साल का पहला सूर्य ग्रहण शुरू हो चुका है। ये वलयाकार सूर्य ग्रहण है। ग्रहण की शुरुआत सुबह 10:20 बजे के करीब हो गई है और इसकी समाप्ति दोपहर 2 बजे तक होगी। क्योंकि ये ग्रहण भारत में दिखाई देने वाला है इसलिए इसका सूतक भी मान्य होगा। ज्योतिष अनुसार ये ग्रहण काफी प्रभावशाली माना जा रहा है। क्योंकि इस सूर्य ग्रहण के समय ग्रह और नक्षत्रों का ऐसा संयोग बनने जा रहा है जो पिछले 500 सालों में नहीं बना।
ग्रहण के दौरान ग्रहों की स्थिति: ये ग्रहण मृगशिरा, आर्द्रा नक्षत्र और मिथुन राशि में लगने जा रहा है। ग्रहण के दौरान 6 ग्रह बृहस्पति, शनि, मंगल, शुक्र, राहु और केतु वक्री अवस्था में होंगे। राहु और केतु तो सदैव ही वक्री रहते हैं। ग्रहों की ऐसी स्थिति सूर्य ग्रहण को बहुत ही अधिक प्रभावशाली बनाएगी। ज्योतिष अनुसार ग्रहण प्राकृतिक आपदाओं का कारक बन सकता है। जिसकी वजह से भूकंप, आंधी या तूफान जैसे योग बन रहे हैं।
क्या होता है वलाकार सूर्य ग्रहण: ऐसा नजारा धरती पर कम ही देखने को मिलता है। इस दिन सूर्य एक चमकती अंगूठी की तरह दिखेगा। ये न तो आंशिक ग्रहण होगा और न ही पूर्ण। चंद्रमा की छाया सूर्य का 99% भाग ढकेगी। जिस कारण सूर्य के किनारे वाले हिस्सा प्रकाशित रहेगा और बीच का हिस्सा पूरी तरह से चांद की छाया से ढक जाएगा।
कहां दिखाई देगा ग्रहण: भारत समेत नेपाल, पाकिस्तान, सऊदी अरब, यूऐई, एथोपिया तथा कोंगों में दिखाई देगा। भारत में देहरादून, सिरसा और टिहरी कुछ ऐसे प्रसिद्ध शहर हैं जहां वलयाकार सूर्य ग्रहण दिखेगा और देश के बाकी हिस्सों में आंशिक सूर्य ग्रहण का नजारा देखने को मिलेगा।
सूर्य ग्रहण पर क्या रखें सावधानियां: सूर्य ग्रहण को नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए। इस दौरान सूर्य से निकलने वाली किरणें आंखों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इसलिए इसे देखने के लिए खास तरह के उपकरणों का प्रयोग करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं अनुसार ग्रहण के समय किसी भी तरह के शुभ काम नहीं करने चाहिए। ग्रहण के समय न तो कुछ खाना चाहिए और न ही कुछ पीना। ग्रहण से पहले खाने पीने की चीजों में तुलसी के पत्ते डालकर रख देने चाहिए। ग्रहण काल में प्रभु का स्मरण करते हुए पूजा, जप, दान आदि धार्मिक कार्य करें। ग्रहण का सूतक काल लगते ही घर में बने पूजास्थल को भी ग्रहण के दौरान ढक दें। ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान कर लें और पूजा स्थल को भी साफ कर गंगाजल का छिड़काव करें।


सूर्य ग्रहण के बाद अब अगला ग्रहण चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse) होगा, जो 5 जुलाई को लगेगा। जुलाई के पहले सप्ताह में लगने वाला चंद्र ग्रहण इस साल का तीसरा चंद्र ग्रहण होगा। इससे पहले 10 जनवरी को पहला और 05 जून को दूसरा चंद्र ग्रहण लगा था। इस साल कुल चार चंद्र ग्रहण लगेंगे। साल का आखिरी और चौथा चंद्र ग्रहण 30 नवंबर को को लगेगा। वहीं इस साल दो सूर्य ग्रहण हैं। पहला 21 जून को लग चुका है, दूसरा 14 दिसंबर को लगेगा।
ये अनुमान है कि अगली बार 21 जून को सूर्य ग्रहण 2039 में लगेगा। इस वजह से यह सूर्य ग्रहण इतना दुर्लभ है।एक रिपोर्ट के मुताबिक इससे पहले 2001 में 21 जून को ऐसा सूर्य ग्रहण देखने को मिला था। उससे पहले 1982 में भी 21 जून को इसी तरह का सूर्य ग्रहण देखा गया था।
अगला सूर्य ग्रहण 14 दिसंबर को लगेगा लेकिन भारत के लोग इसे नहीं देख पाएंगे।
आज के बाद अगला सूर्यग्रहण इसी साल 14 या 15 दिसंबर को होगा. हालांकि, माना जा रहा है कि अगला सूर्यग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. वैज्ञानिकों के अनुसार, एक साल में कुल पांच सूर्यग्रहण तक लग सकते हैं.
देश के कई हिस्सों में रिंग ऑफ फायर का नजारा दिखाई दिया। इसके बाद ग्रहण का मोक्ष काल शुरू हो गया है। यह ग्रहण पूर्ण रूप से दोपहर 3 बजकर 4 मिनट पर समाप्त होगा। इस सूर्य ग्रहण के बाद अगला ग्रहण 14-15 दिसंबर में होगा। यह ग्रहण पूर्ण सूर्यग्रहण होगा लेकिन यह भारत में दिखाई नहीं देगा
देरहादून, सिरसा, कुरुक्षेत्र, राजस्थान में सूर्य ग्रहण का दिखा अद्भुत नजारा...
– ग्रहण काल में गुरु मंत्र का जाप, किसी मंत्र की सिद्धी, रामायण, सुंदरकांड का पाठ, तंत्र सिद्धी आदि कर सकते हैं। – ग्रहण की समाप्ति के बाद पवित्र नदियों में या फिर घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर लेना चाहिए। – सूतक काल लगने से पहले ही खाने-पीने की वस्तुओं में तुलसी के पत्ते डालकर रख देने चाहिए। – यदि घर में मंदिर है तो सूतक लगते ही उसे ढक देना चाहिए। मान्यता है कि ग्रहण के बाद दान-पुण्य करना चाहिए।
नुकीली वस्तुओं का न करें प्रयोग: ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को सब्जी काटना, कपड़े सीना आदि धारदार उपकरणों के काम से बचना चाहिए। इससे बच्चे को शारीरिक दोष हो सकता है। ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को शयन, खाना पकाना, और श्रंगार नहीं करना चाहिए। ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव से रक्षा के लिए गर्भवती महिला को तुलसी का पत्ता जीभ पर रखकर हनुमान चालीसा और दुर्गा स्तुति का पाठ करना चाहिए।
21 जून के बाद आप अगला सूर्य ग्रहण 14-15 दिसंबर में देख पायेंगे। लेकिन ये ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा।
ओमान में सूर्यग्रहण का नजारा कुछ इस प्रकार का दिखा। यहां थोड़ा सा हिस्सा छोड़कर सूर्य लगभग पूरा ढक चुका है। बताया जा रहा है कि यहां लगभग 4 मिनट के बाद रिंग ऑफ फायर दिखने लगेगा।
गांधीनगर से सूर्य ग्रहण की तस्वीर...
जानकारों के मुताबिक इस तरह का वलयाकार सूर्य ग्रहण 21 अगस्त 1933 को लगा था। 21 जून के बाद यह 21 मई 2034 को लगेगा। यह ग्रहण मृगशिरा नक्षत्र, मिथुन राशि पर हो रहा है। सूर्य व राहु मृगशिरा नक्षत्र में रहेंगे। मृगशिरा नक्षत्र का स्वामी मंगल है। मंगल मीन राशि में शनि की दृष्टि में है।
सबसे पहले मुंबई और पुणे में 10.01 बजे से दिखना शुरू होगा। गुजरात के अहमदाबाद और सूरत में 10.03 बजे से दिखना शुरू होगा। अन्य देशों में ये ग्रहण पूरी तरह 3.04 बजे खत्म होगा। ये देश में कई जगहों पर खंडग्रास (आंशिक) सूर्यग्रहण के रूप में दिखाई देगा। भारत के अलावा ये ग्रहण नेपाल, पाकिस्तान, सऊदी अरब, यूऐई, एथोपिया तथा कांगो में दिखाई देगा।
सूर्य ग्रहण को लेकर चिकित्सा और अंतरिक्ष विज्ञान के विशेषज्ञों में कई मतभेद भी हैं, लेकिन इस बात पर दोनो सहमत हैं कि सूर्य ग्रहण को नंगी आंखों से देखने से बचें, वरना रेटिना को क्षति पहुंचने के साथ आंखों की रोशनी तक जा सकती है।
भारत से नजर आने वाला अगला सूर्य ग्रहण 20 मार्च 2034 को पड़ेगा, जो कि एक पूर्ण सूर्यग्रहण होगा और भारत इस दुर्लभ घटना का गवाह बनेगा। उसके बाद भारत से अगला सूर्यग्रहण 17 फरवरी 2064 को नजर आएगा और इस सदी का भारत से नजर आने वाला अंतिम सूर्यग्रहण 22 जून, 2085 को पड़ेगा।
देश की राजधानी दिल्ली में सूर्य ग्रहण की शुरुआत 10:20 AM के करीब होगी। ग्रहण 12:02 PM बजे अपने पूर्ण प्रभाव में होगा और इसकी समाप्ति 01:49 PM पर होगी। देश के अन्य शहरों में ग्रहण के समय में कुछ अंतर देखने को मिल सकता है। इस ग्रहण का सूतक काल मान्य होगा।
- 21 जून के बाद आप अगला सूर्य ग्रहण 14-15 दिसंबर में देख पायेंगे। लेकिन ये ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा।
- एक साल में 5 सूर्य ग्रहण तक हो सकते हैं।
- पूर्ण सूर्यग्रहण एक दुर्लभ दृश्य है। जो हर 18 महीने में एक बार ही होता है। पूर्ण सूर्य ग्रहण के लिए, सूर्य को चंद्रमा द्वारा कम से कम 90 प्रतिशत तक ढका होना जरूरी होता है।
- पूर्ण सूर्य ग्रहण की सबसे लंबी अवधि 7.5 मिनट है।
- पूर्ण सूर्य ग्रहण को उत्तर और दक्षिण ध्रुवों से नहीं देखा जा सकता है।
सूर्य ग्रहण के सूतक काल में अधिक से अधिक भगवान का ध्यान करना चाहिए। इस समय में भगवान के मंत्रों का जाप करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दौरान नकारात्मकता काफी बढ़ जाती है, जिससे बचने के लिए भगवान का ध्यान करते रहना चाहिए।
भारत के अलावा यह ग्रहण एशिया के कई हिस्सों,अफ्रीका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में भी देखा जा सकेगा। सूर्य ग्रहण 21 जून को सुबह 10 बजकर 15 मिनट से शुरू हो जाएगा और दोपहर 12 बजकर 10 मिनट पर प्रभाव अधिक रहेगा और आंशिक सूर्य ग्रहण दोपहर 3 बजकर 4 मिनट पर सूर्य ग्रहण खत्म हो जाएगा।
ज्योतिषी के मुताबिक यह खंडग्रास सूर्यग्रहण मेष, सिंह, कन्या और मकर को लाभ देने वाला है। मेष को धन का लाभ, सिंह को लाभ, कन्या व मकर को सुख की प्राप्ति होगी। बाकी राशियों के लिये यह मध्यम है। वैसे इस ग्रहण का प्रभाव एक महीना ही रहेगा। जिन राशियों के लिये यह ग्रहण शुभ फलदायी नहीं है उन्हें यह ग्रहण नहीं देखना चाहिये।
चंद्रमा की तरह सूर्य ग्रहण खुली आंखों से नहीं देखना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि इसका बुरा असर आपकी आंखों पर पड़ सकता है। सूर्य ग्रहण को सुरक्षित तकनीक या तो एल्युमिनेटेड मायलर, ब्लैक पॉलिमर, शेड नंबर 14 के वेल्डिंग ग्लास या टेलिस्कोप द्वारा सफेद बोर्ड पर सूर्य की इमेज को प्रोजेक्ट करके करके उचित फिल्टर का उपयोग करके देखा जा सकता है।
ग्रहण काल में कुछ जगह अंधेरा ज्यादा और कुछ जगह आंशिक अंधेरा रहेगा। ऐसा ग्रहण के दौरान सूर्य की रोशनी के सामने चंद्रमा के आने से होगा।
ग्रहण काल में दिल्ली जैसे शहर में दिन में 11 से 11.30 बजे तक पांच-सात मिनट तक अंधेरा छा जाएगा।’’ लोगों को आगाह किया गया है कि सूर्य ग्रहण को नग्न आंखों से नहीं देखें।
ग्रहण का प्रभाव सभी पर पड़ता है। सभी धर्म इसकी महत्ता को स्वीकार करते हैं। कुछ धर्म इसे सिर्फ एक खगोलीय घटना मानते हैं तो कुछ इसे आध्यात्म से जोड़कर देखते हैं। हिंदू सनातन धर्म में इसका व्यापक प्रभाव बताया गया है।
हिंदू धर्म में सूर्य और चंद्र ग्रहण की बड़ी मान्यता है। इसके ठीक उलटा जैन धर्म में सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण का कोई असर नहीं माना जाता है। जैन धर्म में ग्रहण काल का सूतक भी नहीं माना जाता है।
इस साल का पहला सूर्य ग्रहण चलरहा है। यह एक कुंडलाकार सूर्य ग्रहण है, जिसके दौरान चंद्रमा केंद्र से सूर्य को कवर करता है, जिससे बाहरी रिंग दिखाई देती है, जिससे आकाश में आग की अंगूठी बनती है।
सीधे देखने पर सूर्य की किरणें बेहद चमकीली और हानिकारक होती हैं। विशेष चश्मा पहनकर ही देखें। सामान्य रूप से बिना चश्मे के देखने पर यह हानिकारक हो सकता है।
सूर्य ग्रहण हमारे सौर परिवार की एक बड़ी घटना है। इसका प्रभाव और दुष्प्रभाव सभी पर पड़ता है। इसको विज्ञान भी मानता है। ऐसे में ग्रहण काल के नियमों को जरूर मानना चाहिए।
सूर्य ग्रहण के दौरान निषेध वाले कार्य बिल्कुल न करें। ग्रहण का प्रभाव सभी पर पड़ता है। इसके प्रभाव का शास्त्रीय और वैज्ञानिक महत्व है। ऐसे में इसका विशेष ध्यान रखें।
ये ग्रहण मृगशिरा, आर्द्रा नक्षत्र और मिथुन राशि में लगने जा रहा है। ग्रहण के दौरान 6 ग्रह बृहस्पति, शनि, मंगल, शुक्र, राहु और केतु वक्री अवस्था में होंगे। राहु और केतु तो सदैव ही वक्री रहते हैं। ग्रहों की ऐसी स्थिति सूर्य ग्रहण को बहुत ही अधिक प्रभावशाली बनाएगी। ज्योतिष अनुसार ग्रहण प्राकृतिक आपदाओं का कारक बन सकता है। जिसकी वजह से भूकंप, आंधी या तूफान जैसे योग बन रहे हैं।
सूतक काल में किसी भी तरह के शुभ कार्य न करें। मंदिर के दरवाजे बंद कर दें या फिर उसे किसी कपड़े से ढक दें। सूतक काल में खाना नहीं बनाया जाता। गर्भवती महिलाओं को ग्रहण काल में किसी भी तरह की नुकीली वस्तु का प्रयोग नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से गर्भ में पल रहे बच्चे को शारीरिक दोष उत्पन्न हो सकता है। ग्रहण की समाप्ति के बाद तुरंत स्नान कर लेना चाहिए। ग्रहण काल में दान पुण्य के काम करना अच्छा माना गया है।
पूर्ण सूर्यग्रहण एक दुर्लभ दृश्य है। जो हर 18 महीने में एक बार ही होता है। पूर्ण सूर्य ग्रहण के लिए, सूर्य को चंद्रमा द्वारा कम से कम 90 प्रतिशत तक ढका होना जरूरी होता है।
- पूर्ण सूर्य ग्रहण की सबसे लंबी अवधि 7.5 मिनट है।
- पूर्ण सूर्य ग्रहण को उत्तर और दक्षिण ध्रुवों से नहीं देखा जा सकता है।
सूर्य ग्रहण पूर्ण, वलयाकार या आंशिक तौर पर लगता है। जिस स्थिति में चंद्रमा पूर्ण रूप से सूर्य को ढ़क लेता है और पृथ्वी पर अंधेरा नज़र आने लगता है उस स्थिति में पूर्ण सूर्य ग्रहण माना जाता है। लेकिन जब वह सूर्य को पूरी तरह नहीं ढ़क पाता तो उस स्थिति में इसे खंड या आंशिक सूर्य ग्रहण माना जाता है। एक ऐसी स्थिति भी होती है जिसमें सूर्य सिर्फ वलयाकार रूप मे दिखाई देता है यानि की सूर्य का गोलाई वाला जो बाहरी आवरण होता है केवल वह चमकता हुआ दिखता है और बीच से वह गायब दिखाई देता है उसे वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं। यह ग्रहण के वैज्ञानिक आधार भी हैं लेकिन ज्योतिष में ग्रहण कारण चंद्रमा को नहीं बल्कि राहू को माना जाता है।
विधुन्तुद नमस्तुभ्यं सिंहिकानन्दनाच्युत।
दानेनानेन नागस्य रक्ष मां वेधजाद्भयात्॥२॥
श्लोक अर्थ - सिंहिकानन्दन (पुत्र), अच्युत! हे विधुन्तुद, नाग के इस दान से ग्रहणजनित भय से मेरी रक्षा करो।
ग्रहण से पहले सूतककाल लग जाता है। इस दौरान शुभ कार्य, पूजा पाठ इत्यादि काम नहीं किये जाते। कई मंदिरों के कपाट भी ग्रहण काल में बंद कर दिए जाते हैं। माना जाता है कि ग्रहण के दौरान नकारात्मक ऊर्जा काफी हावी रहती है। जिसका सबसे ज्यादा असर गर्भवती महिलाओं पर पड़ सकता है। इसलिए सूतक काल लगते ही गर्भवती महिलाओं को घर से नहीं निलकने की सलाह दी जाती है। क्योंकि ग्रहण के बुरे प्रभाव से गर्भ में पल रहे बच्चे को कष्ट पहुंच सकता है।
यह सलाह दी जाती है कि पहले से बने हुए भोजन को त्यागकर ग्रहण के पश्चात् मात्र स्वच्छ एवं ताजा बने हुए भोजन का ही सेवन करना चाहिये। गेहूँ, चावल, अन्य अनाज तथा अचार इत्यादि जिन्हें त्यागा नहीं जा सकता, इन खाद्य पदार्थों में कुश घास तथा तुलसी दल डालकर ग्रहण के दुष्प्रभाव से संरक्षित किया जाना चाहिये। ग्रहण समाप्ति के उपरान्त स्नान आदि करके ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देनी चाहिये। ग्रहणोपरान्त दान करना अत्यन्त शुभ व लाभदायक माना जाता है।
ग्रहण के खत्म होने के बाद नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए। फिर पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करके भगवान का स्नान करा कर पूजा-पाठ करना चाहिए। मान्यता है कि ग्रहण के बाद दान पुण्य करने से ग्रहण के दुष्प्रभाव नहीं पड़ते हैं।
गर्भवती ग्रहणकाल में अपनी गोद में एक सूखा हुआ छोटा नारियल (श्रीफल) लेकर बैठे और ग्रहण पूर्ण होने पर उस नारियल को नदी अथवा अग्नि में समर्पित कर दे। ग्रहण से पूर्व देशी गाय के गोबर व तुलसी-पत्तों का रस (रस न मिलने पर तुलसी-अर्क का उपयोग कर सकते हैं) का गोलाई से पेट पर लेप करें । देशी गाय का गोबर न उपलब्ध हो तो गेरूमिट्टी का लेप कर सकती हैं।
आषाढ़ महीने की अमावस्या का धर्मग्रंथों में विशेष महत्व है। 21 जून को सूर्यग्रहण और हलहारिणी अमावस्या का संयोग बन रहा है। इस पर्व पर किए गए दान का महत्व ही अलग है। रविवार को अमावस्या का संयोग अशुभ माना जाता है। सूर्यग्रहण समाप्त होने के बाद दोपहर में ही स्नान और दान किया जाएगा। आषाढ़ अमावस्या पर सूर्यग्रहण के दौरान तर्पण करने से पितरों को तृप्ति मिलती है।
ग्रहण एवं सूतक के दौरान समस्त प्रकार के ठोस एवं तरल खाद्य पदार्थों का सेवन निषिद्ध है। अतः सूर्य ग्रहण से बारह घण्टे तथा चन्द्र ग्रहण से नौ घण्टे पूर्व से लेकर ग्रहण समाप्त होने तक भोजन नहीं करना चाहिये। यद्यपि बालकों, रोगियों तथा वृद्धों के लिये भोजन मात्र एक प्रहर अथार्त तीन घण्टे के लिये ही वर्जित है।