हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले कई सारे लोग गुरुवार का व्रत करते हैं। गुरुवार के व्रत को बहुत ही शुभ फलदायी माना गया है। मान्यता है कि गुरुवार के व्रत से विवाह में आ रही दिक्कतें दूर हो जाती हैं। दरअसल गुरुवार का दिन भगवान बृहस्पति(विष्णु जी) को समर्पित है। कहते हैं कि बृहस्पति जी की कृपा से ही वैवाहिक जीवन का योग बनता है। साथ ही बृहस्पति जी की कृपा से वैवाहिक जीवन में खुशियां बनी रहती हैं। ज्योतिष शास्त्र में गुरु(बृहस्पति) को विवाह का कारक ग्रह माना गया है। सामान्यतौर पर कहा जाता है कि कुंडली में गुरु की दशा मजबूत होने से ही विवाह का योग बनता है। ऐसे में विवाह में आ रही दिक्कतों को मजबूत करने के लिए गरु को मजबूत करने के उपाय करने की सलाह दी जाती है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली के सप्तम भाव का वैवाहिक जीवन से गहरा संबंध है। और इस सप्तम भाव का कारक गुरु ग्रह माना जाता है। मंगल को भी विवाह का कारक ग्रह माना गया है। इसलिए कहा जाता है कि कुंडली के सप्तम भाव में गुरु और मंगल की दशा खराब होने पर विवाह का योग नहीं बनता। कहते हैं कि जिन लोगों के विवाह में दिक्कत आ रही हो उन्हें गरुवार का व्रत और बृहस्पति जी की पूजा जरूर करनी चाहिए। इससे विवाह संबंधी लाभ मिलने की मान्यता है।
पूजा विधि: गुरुवार की पूजा विधि इस प्रकार से है-
– सुबह उठकर स्नान करने के बाद पूजा-पाठ का विचार करें।
– इस दिन पीले वस्त्र पहनने चाहिए।
– बृहस्पति जी की प्रतिमा के आगे दही, दूध, शहद, घी, शक्कर, पीले फूल इत्यादि रख दें।
– पूजा करते समय चने की दाल और गुड़ का भोग लगाएं।
– भोग लगाकर ऊँ बृं बृहस्पते नम: मंत्र का जाप करें।
– मंत्र का जाप करने के बाद बृहस्पति की आरती करें।
– इसके बाद प्रसाद में पीले रंग की दाल या चने या गुड़ मिलाकर बांट दें।
– गरीबों को पीले फल दान करना शुभ माना जाता है।