भगवान शिव से जुड़े कई प्रसंग बड़े ही प्रसिद्ध हैं। इन प्रसंगों को आए दिन शिव भक्तों के बीच में साझा किया जाता रहता है। आज हम भी आपके लिए शिव जी का एक बड़ा ही रोचक प्रसंग लेकर आए हैं। इस प्रसंग में उस घटनाक्रमा का जिक्र किया गया है जब रावण ने छल करते हुए शिव जी से दक्षिणा के रूप में सोने का महल मांग लिया था। यही सोने का महल आगे चलकर सोने की लंका के नाम से विख्यात हुआ। कहते हैं कि एक बार पार्वती माता ने शिव जी से सोने का महल बनावाने की इच्छा प्रकट की थी। शिव जी ने पार्वती की इच्छा पूरा करने के लिए कुबेर से सोने के महल का निर्माण कराया। इससे पार्वती जी बहुत ही प्रसन्न हुईं।
बताते हैं कि रावण सोने के इस महल पर मोहित हो गया था। वह इसे हासिल करने के उपाय सोचने लगा और एक योजना बनाई। रावण ने अपनी योजना के मुताबिक ब्राह्मण का वेश धारण किया और शिव जी के पास पहुंचा। कहते हैं कि रावण ने सोने के महल में शिव-पार्वती के नाम से पूजा करवाई। इसके बाद रावण ने शिव से सोने का महल ही दक्षिणा के रूप में मांग लिया। शिव उस ब्राह्मण का असली रूप नहीं समझ पाए और सोने की लंका दक्षिणा के रूप में दे दी।
प्रसंग के मुताबिक रावण को विचार आया कि यह महल पार्वती जी की इच्छा पर बना है, इसलिए उनके बिना यह अच्छा नहीं लगेगा। इस पर रावण ने शिव से पार्वती को ही मांग लिया। शिव जी ने यह मांग भी पूरी कर दी। बताते हैं कि यहां पर माता पार्वती की रक्षा के लिए विष्णु जी आगे आए थे। वहीं, शिव ने पार्वती को वचन दिया कि त्रेतायुग में वह वानर रूपी हनुमान का अवतार लेंगे और पार्वती उनकी पूंछ में विराजमान होंगी। और फिर सीता माता की खोज के दौरान सोने का महल जलाकर रावण को दंडित किया जाएगा। ऐसा हुआ भी।