Surya Stotra And Surya Raksha Kavach in Hindi: सूर्य देव को हमारी जिंदगी का आधार माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि उनकी ऊर्जा से ही पूरी दुनिया चलती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रविवार के दिन सूर्यदेव का व्रत रखने और उनकी विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने से मान-सम्मान, सफलता और खुशहाली मिलती है। साथ ही सेहत भी अच्छी रहती है और हर तरह की परेशानियां दूर होती हैं। वहीं ज्योतिष में रविवार के दिन सूर्य रक्षा कवच और सूर्य स्त्रोत का पाठ करना बहुत फायदेमंद माना गया है। मान्यता है कि सूर्य रक्षा कवच इंसान को हर मुश्किल और परेशानी से बचाता है। वहीं, सूर्य स्त्रोत में सूर्य देव के खास नामों का जिक्र है, जो जीवन में खुशियां और तरक्की लाते हैं। इसके साथ ही इस दिन आपको सूर्यदेव के मंत्रों का भी जाप जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से घर में खुशियां आती हैं। ऐसे में आइए यहां पढ़ते हैं सूर्य स्त्रोत, सूर्य रक्षा कवच और सूर्यदेव के मंत्र।
सूर्य स्त्रोत (Surya Stotra)
विकर्तनो विवस्वांश्च मार्तण्डो भास्करो रविः।
लोक प्रकाशकः श्री मांल्लोक चक्षुर्मुहेश्वरः॥
लोकसाक्षी त्रिलोकेशः कर्ता हर्ता तमिस्रहा।
तपनस्तापनश्चैव शुचिः सप्ताश्ववाहनः॥
गभस्तिहस्तो ब्रह्मा च सर्वदेवनमस्कृतः।
एकविंशतिरित्येष स्तव इष्टः सदा रवेः॥
‘विकर्तन, विवस्वान, मार्तण्ड, भास्कर, रवि, लोकप्रकाशक, श्रीमान, लोकचक्षु, महेश्वर, लोकसाक्षी, त्रिलोकेश, कर्ता, हर्त्ता, तमिस्राहा, तपन, तापन, शुचि, सप्ताश्ववाहन, गभस्तिहस्त, ब्रह्मा और सर्वदेव नमस्कृत- इस प्रकार इक्कीस नामों का यह स्तोत्र भगवान सूर्य को सदा प्रिय है।
सूर्य रक्षा कवच (Surya Raksha Kavach)
याज्ञवल्क्य उवाच
श्रणुष्व मुनिशार्दूल सूर्यस्य कवचं शुभम्।
शरीरारोग्दं दिव्यं सव सौभाग्य दायकम्।1।
देदीप्यमान मुकुटं स्फुरन्मकर कुण्डलम।
ध्यात्वा सहस्त्रं किरणं स्तोत्र मेततु दीरयेत् ।2।
शिरों में भास्कर: पातु ललाट मेडमित दुति:।
नेत्रे दिनमणि: पातु श्रवणे वासरेश्वर: ।3।
ध्राणं धर्मं धृणि: पातु वदनं वेद वाहन:।
जिव्हां में मानद: पातु कण्ठं में सुर वन्दित: ।4।
सूर्य रक्षात्मकं स्तोत्रं लिखित्वा भूर्ज पत्रके।
दधाति य: करे तस्य वशगा: सर्व सिद्धय: ।5।
सुस्नातो यो जपेत् सम्यग्योधिते स्वस्थ: मानस:।
सरोग मुक्तो दीर्घायु सुखं पुष्टिं च विदंति ।6।
सूर्यदेव के मंत्र (Surya Dev Mantra)
ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य:
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा.
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:
ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः
ॐ सूर्याय नम:
ॐ घृणि सूर्याय नम:
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