10 Mukhi Rudraksha Benefits: पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार रुद्राक्ष उत्पत्ति भोलेनाथ के आंसुओं से मानी जाती है। साथ ही रुद्राक्ष धारण करने से भगवान शिव की विशेष कृपा व्यक्ति के ऊपर रहती है। वहीं शास्त्रों में मुख्यतय 14 प्रकार के रुद्राक्षों का वर्णन मिलता है। वहीं रुद्राक्ष जाबालोपनिषद् के अनुसार इसे यमराज और दस दिक्पालों, यानि दस दिशाओं के स्वामी का वरदान प्राप्त है। यहां हम बात करने जा रहे हैं दस मुखी रुद्राक्ष के बारे में, जिसका संबंध शनि ग्रह से है। आइए जानते हैं दस मुखी रुद्राक्ष के बारे में और किन राशि वालों को यह पहनना चाहिए और इनकी पहचान…
दस मुखी रुद्राक्ष के लाभ
वैदिक ज्योतिष अनुसार जब कुंडली में जब शनि नकारात्मक स्थित होते हैं तो व्यक्ति काम- कारोबार के लिए परेशान रहता है। साथ ही व्यक्ति को मेहनत तो बहुत करता है पर उसको उसका फल प्राप्त नहीं होता है। यदि आपके साथ भी ऐसा ही कुछ है तो इस समस्या से मुक्ति और अच्छा जॉब पाने के लिए 10 मुखी रूद्राक्ष शनिवार के दिन काले धागे में गले में धारण करें। अगर आपके ऊपर शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही है तो भी आप दस मुखी रुद्राक्ष पहन सकते हैं।
कोर्ट- कचहरी के मामलों में मिल सकती है विजय
वहीं 10 मुखी रुद्राक्ष मुख्य रूप से जादू-टोने और भूत-प्रेत के भय से बचाने के लिए बड़ा ही लाभकारी है। वहीं जिन लोगों को अनिद्रा की शिकायत रहती हो वो लोग भी 10 मुखी रुद्राक्ष पहन सकते हैं। साथ ही व्यक्ति को संसार में प्रसिद्धि और सम्मान प्राप्त होता है। साथ ही इसे धारण करने से शांति और सौंदर्य भी मिलता है। मकर और कुंभ राशि वालों के लिए यह धारण करना ज्यादा लाभकारी रहता है। इसके साथ ही किसी तरह की कानूनी परेशानी से बचने के लिये या बिजनेस के चुनाव में आ रही परेशानियों से बचने के लिये भी 10 मुखी रुद्राक्ष का उपयोग किया जा सकता है।
रुद्राक्ष धारण की सही विधि
रुद्राक्ष को सोमवार के दिन, मास की शिवरात्रि, प्रदोष व्रत के दिन धारण कर सकते हैं। रुद्राक्ष को धारण करने से पहले उसको पंचामृत से शुद्ध करना चाहिए। साथ ही शिवलिंग से स्पर्श कराकर ही रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। ऐसा करने से उसका पूर्ण फल प्राप्त होता है।