शरीर को स्वस्थ रखने के लिए मन का संतुलित होना बेहद जरूरी है। अगर व्यक्ति का मन असंतुलित होता है तो शरीर बहुत प्रभावित होता है और कई तरह की समस्या पैदा हो जाती हैं। मन के संतुलित ना रहने से ही माइग्रेन की बीमारी की शुरुआत होती है। इन सभी समस्याओं में से एक समस्या आंखों की भी हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्रमा को मन का ग्रह माना जाता है। बच्चों के जीवन में क्या चल रहा है ये जानने की इच्छा रखते हैं तो बच्चों की आखें उनके मन का आइना होती हैं। बच्चों की पलकी देखनी चाहिए, इससे पता चलता है कि बच्चें की मानसिक स्थिति ठीक नहीं होती है। यदि आंखों की पलके झुकी हुई हैं तो वो तनाव की निशानी होती है। इस तनाव का कारण कुछ भी हो सकता है।

आंखो की किसी भी तरह की समस्या का कारण बच्चे के मन का तनाव हो सकता है जो उसकी सेहत बिगाड़ सकता है। ज्योतिष शास्त्र में ऐसा माना जाता है कि सूर्य और चंद्रमा के कमजोर होने की स्थिति में आंखों से जुड़ी समस्याएं आने लगती हैं। बच्चों की आंखों में यदि लालिमा आधिक है और इसके साथ वो अधिक चिड़चिड़ाने और चिल्लाने की स्थिति मे है तो बच्चे के गंभीर रोग से ग्रस्त होने के संकेत हैं। इसके लिए बच्चे के नमक और चीनी धीरे-धीरे कम कर दें। इसके साथ उसे चांदी के गिलास में पानी पिलाएं। बच्चों की उंगलियां हथेलियों की अपेक्षा छोटी होने और आंखें लाल होने की स्थिति में बच्चा गुस्से में गलत निर्णय ले सकता है।

बच्चों के हाथ का अंगूठा तर्जनी उंगली तक ना आने की स्थिति में उन्हें लड़ाई-झगड़े और गुस्से में गलत निर्णय लेने की आदत हो सकती है। इस तरह की स्थिति से बच्चे को बचाने के लिए हर दिन बच्चों के हाथों से किसी को दूध दान करवाएं। आंखों में यदि सूनापन और मोटापन आ गया है तो ये तनाव का कारण हो सकता है। आंखों की परेशानी आने या पलकें झुके होने के कारण मन को शांति देने की कोशिश करें। इसके साथ हाखों पर धीरे-धीरे हाथ फेर सकते हैं। बच्चों की आंखो से उनके हृदय में उतरा जाता है।