Surya Grahan or Solar Eclipse June 2021 Date and Time in India: साल 2021 का दूसरा ग्रहण 10 जून को लगने जा रहा है जो एक सूर्य ग्रहण होगा। धार्मिक दृष्टि से भले ही ग्रहण लगना शुभ नहीं माना जाता हो लेकिन इस खगोलीय घटना का दीदार करने के लिए हर कोई उत्सुक रहता है। आपको बता दें कि ये वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा जिसमें चंद्रमा सूर्य को इस तरह से ढकेगा जिससे सूर्य का बाहरी हिस्सा प्रकाशमान रह जायेगा और मध्य हिस्सा पूरी चरह से ढक जाएगा। इस स्थिति में सूर्य एक आग की अंगूठी की तरह नजर आयेगा। जानिए इस अद्भुत सूर्य ग्रहण से जुड़ी खास बातें…
कब और कहां लगेगा सूर्य ग्रहण? सूर्य ग्रहण 10 जून को दोपहर 1 बजकर 42 मिनट से शुरू होगा जिसकी समाप्ति शाम 6 बजकर 41 मिनट पर होगी। उत्तरी अमेरिका के उत्तरी भाग में, उत्तरी कनाडा, यूरोप और एशिया में, ग्रीनलैंड और रुस के अधिकांश हिस्सों में इसे देखा जा सकेगा। कनाडा, ग्रीनलैंड तथा रूस में वलयाकार सूर्य ग्रहण दिखाई देगा। वहीं उत्तर अमेरिका के अधिकांश हिस्सों, यूरोप और उत्तर एशिया में आंशिक सूर्य ग्रहण दृश्य होगा।
भारत में इन जगहों पर दिखेगा आंशिक सूर्य ग्रहण- अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने एक इंटरैक्टिव मैप जारी किया है जिसमें यह बताया गया है कि सूर्य ग्रहण कहां- कहां दिखाई देगा। मैप में यह बताया गया है कि सूर्य ग्रहण भारत के अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख में दिखेगा। सूर्य ग्रहण आंशिक रूप में दिखेगा जिसकी शुरुआत 12:25 में होगी और 12:51 में यह ख़त्म हो जाएगा। यह भी पढ़ें- इन राशियों पर चल रही है शनि की ढैय्या और साढ़े साती, जानिए किन उपायों को करने से मिलेगी राहत
148 साल बाद अद्भुत संयोग: तिथि काल गणना के अनुसार 148 साल बदा यह मौका आया है कि शनि जयंती के दिन सूर्यग्रहण लगेगा। 10 जून को सूर्य ग्रहण का अद्भुत योग भी बनेगा। हालांकि चंद्रग्रहण की ही तरह भारत में यह सूर्य़ ग्रहण दिखायी नहीं देगा। बताते चलें कि सूर्य देव और शनि पिता-पुत्र हैं। पौराणिक मान्यता है कि दोनों में मतभेद और अलगाव रहे हैं।
क्या रहेगा सूतक काल? भारत में इस ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा। क्योंकि ज्योतिष अनुसार उसी ग्रहण का सूतक काल मान्य होता है जो ग्रहण अपने यहां दृष्टिगोचर हो। भारत में सूर्य ग्रहण नहीं दिखाई देगा। यह भी पढ़ें- Ring Of Fire कहां देगी दिखाई, जानिए कितने बजे से लग रहा है ग्रहण
वलयाकार सूर्य ग्रहण क्या है? वलयाकार सूर्य ग्रहण को रिंग ऑफ फायर के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि इस दौरान आसमान में सूर्य एक आग की अंगूठी की तरह चमकता हुआ नजर आता है। हालांकि ये नजारा कुछ ही समय का होता है। ये ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा सूर्य के पूरे भाग को अपनी छाया से नहीं ढक पाता इस स्थिति में सूर्य का बाहरी हिस्सा प्रकाशित रहता है। यानी जब चंद्र सूर्य के सामने आते हुए उसे इस प्रकार से ढकता है कि सूर्य बीच में से तो ढका हुआ प्रतीत हो लेकिन उसके किनारों पर रोशनी का एक छल्ला या अंगूठी बनती हुई दिखाई दे तो इसे ही वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं।
सूर्य ग्रहण के दौरान वर्जित कार्य:
-इस दौरान किसी भी नए व मांगलिक कार्य का शुभारंभ नहीं किया जाता है।
-ग्रहण काल के समय भोजन पकाना और खाना दोनों ही मना होता है।
-ग्रहण काल में भगवान की मूर्ति छूना और पूजा करना भी मना होता है।
-तुलसी के पौधे को छूने की मनाही होती है।
-इस दौरान दाँतों की सफ़ाई, बालों में कंघी, शौच करना, नए वस्त्र पहनना, वाहन चलाना आदि कार्यों को भी न करने की सलाह दी जाती है।
-ग्रहण के समय सोने से भी बचना चाहिए।
सूर्य ग्रहण लगने की वैज्ञानिक वजह: सूर्य हमारे सौरमंडल के केंद्र में स्थित है और सभी ग्रह इसके चारों और चक्कर काटते हैं। सूर्य का चक्कर काटने वाले ग्रहों के उपग्रह भी होते हैं। जो अपने ग्रहों के चक्कर काटते हैं। जैसे पृथ्वी का उपग्रह चंद्रमा है। इसी प्रक्रिया के दौरान जब चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है जिससे सूर्य की रोशनी को वो आंशिक या पूर्ण रूप से ढक लेता है तो इस स्थिति को सूर्य ग्रहण कहते हैं। यह भी पढ़ें- Surya Grahan 2021 Today Live Updates: सूर्य ग्रहण कितने बजे से होगा शुरू, कहां और कैसे देखें लाइव जानिए पूरी डिटेल
ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान कर लें और पूरे घर की साफ-सफाई कर लें। ग्रहण के बाद कुछ न कुछ दान भी जरूर करें।
बादल होने की वजह से सूर्य ग्रहण का अद्भुत नजारा लोग अच्छे से नहीं देख पा रहे हैं।
यह सूर्य ग्रहण 26 मई के साल के पहले चंद्र ग्रहण के 15 दिनों के भीतर ही आया है। एक पखवारे के भीतर दो ग्रहण की घटनाओं को ज्योतिष में अशुभ माना जाता है। ज्याेतिष शास्त्री मान रहे हैं कि इस वजह से प्राकृतिक आपदाओ में वृद्धि की आशंका है। यह राशियों पर भी शुभ-अशुभ प्रभाव डालता है, जिसका असर ग्रहण क्षेत्र से इतर पूरी दुनिया पर पड़ सकता है। इस सूर्य ग्रहण का सर्वाधिक प्रभाव बृषभ राशि और मृगशिरा नक्षत्र में है।
ज्योतिष अनुसार उसी ग्रहण का सूतक काल माना जाता है जो स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर हो। चूंकि भारत के अधिकतर हिस्सों में सूर्य ग्रहण नहीं लग रहा है इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।
गर्भवती महिलाओं के लिए ग्रहण देखना अशुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि अगर आप ग्रहण देखती हैं तो इससे आपकी गर्भ में पल रहे बच्चे को शारीरिक या मानसिक परेशानियां हो सकती हैं।
भौतिक विज्ञान की दृष्टि से जब सूर्य व पृथ्वी के बीच में चन्द्रमा आ जाता है तो चन्द्रमा के पीछे सूर्य का बिम्ब कुछ समय के लिए ढक जाता है, इसी घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। पृथ्वी सूरज की परिक्रमा करती है और चाँद पृथ्वी की। कभी-कभी चाँद, सूरज और धरती के बीच आ जाता है। फिर वह सूरज की कुछ या सारी रोशनी रोक लेता है जिससे धरती पर साया फैल जाता है। इस घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। यह घटना सदा सर्वदा अमावस्या को ही होती है।
deleting_message
कन्या: धन- हानि होने के योग बन रहे हैं। सेहत भी बिगड़ सकती है इसलिए सतर्क रहें। लेन- देन में सावधानी बरतें। मानसिक तनाव हो सकता है। धैर्य से काम लेने पर ही बात बनेगी। यह भी पढ़ें- सूर्य ग्रहण का सूतक कितने घंटे पहले हो जाता है शुरू, जानिए इस दौरान क्या न करें
धनु: आर्थिक पक्ष मजबूत रहेगा। लेन-देन में सावधानी बरतनी होगी। निवेश के समय अच्छा है। कड़ी मेहनत से ही सफलता हासिल कर पायेंगे।
यह कुंडलाकार सूर्य ग्रहण है. यह ग्रहण 10 जून को दोपहर 01. 42 बजे आरम्भ होगा. इसका समापन 10 जून को सायं 06. 41 पर होगा. यह ग्रहण भारत वर्ष में न्यूनतम ही दृश्य होगा. यह ग्रहण वृष राशि और मृगशिरा नक्षत्र में लग रहा है. इसमें किसी भी प्रकार के सूतक के नियम लागू नहीं होंगे
नासा की ओर से जारी इंटरएक्टिव मैप के मुताबिक भारत में यह सूर्य ग्रहण केवल लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में आंशिक तौर पर दिख सकता है. कहा जा रहा है कि इन जगहों पर भी कुछ ही मिनटों के सूर्यास्त के समय दिखेगा. वैसे इस सूर्यग्रहण को उत्तर पूर्व अमेरिका, यूरोप, उत्तर एशिया और उत्तरी अटलांटिक महासागर में देखा जा सकेगा. नासा इस सूर्य ग्रहण की लाइव स्ट्रीमिंग भी कर रहा है जिससे दुनिया भर के लोग इस सूर्यग्रहण को देख सकेंगे
10 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहण इसलिए भी खास है, क्योंकि शनि जयंती पर ग्रहण का योग करीब 148 साल बाद बन रहा है. इससे पहले शनि जयंती पर सूर्य ग्रहण 26 मई 1873 को हुआ था. बता दें कि सूर्य और शनि देव पिता-पुत्र हैं.
किसी भी ग्रहण से पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। इस दौरान किसी भी तरह के शुभ कार्य और कुछ विशेष काम नहीं किये जाते हैं। चंद्र ग्रहण का सूतक काल 9 घंटे पहले तो सूर्य ग्रहण का सूतक 12 घंटे पहले लग जाता है। 10 जून को साल का पहला सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। यह ग्रहण शनि जयंती (Shani Jayanti) और वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) के दिन पड़ रहा है। मान्यताओं अनुसार ग्रहण का सूतक काल लगते ही गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। सूतक के बारे में पूरी डिटेल जानने के लिए यहां क्लिक करें
सूर्य ग्रहण अपनी आंखों की सुरक्षा का ख्याल रखे बिना इसे न देखें। ऐसा माना जाता है कि ग्रहण के दौरान सूर्य की किरणें आपकी आंखों पर बुरा प्रभाव डालती हैं इसके साथ ही यूवी किरणें भी इस समय निकलती हैं जो आंखों के लिये बिल्कुल भी अच्छी नहीं मानी जातीं। हालांकि पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य की तरफ देखा जा सकता है क्योंकि इस ग्रहण में चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ढक लेता है और सूर्य की किरणें पृथ्वी तक नहीं पहुंच पातीं। वहीं आंशिक सूर्य ग्रहण के दौरान आपको सूर्य की तरफ बिना सुरक्षा के नहीं देखना चाहिए। सूर्य ग्रहण को देखने के लिये आपको ऐसे चश्मों का इस्तेमाल ही करना चाहिए जो वैज्ञानिकों द्वारा मान्य हों।
सूर्य ग्रहण को पॉपुलर यूट्यूब चैनलों पर लाइव देखा जा सकेगा। ग्रहण की लाइवस्ट्रीम करने वाले फेमस होस्ट Virtual Telescop, timeanddate और CosmoSapiens हैं। यहां आप घर बैठे सूर्य ग्रहण का लाइव नजारा देख सकते हैं।
तिथि काल गणना के अनुसार 148 साल बदा यह मौका आया है कि शनि जयंती के दिन सूर्यग्रहण लगेगा। शनि वक्री अवस्था में मकर राशि में विराजमान हैं। हालांकि चंद्रग्रहण की ही तरह भारत में यह सूर्य़ ग्रहण दिखायी नहीं देगा। बताते चलें कि सूर्य देव और शनि पिता-पुत्र हैं लेकिन इनके संबंध अच्छे नहीं माने जाते हैं। पौराणिक मान्यता है कि दोनों में मतभेद और अलगाव रहे हैं।
इस सूर्यग्रहण में सूतककाल मान्य नहीं होगा क्योंकि भारत में ग्रहण नहीं दिखाई देगा। ऐसे में किसी भी तरह के काम और धार्मिक आयोजनों में कोई भी रुकावट नहीं आएगी। पहले की तरह सभी के शुभ कार्य और अनुष्ठान जारी रहेगा। शास्त्रों में सूततकाल को अशुभ माना गया है। सूतक लग जाने पर किसी भी तरह के शुभ कार्य और पूजा पाठ नहीं किया जा सकता। सूतक काल लगते ही मंदिरों के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं। सूतक काल चंद्र ग्रहण लगने से 9 घंटे पहले और सूर्य ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले मान्य होता है।
ज्येष्ठ अमावस्या के दिन सूर्यग्रहण के दौरान सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी तीनों एक सीधी रेखा में होंगे। चंद्रमा पृथ्वी से सबसे दूर वाले बिन्दू में स्थिति होगा। इस वजह से चंद्रमा का आकार बहुत छोटा नजर आएगा। अपने छोटे आकार के कारण चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से नहीं ढक सकेगा। चांद की सतह के किनारों से सूर्य की कुछ रोशनी पृथ्वी पर आती रहेगी। धरती से देखने पर ये लाल गोले जैसी दिखाई देगी। इसे ही रिंग ऑफ फायर कहते हैं।
इस सूर्य ग्रहण को खंडग्रास, रिंग ऑफ फायर और वलयाकार सूर्य ग्रहण कहा जा रहा है। वलयाकार स्थिति में चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है, लेकिन उसका आकार पृथ्वी से देखने पर इतना नजर नहीं आता कि वो सूर्य को पूरी तरह ढक सके, तो ऐसी स्थिति को वलयाकार ग्रहण कहा जाता है। वलयाकार सूर्य ग्रहण में चंद्रमा के बाहरी किनारे पर सूर्य एक चमकदार रिंग यानि एक अंगूठी की तरह नजर आता है। ठीक ऐसा ही नजारा आकाश में दिखाई दे सकता है।
भारत में कम ही जगह पर ग्रहण देखने को मिलेगा। अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने एक इंटरैक्टिव मैप जारी किया है जिसमें यह बताया गया है कि सूर्य ग्रहण कहां- कहां दिखाई देगा। मैप में यह बताया गया है कि सूर्य ग्रहण भारत के अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख में दिखेगा। सूर्य ग्रहण आंशिक रूप में दिखेगा जिसकी शुरुआत 12:25 में होगी और 12:51 में यह ख़त्म हो जाएगा।
ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को वृषभ राशि और मृगशिरा नक्षत्र में लगने जा रहा ये ग्रहण वलयाकर सूर्य ग्रहण होगा। बता दें कि इस स्थिति में सूर्य का करीब 97 फीसदी हिस्सा चंद्रमा की छाया द्वारा ढ़क दिया जाता है। तब सूर्य के किनारों पर एक वलयाकार आकृति बनती प्रतीत होती है जिसे ‘रिंग ऑफ फायर’ के नाम से भी जाना जाता है।
ज्योतिषविदों के अनुसार, सूर्य ग्रहण कर्क, सिंह, धनु और मीन राशि के जातकों के लिए शुभ फलदायी होगा। वहीं कुम्भ राशि के जातकों के लिए यह मिश्रित फलदायक होगा, लाभ के साथ साथ हानि के भी योग हैं।
ज्योतिषविदों के अनुसार, इस बार का सूर्य ग्रहण वृष राशि में लग रहा है। इसलिए इस राशि के जातकों को सतर्क रहने की आवश्यकता है।
वलयाकार सूर्य ग्रहण को भारत के अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख में देखा जा सकेगा। नासा ने एक इंटरैक्टिव मैप जारी किया है जिसमें यह बात सामने आई है। देश के अन्य हिस्सों के लोग लाइव स्ट्रीम के ज़रिए इसका आनंद ले सकेंगे।
मिथुन राशि के जातकों के लिए यह सूर्य ग्रहण आर्थिक रूप से अशुभ हो सकता है। ज्योतिषों के अनुसार, नौकरी पेशा वाले लोगों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है और क़र्ज़ लेने की स्थिति आ सकती है। इसलिए आर्थिक फैसले लेने से पहले दूसरों की मदद लें और सोच समझकर निवेश करें।
सूतक काल के दौरान किसी भी नए व मांगलिक कार्य का शुभारंभ बिल्कुल भी न करें।
सूतक काल के समय भोजन पकाना और खाना नहीं चाहिए।
भगवान की मूर्ति और तुलसी का स्पर्श करना वर्जित होता है।
निजी कार्य जैसे: दाँतों की सफ़ाई, बालों में कंघी, नए वस्त्र पहनना, वाहन चलाना, आदि करने से बचें।
अरुणाचल प्रदेश में दिबांग वन्यजीव अभयारण्य के पास से शाम लगभग 5:52 बजे सूर्य ग्रहण को देखा जा सकेगा। वहीं, लद्दाख के उत्तरी हिस्से में जहां, शाम लगभग 6.15 बजे सूर्यास्त होगा, वहां शाम लगभग 6 बजे सूर्य ग्रहण देखा जा सकेगा।
वलयाकार सूर्य ग्रहण तब लगता है जब चंद्रमा पृथ्वी से काफी दूर होते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में इस तरह से आ जाता है जिससे कि सूर्य के बीच का हिस्सा चंद्रमा की छाया से पूरी तरह से ढक जाता है लेकिन सूर्य का बाहरी क्षेत्र प्रकाशित रहता है। इस स्थिति में चंद्रमा सू्र्य के लगभग 97% भाग तक को ढक लेता है। इस घटना के दौरान धरती से सूर्य देखने में आग की अंगूठी की तरह चमकता दिखाई देता है। इसे ही वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं।
तिथि काल गणना के अनुसार 148 साल बाद यह मौका आया है कि शनि जयंती के दिन सूर्यग्रहण लगेगा। 10 जून को सूर्य और शनि का अद्भुत योग भी बनेगा। हालांकि, चंद्रग्रहण की ही तरह भारत में यह सूर्य ग्रहण दिखाई नहीं देगा। सिर्फ अरुणाचल प्रदेश में इसका कुछ अंश दिख सकता है।
भारत में ये ग्रहण दिखाई नहीं दे रहा है इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। लेकिन ग्रहण का असर सभी राशियों पर देखने को मिलेगा। सिंह और धनु वालों के लिए सूर्य ग्रहण बेहद ही शुभ है। धन लाभ होने के आसार रहेंगे। वहीं मेष, वृषभ, कन्या और तुला वालों के लिए सूर्य ग्रहण कष्टदायी साबित हो सकता है। इसलिए सतर्क रहें।
बताया जाता है कि 148 साल बाद शनि जयंती के दिन सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है, इससे पहले 26 मई 1873 में यह संयोग पड़ा था। साल 1873 में भी शनि मकर राशि में वक्री अवस्था में था। बता दें कि धनु, मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव बना हुआ है और मिथुन और तुला पर ढैय्या का प्रभाव बना हुआ है। ऐसे में साढ़ेसाती और ढैय्या का अशुभ प्रभाव कम करने के लिए यह बेहद अच्छा मौका है। ऐसे में शनि चालिसा का पाठ कर सकते हैं और शनि से संबंधित चीजों का भी दान कर सकते हैं।
तिथि काल गणना के अनुसार 148 साल बदा यह मौका आया है कि शनि जयंती के दिन सूर्यग्रहण लगेगा। 10 जून को सूर्य ग्रहण का अद्भुत योग भी बनेगा। हालांकि चंद्रग्रहण की ही तरह भारत में यह सूर्य़ ग्रहण दिखायी नहीं देगा। बताते चलें कि सूर्य देव और शनि पिता-पुत्र हैं। पौराणिक मान्यता है कि दोनों में मतभेद और अलगाव रहे हैं।
वेबसाइट टाइम एंड डेट के मुताबिक भारतीय समय के अनुसार दोपहर 1 बजकर 42 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 41 मिनट तक सूर्य ग्रहण का समय रहेगा। भारत में सूर्यग्रहण की कुल अवधि करीब 5 घंटे की होगी।
पंडितों के अनुसार, गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान चाकू और कैंची का प्रयोग नहीं करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को ग्रहण की घटना को देखने से भी बचना चाहिए। हो सके तो ग्रहण के दौरान घर से बाहर न निकलें। अगर आप ग्रहण देखती हैं तो गर्भ में पल रहे बच्चे को शारीरिक या मानसिक परेशानियां हो सकती हैं।
पंडितों के अनुसार, गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान चाकू और कैंची का प्रयोग नहीं करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को ग्रहण की घटना को देखने से भी बचना चाहिए। हो सके तो ग्रहण के दौरान घर से बाहर न निकलें। अगर आप ग्रहण देखती हैं तो गर्भ में पल रहे बच्चे को शारीरिक या मानसिक परेशानियां हो सकती हैं।
10 जून को साल का पहला सूर्य ग्रहण लग रहा है। भले ही यह ग्रहण देश के सिर्फ अरुणाचल प्रदेश एवं जम्मू कश्मीर के कुछ हिस्सों में दिखाई दे, लेकिन ज्योतिष के अनुसार ग्रहण दुनिया मे कहीं भी लगे इसका असर लोगों के जीवन पर अवश्य पड़ता है। ऐसे में ग्रहण के दौरान सावधानियां जरूर बरतनी चाहिए, नहीं तो इसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ सकता है। खासतौर पर गर्भवती महिलाओं को तो ग्रहण से विशेष सावधान रहना चाहिए। आइए जानते हैं सूर्य ग्रहण के दौरान किस तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए।
10 तारीख यानी ज्येष्ट अमावस्या के दिन साल का पहला सूर्य ग्रहण लग रहा है। यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। भारतीय समयानुसार ग्रहण दोपहर 1.42 पर शुरू और शाम 6.41 पर खत्म हो जाएगा। भारत को छोड़कर यह ग्रहण उत्तर-पूर्व अमेरिका, यूरोप, उत्तरी एशिया, उत्तरी अटलांटिक समुद्र में देखा जा सकेगा। इस साल सूर्य ग्रहण, वट सावित्री व्रत और शनि जयंती दोनों ही एक ही दिन है। इसलिए लोगों में वट सावित्री व्रत और शनि जयंती की पूजा को लेकर कंफ्यूजन है। ज्योतिषियों की मानें तो जो ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देता उसका असर नहीं माना जाता है। इसलिए इस ग्रहण का कोई असर नहीं माना जाएगा और मंदिरों पर पूजा पाठ करने पर मनाही नहीं होगी। इसके अलावा पूरे दिन वट सावित्री व्रत और शनि जयंती की पूजा पाठ किए जा सकेंगे।
10 जून को लगने वाले सूर्य ग्रहण के दिन शनि जयंती के अलावा वट सावित्री व्रत भी पड़ रहा है। ज्योतिषविदों की मानें तो इस दिन बिना किसी संशय के पूजा किया जा सकता है। चूंकि सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाए देगा इसलिए इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा और सभी प्रकार के पूजा और शुभ कार्य संपन्न किए जा सकेंगे।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य ग्रहण की समाप्ति के बाद गंगा में स्नान करना शुभ होता है। लेकिन अगर आप गंगा में स्नान न कर पाएं तो घर पर ही शुद्ध जल से ग्रहण के बाद स्नान कर लें।