शनि (Shanidev) न्याय के देवता हैं। कहते हैं, शनि की दृष्टि जिस पर भी पड़ती है, उसका सर्वनाश हो जाता है। शनिदेव बेईमान लोगों को दंड देते हैं, तो वहीं मेहनती और परिश्रमी लोगों को पुरस्कृत करते हैं। सभी ग्रहों में सबसे ज्यादा शक्तिशाली शनिदेव का प्रभाव हर मनुष्य पर पड़ता है। शास्त्रों के मुताबिक हर ग्रह के पास केवल एक ही दृष्टि होती है, जिसे सातवीं दृष्टि कहा जाता है। लेकिन शनिदेव के पास सातवीं के अलावा, तीसरी और दसवीं दृष्टि भी होती है। इसको लेकर ज्योतिषाचार्यों की मानें तो शनि की दृष्टि सभी के लिए काफी महत्वपूर्ण होती है।

ज्योतिषों के अनुसार शनिदेव का सभी ग्रहों में खास स्थान होता है। ऐसे में शनि की दृष्टि सभी ग्रहों पर भी काफी असर डालती है। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि दोष होता है, तो इसका उसके जीवन पर काफी गहरा प्रभाव पड़ता है। हालांकि, हम शनिदेव को प्रसन्न करके, इन प्रभावों को कम कर सकते हैं।

क्या होता है शनिदोष: यदि किसी जातक की कुंडली में शनि उस जगह विराजमान हों, जहां पर जातक को नुकसान और कष्ट हो सकता है। तो उसको शनिदोष कहा जाता है। बता दें, शनिदेव की चाल धीमी होती है, इसके कारण जातक पर इसका प्रभाव भी लंबे समय के लिए होता है। साढ़े साती और शनि की ढैय्या शनिदोष के अंतर्गत आते हैं। शनिदोष से बचने के लिए लोग अलग-अलग तरह के उपाय करते हैं। अमीर से अमीर इंसान भी शनिदोष से नहीं बच पाता, उसका सारा धन, मान और प्रतिष्ठा सबकुछ नष्ट हो जाते हैं।

यदि आपकी भी कुंडली में शनिदोष है, तो इन उपायों से इसके असर को कम किया जा सकता है-

-शनिदोष से बचने के लिए मनुष्य को कोई भी दुष्कर्म या अनुचित कार्य नहीं करना चाहिए।
-शनिदेव की प्रार्थना करें, उन्हें प्रसन्न करें।
-हर शनिवार मंदिर जाएं।
-शनिवार को कोई भी लोहे की चीजें ना खरीदें।
-शनिदोष होने पर हर दिन शनि मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
-शनिवार के दिन सरसों के तेल का दान करने से प्रसन्न होते हैं शनिदेव।

-शनिदोष को कम करने के लिए पीपल के पेड़ की उपासना करनी चाहिए।
-नियमित कौवों को रोटी खिलाने, चीटियों को आटा खिलाने से भी शनिदोष कम होता है।
-शनि मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
-साथ ही शनिवार को हनुमानजी की उपासना करने से भी शनिदोष कम होता है।