Tulsidas Jayanti 2023: श्री रामचरितमानस जैसे कई महान ग्रंथ लिखने वाले तुलसीदास जी को कौन नहीं जानता है। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन  चित्रकूट के राजापुर गांव में उनका जन्म हुआ था। आज देशभर में उनकी जयंती मनाई जा रही है। कहा जाता है कि जन्म के समय तुलसीदास जी ने रोने के बजाए राम नाम लिया था। इसी के कारण उन्हें रामबोला कहा जाता है। तुलसीदास बचपन से राम भक्त नहीं थे, बल्कि उनकी पत्नी के द्वारा कहे शब्दों के कारण वह इस राम भक्ति की ओर चले और कई महान ग्रंथ लिख डाले थे। पढ़िए उनके वैवाहिक जीवन की इस दिलचस्प कहानी को।

पत्नी की खूबसूरती के कायल थे रामबोला

तुलसीदास जी की पत्नी का नाम रत्नावती थी। नाम की तरह की वह काफी सुंदर थी। उनका जादू इस कदर से तुलसीदास जी पर चढ़ा था कि वह दुनिया-जहां को भूल बैठे थे। एक बार की बात है कि रत्नावती अपने मायके चली गई थी। लेकिन तुलसीदास को यह दूरी जरा सा भी बर्दाश्त नहीं हुई थी। वह अपनी पत्नी को देखने के लिए इस कदर पागल हो गए थे कि उन्हें देखने की लालसा में वह आंधी-तूफान ले होते हुए अपनी पत्नी के पास पहुंचे थे।

पत्नी से मिलने के लिए रामबोला ने शव पकड़कर की नदी पार

तुलसीदास अपनी पत्नी से मिलने उसके मायके गए थे। श्रावण मास की एक रात को भयानक आंधी तूफान चल रहा था, तो तुलसीदास को रत्नावती की काफी याद आने लगी। उनसे मिलने की चाहत में वह गंगा नदी के तट में पहुंचे, लेकिन उफनती नदी को पार करना काफी मुश्किल था।  ऐसे में उन्हें नदी में एक लाश नजर आईं, तो उन्हें बिना कुछ सोचे उसे पकड़कर नदी पार कर गए। वह जब अपने ससुराल पहुंचे, तो काफी रात हो गई थी। ऐसे में दरवाजा बंद था। लेकिन पत्नी से मिलने की लालसा में वह जैसे तैसे दीवार फांदकर घर के अंदर पहुंच गए।

पत्नी के इन शब्दों ने तुलसीदास जी को बनाया राम भक्त

जब रामबोला को अचानक देखकर उनकी पत्नी काफी क्रोधित हो गई, क्योंकि वह अपने ससुराल दरवाजे से नही बल्कि दीवार फांद कर आए थे। ऐसे में वह अपने घरवालों से क्या कहतीं। रत्नावती को इतना ज्यादा क्रोध आया कि उन्होंने कहा, ‘लाज न आई आपको दौरे आएहु नाथ, अस्थि चर्म मय देह यह, ता सों ऐसी प्रीत। नेकु जो होती राम से, तो काहे भव-भीत।।’ यानी मेरे हाड़-मास के इस शरीर से आपको इतना ज्यादा प्यार है। इसके बजाय अगर राम नाम से प्रेम किया होता, तो जीवन सफल हो गया था। रत्नावती की इस बात को सुनकर रामबोला का अंतर्मन जाग उठा और वह तुरंत ही अपनी पत्नी के कक्ष को छोड़कर राम नाम की खोज में निकल गए।

रामबोला बन गए तुलसीदास

रामबोला ने अपना पूरा जीवन राम की भक्ति में लगा दिया। ऐसे में उन्होंने रामचरितमानस की रचना की। इसके अलावा उन्होंने 12 अन्य ग्रंथों को भी लिखा था। जिसमें हनुमान चालीसा, संकटमोचन हनुमानाष्टक, दोहावली, जानकी मंगल,हनुमान बाहुक आदि रचनाएं है।