पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार रुद्राक्ष के जन्मदाता स्वयं भगवान शिव को माना जाता है। इसका प्रमाण स्कन्द पुराण, शिव पुराण आदि ग्रन्थों में मिलता है। माना जाता है रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई है और इनको प्राचीन काल से ही आभूषण की तरह पहना गया है।
यहां हम बात करने जा रहे हैं दस मुखी रुद्राक्ष के बारे में, जिसका संबंध शनि ग्रह से है। आइए जानते हैं दस मुखी रुद्राक्ष के बारे में और किन राशि वालों को यह पहनना चाहिए और इनकी पहचान…
दस मुखी रुद्राक्ष का महत्व और लाभ:
जन्मकुंडली में जब शनि खराब होते हैं तो व्यक्ति रोजगार के लिए परेशान रहता है। साथ ही व्यक्ति को मेहनत के अनुरूप सफलता नहीं मिल पाती। यदि आपके साथ भी ऐसा ही कुछ है तो इस समस्या से मुक्ति और अच्छा जॉब पाने के लिए 10 मुखी रूद्राक्ष शनिवार के दिन काले धागे में गले में धारण करें। अगर आपके ऊपर शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही है तो भी आप दस मुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं।
इन लोगों के लिए रहता है अत्यंत लाभकारी:
वैसे तो एक मुखी रुद्राक्ष कोई भी धारण कर सकता है। लेकिन एक मुखी रुद्राक्ष का संबंध शनि देव से है। इसलिए मकर और कुंभ राशि वालों के लिए यह धारण करना ज्यादा फायदेमंद रहता है। या जिन लोगों की कुंडली में शनि ग्रह नकारात्मक या अशुभ स्थिति में विराजमान है तो वो लोग भी दस मुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं। नवग्रह की शांति और वास्तु दोषों को मिटाने में भी 10 मुखी रुद्राक्ष फायदेमंद है। इसके साथ ही किसी तरह की कानूनी परेशानी से बचने के लिये या बिजनेस के चुनाव में आ रही परेशानियों से बचने के लिये भी 10 मुखी रुद्राक्ष का उपयोग किया जा सकता है। वहीं जिन लोगों को अज्ञात भय रहता है वो लोग भी दस मुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं।
दस मुखी रुद्राक्ष की पहचान:
रुद्राक्ष की पहचान उसमें पड़ी धारियों के आधार पर की जाती है। जिस रुद्राक्ष में जितनी धारियां पड़ी होती हैं, वह उतने ही मुखी रुद्राक्ष कहलाता है। इस आधार पर जिस रुद्राक्ष में दस धारियां, यानी दस लाइन्स पड़ी होती हैं, वो दस मुखी रुद्राक्ष कहलाता है। दस मुखी रुद्राक्ष नेपाल और इंडोनेशिया का आता है। लेकिन सबसे फाइन क्वालिटी नेपाल के रुद्राक्ष की मानी जाती है।