हर किसी की चाहत होती है कि उनका बच्चा अच्छे से पढ़ाई-लिखाई करे। इसके लिए लोग कई तरह के उपाय भी करते हैं। लेकिन हर बार इसमें सफलता नहीं मिलती। वास्तु शास्त्र की मानें तो बच्चों का पढ़ाई-लिखाई में मन नहीं लगने की वजह वास्तुदोष भी हो सकता है। जी हां, कहते हैं कि घर पर वास्तुदोष होने की स्थिति में बच्चे पढ़ाई-लिखाई में अपना मन नहीं लगा पाते। आज हम इसी बारे में विस्तार से बात करने जा रहे हैं। हम आपको यह भी बताएंगे कि इन वास्तुदोषों को दूर करने के लिए किस तरह के उपाय किए जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि वास्तुदोष ठीक करके बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में दिलचस्पी जगाई जा सकती है।
वास्तु शास्त्र की मानें तो स्टडी रूम घर की पश्चिम या दक्षिण दिशा में होना चाहिए। मान्यता है कि इस दिशा में स्थित कमरे में पढ़ाई करने से चीजें जल्दी-जल्दी याद होती चली जाती हैं। ऐसा भी कहा गया है कि स्टडी रूम की दीवारों का रंग बहुत गाढ़ा नहीं होना चाहिए। कहते हैं कि हल्के कलर की दीवारों से बने घर में मन एकाग्रचित रहता है। वास्तु शास्त्र में स्टडी रूम में टेलीविजन, टेलीफोन और मोबाइल जैसी चीजों को रखने के लिए मना किया गया है। ऐसा माना जाता है कि इन चीजों से मन भटकने लगता है और पढ़ाई अच्छी नहीं हो पाती।
कुछ लोगों के स्टडी रूम से टॉयलेट या बाथरूम जुड़ा होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार पढ़ाई करते वक्त टॉयलेट और बाथरूम का दरवाजा बंद रखना चाहिए। कहते हैं कि स्टडी टेबल कमरे के कोने में नहीं होना चाहिए। इससे पढ़ाई में बाधा पहुंचने की मान्यता है। स्टडी टेबल के लिए सेंटर वाली जगह को सही बताया गया है। वास्तु शास्त्र के अनुसार पढ़ाई करते वक्त बच्चे का मुंह पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए। इसके साथ ही स्टडी रूम में सरस्वती माता और गणेश जी की तस्वीर लगाना बेहतर माना जाता है।