रावण के बारे में लोग आम धारणा ये है कि लोग इनकी पूजा नहीं करते हैं। कहते हैं कि भारत में कुछ स्थान ऐसे भी हैं जहां रावण दहन नहीं किया जाता, बल्कि इनकी पूजा की जाती है। यह बात सुनने में थोड़ा अटपटा सा लग सकता है। लेकिन मान्यता यही है कि कुछ जगहों पर आज भी रावण की पूजा की जाती है। इनमें से कुछ जगह तो ऐसी भी हैं जहां के लोग रावण को अपना रिश्तेदार मानते हैं। इसलिए वे रावण का दहन नहीं, पूजा करते हैं।
कुछ जगहों पर रावण के पांडित्य के कारण भी इसे पूजा जाता है। आगे जानते हैं उस स्थान के बारे में जहां रावण की पूजा की जाती है। उत्तर प्रदेश में गौतमबुद्ध नगर जिले के बिसरख गांव में रावण का मंदिर निर्माणाधीन है। मान्यता है कि गाजियाबाद शहर से करीब 15 किलोमीटर दूर बिसरख गांव रावण का ननिहाल था। नोएडा के शासकीय गजट में रावण के साक्ष्य का उल्लेख किया गया है। कहते हैं कि इस गांव का नाम पहले विश्रवा था जो रावण के पिता विश्रवा के नाम पर पड़ा। बाद में इसे बिसरख कहा जाने लगा।
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इसके अलावा जोधपुर शहर में भी रावण का मंदिर है। यहां के दवे, गोधा और श्रीमाली समाज के लोग रावण की पूजा-अर्चना करते हैं। यहां के लोग मानते हैं कि जोधपुर रावण का ससुराल था। साथ ही कुछ लोग यह भी मानते हैं कि रावण के वध के बाद उनके वंशज यहां आकर बस गए थे। ये लोग खुद जो रावण का वंशज मानते हैं। वहीं मध्यप्रदेश के मंदसौर में भी रावण की पूजा की जाती है। कहते हैं कि मंदसौर नगर के खानपुरा क्षेत्र रुंडी नमक स्थान पर रावण की विशालकाय प्रतिमा लगी है। किंवदंती है कि रावण दशपुर यानि मंदसौर का दामाद था। इसलिए रावण की पत्नी मंदोदरी के नाम पर इस स्थान का नाम मंदसौर पड़ा। यहां भी रावण की पूजा बड़े भक्ति-भाव से की जाती हैं। इसी प्रकार ऐसे कई स्थान हैं जहां आज भी रावण की पूजा की जाती है।
