Ugadi 2019 Puja Vidhi, Samagri, Mantra, Procedure: उगादी पर्व दक्षिण भारत में मुख्य रुप से मनाया जाता है। हिंदू मान्यता के मुताबिक सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा ने इस दिन से सृष्टि की रचना शुरू की थी। इसलिए इस दिन खास तौर से ब्रह्मा और विष्णु की पूजा की जाती है। उगादी मूल रुप से संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ होता है नए युग का आरंभ। ऐसा माना जाता है कि इस दिन नववर्ष का शुभारंभ होता है। इस दिन को तेलुगु और कन्नड़ नववर्ष की शुरुआत भी माना जाता है। विष्णु पुराण में ऐसा कहा गया है कि इसी दिन भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक हुआ था। इसके अलावा इसी दिन सम्राट विक्रमादित्य ने शकों को हराकर उनपपर विजय हासिल की थी। एक और मान्यता यह भी है कि इस दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। इस दिन कई घरों में पूजा-पाठ का विशेष महत्व है। कई घरों में यह खास पूजा घर के सबसे बुजुर्ग सदस्य करते हैं तथा घर के अन्य सदस्य पूजा में ईश्वर से घर की शांति की कामना करते हैं।
शुभ मुहूर्त:
तेलुगु संवत्सर 2076 शुरू
अप्रैल 5, 2019 को 14:21:48 से प्रतिपदा आरम्भ
अप्रैल 6, 2019 को 15:24:55 पर प्रतिपदा समाप्त
पूजा की विधि: इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर, शरीर पर बेसन और तेल का उबटन लगाकर स्नान कर शुद्ध होते हैं। फिर हाथ में गंध, अक्षत, फूल और जल लेकर ब्रह्मा जी का आह्वान किया जाता है। इसके बाद एक साफ चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाकर उस पर हल्दी या केसर से रंगे अक्षत से अष्टदल कमल बना कर उस पर ब्रह्माजी की मूर्ति स्थापित की जाती है। इसके बाद ‘ॐ ब्रह्मणे नमः’ मंत्र का जाप कर ब्रह्मा जी का आह्वान किया जाता है। इस दिन पूजा के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद ही खुद भोजन करना चाहिए। इस दिन नए वस्त्र धारण कर घर को बंधनवार जैसी चीजों के साथ सजाना चाहिए। खास बात यह भी है कि उगादी के दिन उगादी पचड़ी प्रसाद के रूप में बनाई जाती है। यह कच्चे आम, नीम, इमली और गुड़ के पेस्ट से मिलकर बनती है। वहीं महाराष्ट्र में इस दिन लोग शक्कर भात, श्रीखंड और पूरी बनाते हैं।
आंध्र प्रदेश में मनाया जाने वाले उगदी एक ऐसा त्यौहार माना जाता है कि जब श्रृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा की पूजा की जाती है। हालांकि ब्रह्मा जी को शिवजी ने ब्रह्मा जी का शाप है कि कलयुग में उनकी कोई पूजा नहीं करेगा लेकिन आंध्रा में उगदी पर्व ब्रह्मा जी को समर्पित किया जाता है। यही वह दिन है जब भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार भी लिया था।
तेलांगना में उगादी के दिन अपने घरों में तमाम तरह के स्वादिष्ट व्यंजन और मिठाइयां बनाते हैं। सभी भाई-बंधु एक दूसरे को मिठाइयां बांटते हैं। तेलांगना में इस त्यौहार को 3 दिन तक मनाया जाता है।
उगादी पर्व आन्ध्र प्रदेश का एक मुख्य त्यौहार है। इस पर्व का आंध्रा में खास महत्व है। जैसे उत्तर भारत में उगादी के गिन लोग शरीर पर तिल लगाते हैं और बाद में मंदिरों में जाते हैं। ठीक वैसे ही आंध्रा में उगादी दिन अलसुबह उठते हैं और तिल के तेल को अपने बालों से लेकर पूरे शरीर में लगाते हैं। इसके बाद मंदिरों में भगवान के दर्शन करते जाते हैं और अपनी मन्नत मांगते हैं।
इस त्यौहार के दिन कुछ लोगों का मानना है कि सकारात्मक ऊर्जा का आह्वान करने के लिए रंगोली या हल्दी, कुमकुम के साथ एक स्वास्तिक चिन्ह बनाना चाहिए। कुछ पंडितों के अनुसार पूजन का शुभ संकल्प कर एक चौकी या बालू की वेदी का निर्माण करते हैं। इसके बाद उसमें साफ सफेद रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर हल्दी या केसर से रंगे अक्षत से अष्टदल कमल बनाते हैं तथा उस पर ब्रह्माजी की स्वर्ण मूर्ति स्थापित करते हैं। इसके बाद गणेशाम्बिका की पूजा करते हैं और फिर ऊं ब्रह्मणे नमः के मंत्र का जाप करते हैं।
उगादी के दिन खास तरह के प्रसाद बनाए जाते हैं। महाराष्ट्रियन लोग इस दिन शक्कर भात, श्रीखंड और पूरी बनाते हैं, जबकि कोंकणी लोग कनंगची खीर बनाते हैं जो शकरकंद, नारियल के दूध, चावल और गुड़ से बना होता है। उगादी के दिन उगादी पचड़ी बनाने की भी परंपरा है। यह कच्चे आम, नीम, इमली और गुड़ के मिश्रण से बना एक पेस्ट होता है। खट्टे-मीठे स्वाद वाले इस डिश का एक प्रतीकात्मक अर्थ होता है जो यह बताता है कि जीवन सुख और दुख के संगम की तरह होता है।
शुभ हो नया साल आपका
ऊंची उड़ान भरे हर पल आपका
जैसे आसमान में उड़ती पतंग
वैसे ही उगादी पर्व की सजे हर एक तरंग
आपको बता दें कि वर्ष यानी कि साल को संवत्सर कहा जाता है और कुल 60 संवत्सर होते हैं। जैसे हर महीने के नाम होते हैं उसी तरह हर साल के नाम अलग अलग होते हैं। जैसे 12 महीने होते हैं उसी तरह 60 संवत्सर होते हैं। उत्तर भारत के लोग गुड़ी पाड़वा नहीं मनाते हैं लेकिन इसी दिन से वे लगातार नौ दिनों तक चैत्र नवरात्रि का व्रत रखते हैं। उत्तर भारत में भी चैत्र नवरात्रि की शुरुआत के साथ ही हिन्दू नव वर्ष का जश्न मनाया जाता है।
भगवान को खुश करने के लिए इस दिन मंदिरों में विशेष रुप से पूजा-अर्चना की जाती है। यह दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के राज्याभिषेक के रूप में भी मनाया जाता है। इसी दिन महाराज युधिष्टिर का भी राज्याभिषेक हुआ और महाराजा विक्रमादित्य ने भी शकों पर विजय प्राप्त की थी। इसके उत्सव के रूप में भी उगादी मनाया। हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्र का आरंभ इसी दिन से होता है। देश में इस त्यौहार को अलग- अलग नामों से जाना जाता है। कर्नाटक में इसे गुड़ी पड़वा कहते हैं। इस त्यौहार को पूरे राज्य में उत्साह के साथ मनाया जाता है।
कहा यह भी जाता है कि इसी दिन से महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, महीने और साल की गणना कर पंचांग की रचना की थी। यही कारण है कि हिंदू पंचांग की शुरुआत भी उगादी से ही होती है।