महाभारत से जुड़े हुए तमाम प्रसंग बड़े ही प्रसिद्ध हैं। इन्हीं प्रसंगों में उस वाकए का भी जिक्र आता है जब इस युद्ध में दो महान योद्धाओं ने हिस्सा नहीं लिया था। जी हां, ऐसा कहा जाता है कि महाभारत युद्ध में दुनिया के तमाम युद्धाओं ने भाग लिया था। और इन्होंने अपने युद्ध कौशल से अपनी-अपनी सेना को जीताने कर हर संभव कोशिश की थी। लेकिन दो ऐसे महान योद्धा भी थे जिन्होंने महाभारत युद्ध में हिस्सा नहीं लिया था। कुछ लोग ऐसा भी कहते हैं कि इनके युद्ध में हिस्सा लेने से शायद परिणाम कुछ और होता। क्या आप इन दो योद्धाओं के बारे में जानते हैं? यदि नहीं तो हम आपको इनके बारे में बताने जा रहे हैं।
महाभारत युद्ध में जिन दो महान योद्धाओं ने भाग नहीं लिया था, उनके नाम हैं- बलराम और भोजकट के राजा रुक्मी। कहते हैं कि बलराम ने महाभारत युद्ध में हिस्सा ना लेने से पहले श्री कृष्ण से इस बारे में बात की थी। बलराम का कहना था कि दुर्योधन और अर्जुन दोनों ही उनके मित्र हैं। ऐसे में किसी एक के पक्ष में युद्ध में हिस्सा लेना मुश्किल हो जाएगा। कहते हैं कि यह बलराम के लिए धर्मसंकट की घड़ी थी। कृष्ण ने बलराम को समझाया था कि धर्मसंकट की घड़ी हर इंसान के जीवन में आती है।
ऐसा उल्लेख मिलता है कि महाभारत युद्ध शुरु होने से पहले बलराम पांडवों के पास भी गए थे। बलराम ने पांडवों से अपने धर्मसंकट के बारे में बताया था। बलराम का कहना था कि उनका युद्ध में हिस्सा नहीं लेना ही उचित होगा। और युद्ध के दौरान वह तीर्थ यात्रा पर चले जाएंगे। बताते हैं कि बलराम से ही भीम और दुर्योधन दोनों ने ही गदा सीखी थी। वहीं, भोजकट के राजा रुक्मी ने भी युद्ध में हिस्सा नहीं लिया था। रुक्मी रुकमणि के बड़े भाई थे। उन्होंने भी युद्ध में हिस्सा लेने में असमर्थता जताई थी।
