में ज्येष्ठ माह का विशेष महत्व है, क्योंकि इस माह कई बड़े व्रत त्योहार पड़ती है। इन्हीं व्रत त्योहारों में से एक है वट सावित्री व्रत। बता दें कि इस माह की अमावस्या के अलावा पूर्णिमा तिथि को भी वट सावित्री व्रत रखा जाता है। बता दें कि उत्तर भारत के लोग ज्येष्ठ अमावस्या को और पश्चिमी भारत के लिए वट सावित्री का व्रत ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन मनाते हैं। आइए जानते हैं वट सावित्री पूर्णिमा की सही तारीख, शुभ मुहूर्त और महत्व…
वट पूर्णिमा व्रत के दिन विवाहित महिलाएं ‘सावित्री-सत्यवान’ और वट (बरगद) वृक्ष की पूजा करती हैं। बरगद के पेड़ का हिंदू धर्म में अनोखा महत्व है। मान्यता है कि बरगद के वृक्ष पर त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है। मान्यता है कि वट वृक्ष की जड़ों में ब्रह्मा , तना में विष्णु और ऊपरी भाग में शिव जी का वास माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस पवित्र वृक्ष के नीचे पूजा अनुष्ठान करने से भक्त अपनी सभी इच्छाएं पूरी कर सकते हैं। जिस तरह से सावित्री ने अपने पति सत्यवान को यमराज से वापस पाया था, उसी तरह जो महिलाएं इस शुभ व्रत का पालन करती हैं उन्हें सौभाग्य और आनंदमय वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलेगा।
कब है वट सावित्री पूर्णिमा 2024? (Vat Savitri Purnima 2024 Date)
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ पूर्णिमा 21 जून को सुबह 7 बजकर 32 मिनट से आरंभ हो रही है,जो 22 जून को सुबह 6 बजकर 38 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में वट सावित्री पूर्णिमा का व्रत 21 जून 2024, शुक्रवार को रखा जाएगा।
वट सावित्री पूर्णिमा पूजा का शुभ मुहूर्त (Vat Savitri Purnima 2024 Puja Muhurat)
लाभ चौघड़िया का मुहूर्त- सुबह 7 बजकर 8 मिनट से 8 बजकर 53 मिनट तक
अमृत चौघड़िया का मुहूर्त- 8 बजकर 53 मिनट से 10 बजकर 38 मिनट तक।
शुभ चौघड़िया का मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से 2 बजकर 7 मिनट तक।
वट सावित्री पूर्णिमा का महत्व 2024 (Vat Savitri Purnima 2024 Mahatav)
वट पूर्णिमा की महिमा का वर्णन कई हिंदू ग्रंथों जैसे स्कंद पुराण, निर्णयामृत और भविष्योत्तर पुराण में किया गया है। ज्येष्ठ अमावस्या की वट सावित्री की तरह ही वट सावित्री पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस दिन सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके पति की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और संतान प्राप्ति के लिए बरगद के पेड़ की विधिवत पूजा करने के साथ कच्चा सूत बांधती है। इसके साथ ही मां पार्वती और सावित्री की मूर्ति बनाकर विधिवत पूजा करती है। मान्यता है कि इस दिन पूजा करने दांपत्य जीवन में आने वाली हर समस्या समाप्त हो जाती है और सुख-समृद्धि, खुशहाल वैवाहिक जीवन का वरदान मिलता है। वट पूर्णिमा व्रत न केवल विवाहित जोड़ों के बीच के बंधन को मजबूत करता है, बल्कि यह नारीत्व की भावना का भी सम्मान करता है। इस व्रत के प्रति आस्था ही इसे इतना पवित्र और शुभ बनाती है।
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