प्रत्येक धर्म में कुछ शुभ चिह्न माने गए हैं। इन शुभ चिह्नों का प्रयोग पूजा-पूजा में खूब किया जाता है। किसी नए कार्य की शुरुआत करने से पहले भी लोग इन शुभ चिह्नों का प्रयोग करते हैं। मान्यता है कि इससे नए कार्य में सफलता मिलने की संभावना काफी बढ़ जाती है। हिंदू धर्म की बात करें तो इसमें स्वस्तिक, कलश, ऊँ और शुभ लाभ जैसे कई शुभ चिह्न हैं। हम आपको इस बारे में बारी-बारी से बताने जा रहे हैं कि इनका इस्तेमाल करने से क्या लाभ मिलने की मान्यता है।

स्वस्तिक: स्वस्तिक का संबंध वास्तु से माना गया है। स्वस्तिक की बनावट ऐसी होती है कि यह हर दिशा से एक जैसा ही दिखता है। मान्यता है कि स्वस्तिक बनाने से घर के समस्त वास्तु दोष दूर हो जाते हैं। स्वस्तिक में भगवान गणेश और देवर्षि नारद की शक्तियां समाहित होने की बात कही गई है। पीले रंग का स्वस्तिक काफी शुभ माना गया है।

ऊँ: ऊँ को ईश्वर का सबसे बड़ा नाम माना गया है। ऊँ की उत्पत्ति अ, उ, म से मिलकर हुई है। सभी वेद मंत्रों के उच्चारण से पहले ऊँ का उच्चारण जरूरी माना गया है। माना गया है कि ऊँ में सृजन, पालन और संहार की शक्तियां समाहित होती हैं।

शुभ-लाभ: शास्त्रों में शुभ और लाभ को भगवान गणेश का पुत्र माना गया है। कहते हैं कि इन दोनों में कुबेर की शक्तियां समाहित हैं। समस्त यज्ञों की उत्पत्ति शुभ-लाभ से हुई मानी जाती है। शुभ-लाभ में सिद्धि, विद्या, सुमति और संपत्ति का निवास बताया गया है।

कलश: कलश में अमृत और वरुण देवता का वास माना जाता है। घर के मुख्य द्वार पर पंचपल्लव और श्रीफल युक्त कलश की स्थापना को शुभ माना गया है। मान्यता है कि इससे कार्य में सफलता प्राप्ति के योग बनते हैं।