बेडरुम घर का अभिन्न अंग माना जाता है, इसी में हम अपने जीवन का एक बड़ा समय व्यतीत करते हैं। बेडरुम का वास्तु घर के हर व्यक्ति के लिए अलग महत्व रखता है। दक्षिण-पश्चिमी दिशा में घर का मुख्य शयन कक्ष होना चाहिए जो घर के मालिक का हो सकता है। इसमें उस व्यक्ति को दक्षिण की तरफ सिर करके सोना चाहिए और पैर उत्तर की तरफ करने चाहिए। बच्चों का कमरा उत्तर-पश्चिम दिशा में होना लाभकारी माना जाता है। इसके लिए मान्यता है कि बच्चे पढ़ाई के लिए विदेश जा सकते हैं। जिन लोगों का कक्ष इस दिशा में होता है वो अपने घर से बाहर रहते हैं।
दक्षिण-पूर्वी दिशा में बना कमरा बुजुर्गों के लिए लाभकारी माना जाता है। इससे क्रोध बढ़ता है। माना जाता है कि जिन लोगों की सेहत ठीक नहीं रहती है उन्हें घर के दक्षिण-पश्चिम दिशा में कमरा देना चाहिए। ये उनकी सेहत के लिए लाभकारी माना जाता है। इसके साथ ही माना जाता है कि जिन लोगों की रुचि अध्यात्मिक कार्यों में होती है उन्हें उत्तर-पूर्वी दिशा में अपना शयनकक्ष बनाना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार माना जाता है कि अपने नौकर को कभी भी दक्षिण-पश्चिम कोण में शयन कक्ष ना दें ये घर के स्वामी के लिए हानिकारक हो सकता है।
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वास्तु के अनुसार माना गया है कि जो बच्चे माता-पिता के साथ रहते हैं और उनकी उम्र छोटी है तो माता पिता को अपना कमरा उत्तर-पश्चिम दिशा में लेना चाहिए, इससे घर के लोगों के बीच संबंध मधुर रहते हैं। कई बार वास्तु विद्या के अनुसार देखा गया है कि जो बहु दक्षिण-पश्चिम दिशा में रहना शुरु कर देती है तो वो घर पर अधिकार जमाने लगती है जिससे सास को तकलीफ होने लगती है और घर की स्थितियां बिगड़ने लगती हैं। उत्तर-पूर्वी दिशा में यदि शादीशुदा जोड़ा रहने लग जाए तो उनके जीवन में बच्चों की उत्पत्ति में परेशानी आनी शुरु हो जाती है और पति-पत्नी के बीच झगड़े हो सकते हैं।


