Teen Mukhi Rudraksh ke Labh: पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार रुद्राक्ष के जन्मदाता स्वयं भगवान शिव को माना जाता है। इसका प्रमाण स्कन्द पुराण, शिव पुराण आदि ग्रन्थों में मिलता है। माना जाता है रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई है और इनको प्राचीन काल से ही आभूषण की तरह पहना गया है।

यहां हम बात करने जा रहे हैं तीन मुखी रुद्राक्ष के बारे में, जिसका संबंध मंगल ग्रह से है। वहीं तीन मुखी रुद्राक्ष को ब्रह्रा, विष्णु और महेश का प्रतीक माना जाता है। आइए जानते हैं 3 मुखी रुद्राक्ष के बारे में और किन राशि वालों को यह पहनना चाहिए और इनकी पहचान…

3 मुखी रुद्राक्ष का महत्व और लाभ:

तीन मुखी रुद्राक्ष को त्रिशक्तियों का प्रतीक माना जाता है। ऐसा ऐसा कहा जाता है कि तीन मुखी रुद्राक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता हैं। इसे गले में धारण करने से व्यक्ति को कई प्रकार की शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती हैं। व्यक्ति का मन शुद्ध रहता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार तीन मुखी रुद्राक्ष गले में धारण करने से मंगल और सूर्य से संबंधित दोषों का नाश होता हैं। तीन मुखी रुद्राक्ष गले में धारण करने से चेहरे का तेज बढ़ता है और बल की वृद्धि होती हैं। विद्यार्थियों के लिए रुद्राक्ष पहनना बेहद लाभकारी होता है। ऐसी मान्यता है कि छात्रों को रुद्राक्ष धारण करने से उनमें ऊर्जा और साहस की बढ़ोतरी होती हैं।

इस राशि के लोगों के लिए रहता है अत्यंत लाभकारी:

वैसे तो एक मुखी रुद्राक्ष कोई भी धारण कर सकता है। लेकिन एक मुखी रुद्राक्ष का संबंध मंगल देवता से है। इसलिए मेष और वृश्चिक राशि वालों के लिए यह धारण करना ज्यादा फायदेमंद रहता है। या जिन लोगों की कुंडली में मंगल ग्रह नकारात्मक या अशुभ स्थिति में विराजमान है तो वो लोग भी 3 मुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं।

तीन मुखी रुद्राक्ष की पहचान:

जो असली रुद्राक्ष होता है उसके फल में प्राकृतिक रूप से छेद होते हैं। जबकि भद्राक्ष में छेद करके रुद्राक्ष का आकार दिया जाता है।
– असली रुद्राक्ष को सरसों के तेल में डुबाने से वह रंग नहीं छोड़ता है जबकि नकली रुद्राक्ष रंग छोड़ देता है।
– असली रुद्राक्ष पानी में डुबाने पर वह डूब जाता है , जबकि नकली रुद्राक्ष तैरता रहता है।
-असली रुद्राक्ष को पहचाने के लिए उसे किसी नुकिली चीज से कुरेदने पर अगर उसमें से रेशा निकलता हो तो वह असली रुद्राक्ष होता है।