वैदिक ज्योतिष अनुसार जब भी किसी मनुष्य का जन्म होता है, तो उसकी कुंडली में कुछ ऐसे भाव, ग्रह और योग होते हैं, जिससे ये पता लगता है कि व्यक्ति का करियर, कारोबार, संतान और वैवाहिक जीवन कैसा रहेगा। साथ ही व्यक्ति की आर्थिक स्थिति का भी पता लगता है। यहां हम बात करने जा रहे हैं ऐसे अशुभ योगों के बारे में जो वैवाहिक जीवन में तनाव की स्थिति पैदा करते हैं। साथ ही अगर इन योगों शक्तिशाली स्थिति में हो तो तो पति- पत्नी में अलगाव की स्थिति तक पैदा हो जाती है। आइए जानते हैं ये योग कौन से हैं…
इन योगों के कारण वैवाहिक जीवन में आती हैं परेशानियां
1- अगर कुंडली में मंगल ग्रह नीच के हो और उनका संबंध अगर सप्तम भाव से बन रहा हो तो व्यक्ति क्रोधी स्वभाव का होता है और उसकी छोटी- छोटी बातों पर जीवनसाथी के साथ झगड़ा होता है। साथ ही वैवाहिक जीवन में क्लेश बनी रहती है।
2- वहीं ज्योतिष अनुसार यदि किसी जातक की कुंडली में मंगल पहले, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें स्थान में किसी अन्य अशुभ ग्रह से जुड़ा हो। वहीं लग्न कुंडली में सप्तम भाव का स्वामी छठे भाव में विराजमान हो और उस पर मंगल की दृष्टि हो तो अचानक अलगाव का योग स्थापित हो सकता है।
3- वैदिक ज्योतिष अनुसार यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में छठे, आठवें या बारहवें भाव में ग्रहों की दशा विवाह में जीवन साथी से अलगाव या तलाक का कारण बन सकती है।
4- वहीं अगर पंचम और सप्तम भाव पर राहु ग्रह की नीच दृष्टि पड़ रही हो तो भी तलाक का कारण बनती है। साथ ही प्रेम संबंध में असफलता हाथ लगती है।
5- वैदिक ज्योतिष अनुसार सप्तम या अष्टम भाव पर शनि और मंगल दोनों की दृष्टि वैवाहिक जीवन में परेशानियां पैदा करती है।
करें ये उपाय
1- ज्योतिष अनुसार यदि पति-पत्नी के बीच रोज झगड़े होते हो तो भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए। साथ ही रोज घी का दीपक जलाना चाहिए।
वहीं अगर कुंडली में गुरु की स्थिति कमजोर या अशुभ हो तो गुरुवार को किसी मंदिर में केले और चने की दाल दान करनी चाहिए। साथ ही गुरु ग्रह के बीज मंत्र का जाप करना चाहिए।