बुधवार, 28 मार्च को वामन द्वादशी मनाई जा रही है। माना जाता है इस दिन भगवान विष्णु के वामन के रूप में पांचवां अवतार लिया था। माना जाता है मानव के रूप में भगवान विष्णु का यह पहला अवतार है। दक्षिण भारत में उपेन्द्र के नाम से जाना जाता है। जिसे वामन द्वादशी भी कहा जाता है। इस दिन श्री हरि का स्मरण करते हुए नियमानुसार विधि विधान के साथ पूजा की जाती है। इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा की जाती है। इसके साथ ही भगवान श्री विष्णु जी का स्मरण करते हुए उनके अवतारों एवं लीलाओं का श्रवण होता है। कई जगहों पर भागवत कथा का पाठ किया जाता है तथा वामनअवतार की कथा सुनाई जाती है।
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के बाद चावल, दही आदि वस्तुओं का दान करना फलदायी माना गया है। शाम के समय व्रत करने वाले भगवान वामन का पूजन करते हैं और व्रत कथा सुनते हैं। पूजा करने के बाद प्रसाद बांटा जाता है। इस दिन व्रत एवं पूजन करने से भगवान वामन प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं।
पूजन विधि: पूर्वमुखी होकर हरे वस्त्र पर वामन अवतार का चित्र स्थापित करके विधिवत दशोपचार पूजन करें। कांसे के दिए में गौघृत का दीप करें, चंदन से धूप करें, तुलसी पत्र चढ़ाएं, रक्त चंदन चढ़ाएं, मौसम्बी का फलहार चढ़ाएं, मिश्री का भोग लगाएं। तथा रुद्राक्ष माला से इस विशेष मंत्र का 1 माला जाप करें। पूजन मंत्र: ॐ तप रूपाय विद्महे श्रृष्टिकर्ताय धीमहि तन्नो वामन प्रचोदयात्।
पूजन मुहूर्त: प्रातः 09:25 से प्रातः 10:25 तक।


