ज्योतिष अनुसार शनि साढ़ेसाती की महादशा काफी कष्टकारी होती है। जिसका सामना हर व्यक्ति को अपनी लाइफ में कम से कम एक बार तो जरूर करना पड़ता है। शनि साढ़ेसाती के दौरान जातक को विभिन्न प्रकार की परेशानियां आने लगती हैं। बनते हुए काम बिगड़ने लगते हैं और तरक्की मिलने में देरी होती है। ज्योतिषशास्त्र में शनिदेव को कर्मफलदाता कहा गया है। यानी ये व्यक्तियों को उनके कर्मो के हिसाब से फल प्रदान करते हैं। शनिदेव न सिर्फ प्रताड़ित करते हैं बल्कि प्रसन्न होने पर यानी कुंडली में शुभ भाव में होने पर रंक को राजा भी बना देते हैं।
3 राशियों पर शनि हैं भारी: शनि हर ढाई साल में एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। सभी ग्रहों में इनकी चाल काफी धीमी मानी जाती है। शनि 24 जनवरी 2020 से मकर राशि में गोचर हैं। मकर में शनि के आते ही वृश्चिक वालों को शनि साढ़ेसाती से मुक्ति मिल गई थी। तो वहीं कुंभ वालों पर शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण शुरू हो गया था। धनु और मकर वाले पहले से ही साढ़ेसाती की चपेट में हैं। शनि 11 मई से वक्री अवस्था में चल रहे हैं। जो पुन: मार्गी 29 सितंबर को होंगे। सितंबर तक का समय शनि की साढ़ेसाती से पीड़ित जातकों के लिए काफी मुश्किल भरा रहने वाला है। जानिए इस दौरान किन उपायों को करने से शनि होंगे साथ…
शनि के उपाय: कहते हैं शनि शिव के भक्त हैं। इसलिए भगवान शिव की उपासना से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं। अत: नियमित शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। पीपल के वृक्ष में सभी देवताओं का निवास माना जाता है अत: पीपल को अर्घ्य देने से भी शनि का प्रकोप शांत होता है। शिव की तरह ही हनुमान जी की अराधना से भी शनि महाराज प्रसन्न होते हैं। इसलिए शनिवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ जरूर करें।
ज्योतिष अनुसार शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए जिस अनुराधा नक्षत्र में अमावस्या हो और साथ ही शनिवार का योग भी हो, उस दिन तेल, तिल समेत विधि पूर्वक पीपल के पेड़ की पूजा करें। शनिदेव की कृपा पाने के लिए शनि स्तोत्र का नियमित पाठ करें।
मान्यता अनुसार नाव के तले में लगी कील और काले घोड़े की नाल की अंगूठी बनवाकर शनिवार के दिन धारण कर सकते हैं। कहा जाता है कि शनिवार को लोहे के बर्तन, काला कपड़ा, सरसों का तेल, चमड़े के जूते, काला सुरमा, काले चने, काले तिल, उड़द की साबूत दाल आदि दान करने से शनि की प्रसन्नता प्राप्त होती है। शनि की दशा से बचने के लिए किसी योग्य पंडित से महामृत्युंजय मंत्र द्वारा शिव का अभिषेक कराना भी फलदायी माना जाता है।