आपने अपने आस-पास कई लोगों को ‘कछुए की अंगूठी’ पहने हुए देखा होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि लोग यह अंगूठी क्यों पहनते हैं? इसे पहनने के क्या लाभ बताए गए हैं? यदि नहीं तो आज हम आपको इस बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं। ऐसा कहा जाता है कि ‘कछुए की अंगूठी’ धारण करने से सकारात्मकता आती है। मान्यता है कि इसे धारण करने वाले लोग काफी सकारात्मक होते हैं और अपने जीवन में काफी प्रगति करते हैं। इसके साथ ही ‘कछुए की अंगूठी’ को उन्नति का प्रतीक भी माना गया है। ‘कछुए की अंगूठी’ के बारे में यह धारणा है कि जो व्यक्ति इसे धारण करता है, उसे अपने जीवन में असफलताओं का मुंह नहीं देखना पड़ता।

मालूम हो कि भगवान विष्णु का संबंध कछुए से बताया गया है। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति ‘कछुए की अंगूठी’ को धारण करता है, उस पर विष्णु जी का आशीर्वाद बना रहता है। कछुए का उल्लेख संमुद्र मंथन के प्रसंग में भी मिलता है। बताते हैं कि संमुद्र मंथन के दौरान माता लक्ष्मी के साथ कछुआ भी प्रकट हुआ था। तभी से कछुए को काफी विशेष और शुभ माना जाता है। कछुआ लक्ष्मी मां का प्रिय बताया गया है। यह धारणा है कि ‘कछुए की अंगूठी’ पहनने से व्यक्ति को उसके जीवन में कभी भी धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है।

ध्यान रहे कि ‘कछुए की अंगूठी’ को शुक्रवार के दिन धारण करना शुभ माना गया है। ऐसा कहते हैं कि शुक्रवार के अलावा किसी और दिन इसे धारण करने से इसका विशेष लाभ प्राप्त नहीं होता। मान्यता है कि बाजार से ‘कछुए की अंगूठी’ खरीदने के बाद उसे घर लाकर लक्ष्मी जी की तस्वीर या मूर्ति के सामने कुछ समय तक रख देना चाहिए। इसके बाद इसे दूध और पानी के मिश्रण से धोएं और अंत में इसकी अगरबत्ती कर इसे धारण कर लें। बता दें कि इसे सीधे हाथ की मध्यमा या तर्जनी अंगुली में ही पहनना शुभ माना गया है।