Tulsi Vivah 2024 Aarti: हिंदू धर्म में हर माह कोई न कोई व्रत त्योहार मनाया जाता है और हर पर्व का अपना-अपना महत्व है। ऐसे ही प्रतिवर्ष तुलसी विवाह किया जाता है, जिसका हिंदू धर्म में काफी अधिक महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार,कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि और द्वादशी तिथि को तुलसी विवाह किया जाता है। बता दें कि देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार माह की योग निद्रा से जागते हैं। इसके साथ ही शुभ और मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं। इसके साथ ही अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को तुलसी विवाह किया जाता है। कई लोग देवउठनी एकादशी को शाम के समय भी तुलसी विवाह करते हैं। तुलसी विवाह पर भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम और तुलसी के पौधे की विधिवत विवाह कराया जाता है। इस दौरान मंगल गीत, मंत्र. मंगलाष्टक आदि का पाठ किया जाता है। इसके साथ ही अंत में मां तुलसी और शालिग्राम की आरती अवश्य करें। आइए जानते हैं तुलसी माता की आरती और शालिग्राम भगवान की संपूर्ण आरती…
तुलसी माता की आरती (Tulsi Mata Ki Aarti)
जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता.
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता.. मैय्या जय तुलसी माता..
सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर.
रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता. मैय्या जय तुलसी माता..
बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या.
विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता. मैय्या जय तुलसी माता..
हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित.
पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता. मैय्या जय तुलसी माता..
लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में.
मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपति पाता। मैय्या जय तुलसी माता..
हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी.
प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता. मैय्या जय तुलसी माता..
हमारी विपद हरो तुम, कृपा करो माता.
जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता..
शालिग्राम जी की आरती (Shaligram Ki Aarti)
शालिग्राम सुनो विनती मेरी.
यह वरदान दयाकर पाऊं..
प्रात: समय उठी मंजन करके.
प्रेम सहित स्नान कराऊँ..
चन्दन धूप दीप तुलसीदल.
वरन-वरण के पुष्प चढ़ाऊँ..
तुम्हरे सामने नृत्य करूँ नित.
प्रभु घंटा शंख मृदंग बजाऊं..
चरण धोय चरणामृत लेकर.
कुटुंब सहित बैकुण्ठ सिधारूं..
जो कुछ रुखा सूखा घर में.
भोग लगाकर भोजन पाऊं..
मन वचन कर्म से पाप किये.
जो परिक्रमा के साथ बहाऊँ..
ऐसी कृपा करो मुझ पर.
जम के द्वारे जाने न पाऊं..
माधोदास की विनती यही है.
हरी दासन को दास कहाऊं..
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