21 जून को वलयाकार सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। इसे कंकणाकार ग्रहण भी कहते हैं। इस दौरान चंद्रमा सूर्य के 98.8% तक के भाग को कवर कर लेगा। विशेषज्ञों के अनुसार भारत में सदी का ये सबसे अलग ग्रहण होगा। ध्यान दें कि चंद्र ग्रहण की तरह सूर्य ग्रहण को आप कभी भी नंगी आंखों से डायरेक्ट ना देखें। माना जाता है इससे आपकी आंखें डैमेज हो सकती हैं। इसे देखने के लिए हमेशा खास सोलर फिल्टर वाले चश्मों का प्रयोग करें जिसे सोलर-व्युइंग ग्लासेस, पर्सनल सोलर फिल्टर्स या आइक्लिप्स ग्लासेस कहा जाता है।
सूर्य ग्रहण की शुरुआत 21 जून की सुबह 9.15 बजे से हो जाएगी। इसका मोक्ष दोपहर 03.04 बजे पर होगा। ग्रहण के समय सूर्य एक आग की अंगूठी की तरह दिखाई देगा। पूर्ण सूर्य ग्रहण की शुरुआत 10.17 बजे के करीब होगी। ग्रहण अपने पूर्ण प्रभाव में 12.10 PM बजे के करीब दिखाई देगा। पूर्ण सूर्य ग्रहण का अंत 02.02 PM बजे पर होगा। फिर साल 2020 का अगला सूर्य ग्रहण 14 दिसंबर को लगेगा। ग्रहण के सूतक काल की शुरुआत 20 जून की रात 9.15 बजे से हो जाएगी।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार 21 जून को सूर्य के केंद्र का भाग पूरा काला नजर आने वाला है, जबकि किनारों पर चमक रहेगी। इस तरह के सूर्य ग्रहण को पूरे विश्व में कहीं-कहीं ही देखा जा सकता है और ज्यादातर जगहों पर आंशिक ग्रहण नजर आएगा। माना जा रहा है कि 21 जून को लगने वाला सूर्यग्रहण 25 साल पहले 24 अक्टूबर 1995 को लगे ग्रहण की याद दिलाएगा। ज्योतिष की मानें तो इस ग्रहण के होने से कोरोना महामारी का प्रकोप कुछ कम हो सकता है। क्योंकि इस महामारी की शुरुआत भी 26 दिंसबर 2019 को लगे सूर्य ग्रहण के दौरान ही हुई थी। उस दौरान ग्रहों की स्थिति में भी कुछ बदलाव हुआ था। ये ग्रहण भारत, नेपाल, पाकिस्तान, सऊदी अरब, यूएई, इथिपिया और कांगो में दिखाई देगा। भारत में उत्तरी राज्याें राजस्थान, हरियाणा और उत्तराखंड में वलयाकार सूर्य ग्रहण का नजारा देखने को मिलेगा। देश के बाकी हिस्सों में आंशिक सूर्य ग्रहण देखा जाएगा।
सूर्य ग्रहण 3 प्रकार के होते हैं। पूर्ण ग्रहण, वलयाकार और आंशिक ग्रहण। पूर्ण सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी के काफी पास रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है और पूरी तरह से पृ्थ्वी को अपने छाया क्षेत्र में ले लेता है। इस स्थिति में सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाता है और पृ्थ्वी पर अंधकार जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। वलयाकार सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी के काफी दूर रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है। इस दौरान चंद्रमा सूर्य को इस प्रकार से ढकता है कि सूर्य का केवल मध्य भाग ही उसके छाया क्षेत्र में आता है। इस स्थिति में सूर्य का बाहरी क्षेत्र प्रकाशित होने के कारण सूर्य कंगन या वलय के रूप में चमकता दिखाई देता है। आंशिक सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा सूर्य व पृथ्वी के बीच में इस प्रकार आता है जिससे सूर्य का कुछ ही भाग ढक पाता है। तो पृथ्वी के उस भाग विशेष में लगा ग्रहण आंशिक सूर्य ग्रहण कहलाता है।