वास्तु शास्त्र में घर के प्रत्येक हिस्से के बारे में बताया गया है और विस्तार से प्रकाश डाला गया है कि घर का कौन-सा कोना किस तरह के फल देने वाला होता है। वास्तु शास्त्र के मुताबिक सभी दिशाओं से एक विशेष प्रकार की ऊर्जा निकलती है, जो किसी काम के लिए अच्छी और किसी काम के लिए बुरी साबित हो सकती है। घर में मंदिर से लेकर शौचालय तक कहां और किस दिशा में होने चाहिए, ये सब वास्तु शास्त्र में बताया गया है। इसी तरह घर में रसोई घर कहां और कैसे हो, यह भी बताया गया है। आइए जानते हैं वास्तु शास्त्र रसोई घर के लिए क्या कहता है-

आग्नेय कोण में हो रसोई: वास्तु शास्त्र के मुताबिक रसोईघर आग्नेय कोण में होना चाहिए। यहां आग्नेय कोण का मतलब दक्षिण और पूर्व के बीच का स्थान है। माना जाता है कि आग्नेय कोण का मूल तत्व अग्नि है। आग्नेय कोण में रसोई होने से घर के सदस्यों को पेट और पाचन से जुड़ी बीमारियां नहीं होती हैं। अगर आपके घर में रसोई आग्नेय कोण में नहीं है तो आपको रसोई के ईशान कोण में भगवान गणेश की तस्वीर लगानी चाहिए। इसके अलावा यज्ञ करतु हुए ऋषियों की तस्वीर भी लगाई जा सकती है। यहां ईशान कोण का अर्थ उत्तर-पूर्व दिशा से है।

किस रंग से करें पेंट?: वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि रसोई की दीवारों पर पीला, नारंगी, गेरुआ या लाल रंग से पेंट करवाना चाहिए। किचन में काला, नीला, स्लेटी और आसमाने रंग की पुताई नहीं करवानी चाहिए। यह भोजन के लिए प्रतिकूल ऊर्जा का काम करता है। कई लोग रसोई में मंदिर बनाते हैं। आपको बता दें कि वास्तु शास्त्र में इसे अच्छा नहीं माना गया है। न ही किचन के बराबर में शौचालय या बाथरूम बनाना चाहिए।

कहां रखें पीने का पानी?: इन सभी के साथ विभिन्न प्रकार की ऊर्जा होती है, जिन्हें साथ में रखने से घर-परिवार में अशुभता आती है। नुकसानदायक साबित हो सकता है। रसोई में पीने का पानी ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए। माना जाता है कि यह कोण पानी के अनुकूल होता है। ईशान कोण शीतलता प्रदान करने वाला होता है। पानी को इस दिशा में रखने से पानी में नकारात्मक और प्रतिकूल ऊर्जा का वास नहीं होता है।