हमारे समाज में लहसुन और प्याज खाने को लेकर कई तरह के मत हैं। कोई इनको राक्षसी भोजन बताता है तो कोई तामसिक। आपको बात दें कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का एक सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो रहा है। जिसमें एक भक्त उनसे पूछ रहा है कि प्याज और लहसुन में औषधीय गुण होते हैं। लेकिन फिर भी शास्त्रों में इनको खाने से मना किया गया है।
इस प्रश्न के उत्तर देते हुए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद बता रहे हैं कि ये जरूरी नहीं कि जो औषधीय गुण प्याज में हो वो किसी अन्य चीज में न हो। इसलिए जो औषधीय गुण प्याज में मौजूद हैं वो अन्य चीज से ग्रहण किए जा सकते हैंं। साथ ही उन्होंने कहा कि प्याज और लहसुन तमोगुण को बढ़ाने वाले हैं और भगवान की साधना करता है वह अपने अंदर सात्विक छवि को बिठाना चाहता है। क्योंकि सात्विक अंंत:करण में हमको परमात्मा की छवि दिखाई देती है। इसलिए ये चीज उनके लिए बताई गई है, जो भगवान का साक्षात्कार करना चाहते हैं।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने आगे कहा कि कई ऐसे शास्त्र हैं जिसमें प्याज और लहसुन का सेवन निषेध बताया गया है, जैसे वशिष्ठ स्मृति है। जिसमें कहा गया है कि प्याज और लहसुन नहीं खाना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि जो लोग व्रत रखते हैं वो लोग प्याज और लहसुन का सेवन नहीं करें। साथ ही उन्होंने कहा कि जो लोग प्याज और लहसुन खाते हैं उनके अंदर तमोगुण का संचार हो जाता है। जिससे भगवान के प्रति जो विचार आ रहे हैं, वो नहीं आते हैं। इसलिए इसका सेवन खासकर व्रती लोगों को नहीं करना चाहिए।
जानिए कौन हैं स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द जी का जन्म उत्तर प्रदेश में प्रतापगढ़ जिले में हुआ है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का मूलनाम उमाशंकर है। प्राथमिक शिक्षा स्वामी जी की प्रतापगढ़ जिले में ही हुई। इसके बाद काशी के केदारखंड में रहकर उन्होंने बचपन में संस्कृत भाषा सीखी। साथ ही स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से शास्त्री और आचार्य किया। वहीं स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद स्वर्गलोक वासी जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के विशेष प्रतिनिधि रहे हैं।
ज्योतिष पीठ बद्रीनाथ का बनाया प्रमुख
कुछ दिन पहले 11 सितंबर 2022 को शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपा नंद सरस्वती महाराज का निधन हो गया था। जिसके बाद उनके उत्तराधिकारी का ऐलान कर दिया गया। आपको बात दें कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को ज्योतिष पीठ बद्रीनाथ का प्रमुख बनाया गया है। इनके नाम की घोषणा शंकराचार्य जी के पार्थिव देह के सामने की गई।