Shri Hit Premanand Govind Sharan Ji Maharaj On Tulsi: हिंदू धर्म में तुलसी को पूजनीय माना जाता है। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रिय तुलसी अधिकतर घरों में लगी मिल जाती है। शास्त्रों के साथ-साथ वास्तु शास्त्र के हिसाब से भी तुलसी की पौधा घर पर लगाना काफी शुभ माना जाता है। मान्यता है तुलसी जी वृंदावन की अधिष्ठात्री देवी और भगवान कृष्ण की प्रिय सखी वृंदा को माना जाता है। कहा गया है कि जो व्यक्ति तुलसी जी का आदर, पूजा और सेवा करता है, उसके जीवन में सौभाग्य, पुण्य और भगवान की कृपा बढ़ती है। तुलसी का स्पर्श, नाम-स्मरण, प्रणाम, जल अर्पण, पौधा लगाना और पत्तों से सेवा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके साथ ही घर को वास्तु दोष से मुक्ति मिल जाती है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ जाता है। तुलसी की पूजा करने के कुछ नियम भी है जिनका पालन अवश्य करना चाहिए। ऐसे ही मान्यता है रविवार के अलावा एकादशी के दिन तुलसी के पौधे पर जल नहीं चढ़ाना चाहिए। ऐसा ही एक सवाल प्रेमानंद महाराज जी से उनके एकांतिक वार्तालाप के दौरान एक व्यक्ति ने पूछा। उन्होंने महाराज जी से कहा कि क्या एकादशी के दिन तुलसी तोड़ना या उन पर जल चढ़ाना सही है? इसी पर प्रेमानंद महाराज जी का इस वीडियो लोगों का भ्रम दूर करते नजर आ रहे हैं।

प्रेमानंद महाराज के अनुसार, तुलसी के दर्शन, स्पर्श, सिंचन, सेवा और सेवन से मन, वाणी और शरीर से हुए सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। तुलसी की छाया पितरों को तृप्त करती है और घर में तुलसी लगाने से श्राद्ध के बराबर कल्याण मिलता है। तुलसी की मंजरी भगवान के चरणों में अर्पित करने वाला व्यक्ति चाहे कितना भी दोषयुक्त क्यों न हो, उसे कभी यमपुरी का भय नहीं होता। तुलसी-काष्ठ से घिसा हुआ चंदन लगाने से संचित पाप जल जाते हैं और वर्तमान पाप बांध नहीं पाते।

एकादशी के दिन तुलसी में जल चढ़ाने की मनाही क्यों मानी जाती है?

शास्त्रों के अनुसार तुलसी जी में लक्ष्मी जी का वास होता है। एकादशी के दिन माता लक्ष्मी निर्जला व्रत रखती हैं। अगर इस दिन तुलसी पर जल चढ़ाया जाए, तो माना जाता है कि उनका व्रत भंग हो जाता है। इसी कारण अधिकांश लोग इस दिन जल चढ़ाने से बचते हैं।

क्या एकादशी के दिन तुलसी पर जल चढ़ा सकते हैं?

प्रेमानंद महाराज के अनुसार, एकादशी के दिन तुलसी तोड़ना और जल चढ़ाना दोनों किया जा सकता है। एकादशी के दिन जल चढ़ाने और पत्ते तोड़ने से किसी भी प्रकार का पाप नहीं लगता है। किंतु एकादशी से एक दिन बाद यानी द्वादशी के दिन ऐसा करने की मनाही होती है, क्योंकि इस दिन तुलसी जी का स्पर्श भी उचित नहीं माना जाता।

द्वादशी के दिन तुलसी तोड़ना क्यों निषिद्ध है?

प्रेमानंद महाराज ने कहा कि द्वादशी तिथि पर तुलसी का पत्ता, मंजरी तोड़ना बड़ा पाप माना गया है। ऐसा करने से ब्रह्महत्या के समान पाप मिलता है। इस दिन तुलसी का स्पर्श करने से भी बचना चाहिए। इसलिए उस दिन दूर से ही प्रणाम करना चाहिए और एक भी पत्ता टूटने नहीं देना चाहिए।

तुलसी की सेवा करने के लाभ

एकादशी व्रत को हरितोष व्रत कहा जाता है। जो व्यक्ति प्रतिदिन तुलसी जी की भक्ति करता है जैसे तुलसी में पानी डालना, तिलक, माला पहनाना, परिक्रमा करना और सम्मान पूर्वक प्रणाम करना चाहिए। ऐसा करने से करोड़ों युगों तक ऐसा अद्भुत पुण्य प्राप्त होता है । इसके साथ ही वह भगवान श्रीकृष्ण के नित्य समीप रहने का अधिकारी बन जाता है। जब तक मनुष्य द्वारा लगाई हुई तुलसी की शाखाएं, पत्तियां और मंजरी फलती-फूलती रहती हैं, तब तक हजारों कल्पों तक उसका पुण्य नष्ट नहीं होता और वह भगवान के धाम में बना रहता है। प्रेमानंद महाराज बताते हैं कि स्वयं भगवान भी तुलसी सेवा से अत्यंत प्रसन्न होते हैं और तुलसी जी की कृपा से साधक को सहज ही भगवत-प्रेम की प्राप्ति होती है।

तुलसी तोड़ते समय बोले ये बात

प्रेमानंद महाराज जी ने आगे कहा कि वृंदा देवी, जो वृंदावन की अधिष्ठात्री हैं। उनकी कृपा के बिना कोई भी साधना फलदायी नहीं हो सकती। इसलिए तुलसी तोड़ने से पहले भी सम्मानपूर्वक प्रार्थना करनी चाहिए—कि “हे वृंदा देवी, हे तुलसी महारानी, प्रभु की पूजा के लिए हमें कुछ पत्ते और मंजरी प्रदान करें।” किसी भी प्रकार का कठोर या असम्मानजनक व्यवहार नहीं होना चाहिए। तुलसी दल से श्रीहरि की पूजा करने वाले को कोई भी पाप स्पर्श नहीं कर सकता और न ही पूर्व कर्मों का दंड मिलता है। तुलसी जी को अर्पित किया गया जल संतुलित और आवश्यक मात्रा में होना चाहिए।

तुलसी पर जल चढ़ाने के लाभ

प्रेमानंद महाराज के अनुसार, जो व्यक्ति प्रतिदिन तुलसी को जल चढ़ाकर हरि-चिंतन करता है, उसे कभी भी पाप छू नहीं सकता। शास्त्र कहते हैं कि सौ बार सोना दान करने या चार सौ बार चांदी दान करने का जो फल मिलता है, वह केवल अपनी रोपी हुई तुलसी का एक पत्ता भगवान को अर्पित करने से मिल जाता है। लेकिन द्वादशी के दिन तुलसी का स्पर्श भी वर्जित है। इस तिथि पर पत्ता या मंजरी तोड़ना ब्रह्महत्या समान पाप माना गया है।

तुलसी के पास बैठकर पाठ क्यों शुभ है?

भागवत कथा, गोपाल सहस्रनाम, या नाम-जप यदि तुलसी के समीप बैठकर किया जाए, तो उसका फल कई गुना बढ़ जाता है। तुलसी की माला से जप करना अत्यंत शक्तिशाली माना गया है, क्योंकि यह मन को शुद्ध कर भक्ति को स्थिर बनाती है।

तुलसी की माला पहनने के लाभ

तुलसी का सेवन और तुलसी माला का धारण करना भगवान श्रीकृष्ण को वश में करने जैसा माना गया है। स्त्री-पुरुष, कोई भी हो। तुलसी की माला से नाम जप करने पर आध्यात्मिक सिद्धि बहुत शीघ्र प्राप्त होती है। प्लास्टिक की माला से जप निषिद्ध नहीं है, पर तुलसी माला से जप करने पर विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है। यदि संभव हो तो छोटी “सुमिरनी” माला भी जेब में रखकर जप किया जा सकता है।

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