Tulsi Mala Pehnne Ke Niyam: हिंदू धर्म में तुलसी का विशेष महत्व है। इसे मां लक्ष्मी का प्रिय और भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है। तुलसी की माला को बहुत पवित्र माना गया है और इसे पहनने से जीवन में शुभता और सकारात्मकता आती है। ऐसा कहा जाता है कि तुलसी की माला में विद्युत शक्ति होती है, जो यश, कीर्ति और धन में वृद्धि करती है। लेकिन धार्मिक ग्रंथों में इसे पहनने के कुछ नियम भी बताए गए हैं। ऐसा माना जाता है कि अगर इन नियमों का पालन न किया जाए, तो इसका लाभ नहीं मिलता बल्कि उल्टा नकारात्मक असर भी हो सकता है। ऐसे में आइए जानते हैं तुलसी की माला पहनने के फायदे और जरूरी नियम।
कब पहनें तुलसी की माला?
तुलसी की माला को धारण करने के लिए विशेष दिन बताए गए हैं। शास्त्रों के अनुसार सोमवार, गुरुवार, शुक्रवार या एकादशी के दिन इसे पहनना सबसे शुभ होता है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। इसके बाद गंगाजल से शुद्ध कर तुलसी की माला को गले में धारण करें। माना जाता है कि इस तरह नियम से माला पहनने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
तुलसी की माला पहनने के नियम
तुलसी की माला पहनते समय शुद्धता का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। इसे पहनने के बाद व्यक्ति को तामसिक भोजन जैसे मांस-मदिरा, प्याज-लहसुन आदि से दूरी बना लेनी चाहिए। तुलसी की माला धारण करने का मतलब है कि व्यक्ति सात्विक जीवन जीने का संकल्प ले चुका है। अगर आप इसे पहनकर नियमों का पालन नहीं करते हैं, तो इसका उल्टा असर हो सकता है और जीवन में परेशानियां आ सकती हैं।
इन स्थानों पर माला पहनकर न जाएं
तुलसी की माला बेहद पवित्र होती है, इसलिए कुछ जगहों पर इसे पहनकर जाना वर्जित माना गया है। इसे पहनकर कभी भी शौचालय या श्मशान घाट नहीं जाना चाहिए। ऐसे स्थानों पर माला पहनना अशुद्धता का संकेत माना जाता है और इससे माला की पवित्रता नष्ट हो जाती है। साथ ही, किसी भी अनैतिक कार्य में लिप्त होने से भी बचना चाहिए। तभी इस माला का पूरा फल प्राप्त होता है और जीवन में शुभता बनी रहती है।
तुलसी की माला पहनने के लाभ
तुलसी की माला पहनने से व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है और जीवन में सकारात्मकता आती है। ऐसा माना जाता है कि इससे मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और आर्थिक तंगी दूर होने लगती है। साथ ही, अगर आप इस माला को पहनकर विष्णु भगवान के मंत्रों का जाप करते हैं, तो इससे कई यज्ञों के बराबर पुण्य फल मिलता है। इससे न सिर्फ जीवन के दुख दूर होते हैं बल्कि यश, कीर्ति और धन में भी वृद्धि होती है।
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