आर्थिक ज्योतिष के अंतर्गत शेयर बाजार की गणना की जाती है। किसी भी कुंडली में पंचम, अष्टम और एकादश भाव से आकस्मिक धनलाभ होता है। शेयर बाजार में लाभ मिलने के लिए यह जरूरी है कि आपकी कुंडली का पंचम भाव काफी मजबूत हो। कुंडली के पंचम भाव के कमजोर होने पर धनलाभ हो पाना असम्भव माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहु और चंद्रमा से शेयर बाजार के लाभ और हानि निर्धारित होते हैं। शेयर बाजार पर बृहस्पति और बुध का भी असर पड़ने की बात कही जाती है। कहते हैं कुंडली में बृहस्पति और बुध की दशा सही होने पर व्यक्ति बड़ी सफलता हासिल करता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब कोई ग्रह वक्री होता है या फिर जब किसी ग्रह का उदय या अस्त होता है, ऐसी दशा में शेयर बाजार पर इसका सीधा असर पड़ता है। ज्योतिष के अनुसार शेयर बाजार में लाभ पाने के लिए यह जरूरी है कि आपकी कुंडली में राहु की दशा मजबूत हो। वहीं, बृहस्पति के मजबूत होने पर व्यक्ति को कॉमोडिटी के बाजार में लाभ मिलने की मान्यता है। यह माना जाता है कि जिस व्यक्ति की कुंडली में बुध की दशा मजबूत होती है, वह शेयर संबंधी अच्छी सलाह देता है। हालांकि खुद शेयर बाजार में बहुत सफल नहीं हो पाता। बता दें कि कुंडली में सूर्य-राहु, चंद्र-राहु या गुरु-राहु का योग होने पर शेयर बाजार से दूर रहने के लिए कहा जाता है।

ज्योतिष शास्त्र में सूर्य का संबंध राज्य कोष, म्यूच्युअल फंड, लकड़ी और औषधि से बताया गया है। चंद्रमा का संबंध कपास, शीशा, दूध और जलीय वस्तुओं से है। मंगल का संबंध चाय, खनिज पदार्थ, भूमि व भवन और कॉफी से होता है। बुध का संबंध- आयात-निर्यात, बैंकिंग, शैक्षणिक संस्थान और सलाहकारिता। बृहस्तपति का संबंध- पीले अनाज, आर्थिक क्षेत्र, सोना और पीतल। शुक्र का संबंध- चीनी, चावल, सौंदर्य प्रसाधन, फिल्म इंडस्ट्री और केमिकल। शनि का संबंध- काली वस्तुएं, फैक्ट्री, इंडस्ट्री, लोहा, पेट्रोलियम और चमड़ा। राहु और केतु का संबंध- बाजार के उतार-चढ़ाव, विदेशी वस्तुओं और इलेक्ट्रॉनिक्स से है।