अभिभावक बच्चों के परीक्षा परिणामों को लेकर हमेशा चिंतित रहते हैं। कई विद्यार्थियों का ध्यान पढ़ाई में नहीं लगता है जिस कारण से उनके रिजल्ट हमेशा खराब रहते हैं। अभिभावक भी बच्चे पर अनावश्यक दबाव बनाने लगते हैं लेकिन इसमें कई बार बच्चे की गलती नहीं होती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार माना जाता है कि जहां बच्चा बैठकर पढ़ाई करता है या जहां घर का स्टडी रूम होता है उस जगह का प्रभाव भी बच्चे की क्षमता पर पड़ता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार कहा जाता है कि स्टडी रूम की दिशा शिक्षा ग्रहण करने की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। स्टडी रूम घर के पूर्वी, उत्तर या उत्तर-पूर्वी दिशा में स्थित होना चाहिए। इस दिशा में एकाग्रता बढ़ती है और दिमाग तेज चलता है।

– इसी के साथ बच्चे पढ़ाई के समय जिस टेबल का इस्तेमाल करते हैं वो चौकोर होनी चाहिए।
– स्टडी रूम में किसी भी तरह का शीशा नहीं होना चाहिए, इससे बच्चों की एकाग्रता पर प्रभाव पड़ता है।
– स्टडी टेबल को दरवाजे के सामने नहीं लगाना चाहिए, इससे स्मरण शक्ति प्रभावित होती है।
– पढ़ाई के कमरे में प्राकृतिक रौशनी का स्रोत अवश्य होना चाहिए। इससे छात्र की स्मरण शक्ति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
– वास्तु के अनुसार माना जाता है कि स्टडी टेबल पर लैंप अवश्य होना चाहिए। इससे पढ़ते समय ध्यान सिर्फ किताबों पर ही रहता है।
– दक्षिण और दक्षिण-पूर्व में बना स्टडी रूम तनाव को जन्म देता है।
– स्टडी रूम में बाथरुप नहीं बनाएं, यदि बाथरूम हो तो उसका दरवाजा हमेशा बंद रखना चाहिए। विशेषकर जब उसमें बच्चा पढ़ाई कर रहा हो।
– स्टडी रूम में गहरे रंगों का प्रयोग ना करें, दीवारों को रंगते हुए सफेद, बादामी आदि रंगों का प्रयोग किया जा सकता है।

– स्टडी टेबल और पुस्तकों का रैक उत्तर की दिशा में रखना लाभदायक होता है, इससे एकाग्रता की क्षमता बढ़ती है।
– हिसंक पशु-पक्षियों के चित्र का इस्तेमाल स्टडी रूम में नहीं किया जाना चाहिए। इससे बच्चे की मानसिक क्षमता प्रभावित होती है।
– जूते-चप्पल पहन कर पढ़ाई करने के लिए नहीं बैठना चाहिए।