sun connection with disease: वैदिक ज्योतिष में 9 ग्रहों का वर्णन मिलता है। साथ ही वैदिक ज्योतिष में इन 9 ग्रहों से संबंधित रोगों का जिक्र मिलता है। साथ ही सूर्य ग्रह जन्म कुंडली में पिता का प्रतिनिधित्व करता है। जबकि किसी महिला की कुंडली में यह उसके पति के जीवन के बारे में बताते हैं। वहीं अगर हम नौकरी की बात करें तो सेवा क्षेत्र में सूर्य उच्च व प्रशासनिक पद तथा समाज में मान-सम्मान को प्रदर्शित करते हैं। साथ ही यह लीडर (नेतृत्व करने वाला) का भी प्रतिनिधित्व करता है। यदि सूर्य की महादशा चल रही हो तो रविवार के दिन जातकों को अच्छे फल मिलते हैं। सूर्य सिंह राशि का स्वामी है और मेष राशि में यह उच्च होता है, जबकि तुला इसकी नीच राशि है। वहीं हम यहां बताने जा रहे हैं कि सूर्य के जन्मकुंडली में अशुभ होने से कौन से रोग व्यक्ति को होते हैं और उनके उपाय… आइए जानते हैं…

सूर्य देव से होने वाले रोग

1- नेत्र रोग

सूर्य मुख्यतः नेत्र ज्योति का कारक होता है। कुंडली में सूर्य अगर नकारात्मक या अशुभ बैठा हो व्यक्ति को नेत्र रोग का सामना करना पड़ता है। वहीं अगर सूर्य देव कुंडली के दूसरे भाव में नीच या अशुभ विराजमान हो तो व्यक्ति को आंखों से संबंधित परेशानी हो सकती है। ज्योतिष में छठे भाव से रोग का विचार किया जाता है और ऐसे में जब सूर्य चंद्र शत्रु रूप में और रोगकारक ग्रह मिलकर इस भाव को प्रभावित करते हैं तो जातक को आंख में समस्या होने लगती है।

2- ह्रदय रोग

वैदिक ज्योतिष अनुसार ह्रदय रोग भी सूर्य देव ही देते हैं। आपको बता दें कि कुंडली में सूर्य देव अगर पीडित हो और उनका संबंध चतुर्थ स्थान से बन रहा हो तो व्यक्ति ह्रदय रोग हो सकते हैं। वहीं सूर्य देव अगर नीच या अशुभ चतुर्थ भाव में स्थित हो तो भी व्यक्ति को ह्रदय रोग हो सकते हैं। वहीं छठे स्थान में अगर सूर्य के नीच के या सूर्य के साथ शनि देव नीच के हो व्यक्ति को ह्रदय रोग का सामना करना पड़ता है। 

3- हड्डियों से जुड़ी समस्या 

सूर्य हड्डियों की मजबूती से सीधा संबंध रखता है. सूर्य के कारण विटामिन डी की कमी हो सकती है। इसलिए कुंडली में सूर्य देव के नीच के होने से व्यक्ति को हड्डियों से संबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 

करें ये उपाय

1- रव‍िवार के द‍िन आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ करें। साथ ही ‘ऊं सूर्याय नम:,’ ‘ऊं ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः,’ ‘ऊं घृणि: सूर्यादित्योम’ और ‘ऊं ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय: नम:’ मंत्रों से सूर्य देवता की उपासना कर सकते हैं। 

2-रविवार को तांबा और गेहूं का दान किसी जरूरतमंद या गरीब को करना चाहिए।

3-प्रतिदिन सूर्य देव को जल चढ़ाना चाहिए। सूर्य देव को जल तांबे के पात्र में पिसी हुई हल्दी डालकर चढ़ाना चाहिए। 

4- वहीं कुंडली का विश्लेषण कराकर माणिक्य रत्न धारण करें।