Rules To Wearing Iron Ring: ज्योतिष शास्त्र में शनि को न्याय प्रिय ग्रह माना गया है। वह व्यक्ति को उसके कर्मों के हिसाब से शुभ या फिर अशुभ फल देते हैं। वहीं बुरे कर्म करने वाले लोगों को दंडित भी करते हैं। इसी कारण कुंडली में लगी शनि की ढैय्या, साढ़ेसाती, दशा, महादशा या अंतर्दशा के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए विभिन्न तरह के उपायों को अपनाते हैं। इन्हीं में से अधिकतर लोग हाथों में लोहे का छल्ला पहन लेते हैं, लेकिन कई ऐसे लोग लोहे के छल्ला पहनने के नियम को अनदेखा कर देते है जिसके कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जानिए किन लोगों को नहीं पहनना चाहिए लोहे का छल्ला और क्या है इसे पहनने की विधि।
किन लोगों को नहीं पहनना चाहिए लोहे का छल्ला
जिन लोगों की कुंडली में बुध, सूर्य और शुक्र एक साथ हो, तो लोहे का छल्ला धारण करने से नुकसान ही नुकसान होता है। ग्रहों की ऐसी स्थिति में चांदी का छल्ला पहनना लाभकारी होगा।
अगर किसी जातक की कुंडली के 12वें भाव में बुध और राहु एक साथ हो या फिर दोनों अलग-अलग भाव में नीच स्थिति में है, तो अंगुली में लोहे का छल्ला बिल्कुल भी नहीं पहनना चाहिए। वहीं अगर कुंडली में राहु और बुध की स्थिति मजबूत है, तो लोहे का छल्ला पहनना लाभकारी सिद्ध हो सकता है।
जिन लोगों की कुंडली में शनि शुभ फल दे रहा है, तो उन लोगों को भी लोहे का छल्ला पहनने से बचना चाहए। ऐसी स्थिति में लोहे का छल्ला पहनने से शनि की स्थिति खराब हो सकती है।
किस तरह लोहे का छल्ला पहनना होगा लाभकारी
लोहे के छल्ले को पहनने से पहले पंडित को कुंडली जरूर दिखा लें कि आपको छल्ला पहनना शुभ होगा कि नहीं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, लोहे के छल्ले को हमेशा शनिवार के दिन शाम के समय ही धारण करनी चाहिए, क्योंकि शनिवार का दिन शनिदेव का माना जाता है। शनिवार के अलावा लोहे का छल्ला रोहिणी, पुष्य, अनुराधा और उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में भी पहन सकते हैं।
कैसे धारण करें लोहे का छल्ला
लोहे का छल्ला पहनने से पहले शनिवार के दिन सुबह उठकर स्नान आदि करके साफ सुथरे वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद शनिदेव का स्मरण करते हुए बीज मंत्र का उच्चारण करें। इसके बाद दाएं हाथ की मध्यमा अंगुली में धारण कर लें, क्योंकि मध्यमा अंगुली को शनि की अंगुली कहा जाता है।