कहते हैं कि भगवान कण-कण में वास करते हैं। भगवान की पूजा किसी भी जगह पर की जा सकती है। लेकिन मंदिर में देवी-देवता की पूजा करने के ढेरों लाभ बताए गए हैं। आज हम आपको बताएंगे कि शिव मंदिर में भगवान शंकर की पूजा के क्या लाभ बताए गए हैं। इसके साथ ही शिव मंदिर में भगवान शंकर की पूजा करने की अलग-अलग विधियों के बारे में भी बात की जाएगी। ऐसा कहा जाता है कि शिव मंदिर में पूजा करने से परिवार की कलह समाप्त होती है। हालांकि इसके लिए ऐसे शिव मंदिर में जाने की बात कही गई है जहां पर पूरा शिव परिवार हो।

ऐसा कहा जाता है कि भगवान शंकर संसार की समस्त वस्तुओं के दाता हैं। धन-सम्पत्ति हासिल करने के लिए शिव मंदिर में की कई पूजा काम आती है। इसके लिए नंगे पांव शिव मंदिर जाने की मान्यता है। इसके बाद शिवलिंग पर इत्र की धारा या फिर गन्ने के रस का अभिषेक करना चाहिए। इत्र या गन्ने के रस से शिवलिंग का अभिषेक करते समय आप महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी कर सकते हैं। कहते हैं कि शिव मंदिर में सरसों के तेल के 6 दीपक जलाने से घर की दरिद्रता दूर होती है और परिवार में सुख-शांति आती है।

पुराणों में इस बात का वर्णन किया गया है कि शिव जी ने रावण को भी सोने से बना महल दे दिया था। यानी कि शिव जी अपने सच्चे भक्त की मनोकामनाओं की पूर्ति अवश्य करते हैं। मालूम हो कि धनप्राप्ति के लिए फूलों से बने शिवलिंग की भी पूजा की जाती है। कहते हैं कि इससे आय के स्रोतों में वृद्धि होती है और कार्यस्थल पर सम्मान बढ़ता है। ऐसी मान्यता है कि अमावस्या के दिन श्मशान घाट के पास स्थित शिव मंदिर में जाना चाहिए। इसके बाद उस मंदिर के शिवलिंग पर दूध और शहद की धारा से अभिषेक करना चाहिए। इससे व्यापार में आने वाली बाधाओं के खत्म होने की मान्यता है।