आज सदी का सबसे बड़ा सूर्य ग्रहण देखा गया। खास बात ये खगोलीय घटना साल के सबसे बड़े दिन और सबसे छोटी रात को घटित हुई। भारत के कुछ हिस्सों में लोग सूर्य ग्रहण के दौरान ‘रिंग ऑफ फायर’ को देख पाए, हालांकि, देश के अधिकांश हिस्सों में सूर्य ग्रहण का आंशिक रूप ही देखने को मिला।
सूर्य ग्रहण यहां दिया दिखाई: ये ग्रहण भारत, नेपाल, पाकिस्तान, सऊदी अरब, यूएई, इथोपिया और कांगो में दिखाई दिया। भारत में उत्तरी राज्यों राजस्थान, हरियाणा और उत्तराखंड में वलयाकार सूर्य ग्रहण का नजारा देखने को मिला। देश के बाकी हिस्सों में आंशिक सूर्य ग्रहण देखा गया।
सूर्य ग्रहण का समय: ग्रहण की शुरुआत 21 जून की सुबह 10.20 बजे से हुई और इसकी समाप्ति दोपहर 01.49 बजे पर। ग्रहण अपने पूर्ण प्रभाव में दोपहर 12.02 बजे दिखाई दिया। खण्डग्रास ग्रहण की कुल अवधि 03 घण्टे 28 मिनट की रही।
Surya Grahan 2020: कहीं नारंगी तो कहीं हरा दिखा सूरज, उत्तराखंड में दिखी रिंग ऑफ फायर, देखें- Photos
सूर्य ग्रहण से संबंधित दिलचस्प जानकारी:
– 21 जून के बाद आप अगला सूर्य ग्रहण 14-15 दिसंबर में देख पायेंगे। लेकिन ये ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा।
– एक साल में 5 सूर्य ग्रहण तक हो सकते हैं।
– पूर्ण सूर्यग्रहण एक दुर्लभ दृश्य है। जो हर 18 महीने में एक बार ही होता है। पूर्ण सूर्य ग्रहण के लिए, सूर्य को चंद्रमा द्वारा कम से कम 90 प्रतिशत तक ढका होना जरूरी होता है।
– पूर्ण सूर्य ग्रहण की सबसे लंबी अवधि 7.5 मिनट है।
– पूर्ण सूर्य ग्रहण को उत्तर और दक्षिण ध्रुवों से नहीं देखा जा सकता है।
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उत्तराखंड के नैनीताल स्थित आर्यभटट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) में रविवार को वलयाकार सूर्य ग्रहण का अदभुत नजारा देखा गया। नैनीताल में आकाश में छाये बादलों के कारण सूर्यग्रहण को देखने में जब बाधा पड़ी तो एरीज ने दर्शकों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था भी की।
कुछ लोग ग्रहण के पूर्व बना भोजन के ग्रहण के बाद बचे रहने को वे बेकार मानते हैं। पका भोजन अगर बच गया है तो फेकने के बजाय तुलसी पत्र या कुश डाल दें। इससे ग्रहण का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता। ग्रहण के बाद गंगाजल छिड़क कर भोजन कर सकते हैं।
21 जून का सूर्य ग्रहण मिथुन राशि में लगा था। इस राशि पर लगने वाला ग्रहण आपके लिए सर्वाधिक कष्ट कारक सिद्ध हो सकता है इसलिए अपनी जिद एवं आवेश पर नियंत्रण रखते हुए स्वभाव में चिड़चिड़ापन न आने दें। यात्रा सावधानीपूर्वक करें वाहन दुर्घटना से बचें कार्य क्षेत्र में भी उच्चाधिकारियों से मधुर संबंध बनाए रखें।
सूर्य ग्रहण की समाप्ति के बाद उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में लोगों ने संगम पर मंत्र उच्चारण कर गंगा स्नान किया। सूर्य ग्रहण के खत्म होने पर स्नान का काफी महत्व होता है। इससे नकारात्मक उर्जाओं का नाश होता है।
सदी के दुर्लभ और साल के पहला सूर्य ग्रहण ने रविवार को सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। देश के कई हिस्सों में रिंग ऑफ फायर का नजारा दिखाई दिया। इसके बाद ग्रहण का मोक्ष काल शुरू हो गया जो कि 3 बजकर 4 मिनट पर खत्म हुआ।
राशि से धनभाव में पड़ने वाला ये सूर्य ग्रहण पारिवारिक कलह एवं मानसिक अशांति दे सकता है। स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा दाहिनी आंख का ध्यान रखें। परिवार में अलगाव न पैदा होने दें। किसी को भी कर्ज देने से बचें कार्य क्षेत्र से अपने काम निपटायें और सीधे घर आए, विवादों से दूर रहें।
अमृतसर में सूर्य का रंग ग्रहण के दौरान गुलाबी नजर आया। वहीं, कुरुक्षेत्र में नीला दिखाई दिया सूर्य
ग्रहण के बाद तुलसी पौधा की पूजा कर दीपक जरूर जलाएं, ऐसा करने से ग्रहण दोष समाप्त होता है। घर में शांति आती है।
पितृदोष से मुक्ति के लिए सूर्य ग्रहण के बाद भगवान शिव का गंगाजल से अभिषेक करें
पका भोजन अगर बच गया है तो फेकने के बजाय तुलसी पत्र या कुश डाल दें। इससे ग्रहण का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता। ग्रहण के बाद गंगाजल छिड़क कर भोजन कर सकते हैं।
सूर्य ग्रहण के बाद अब अगला ग्रहण चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse) होगा, जो 5 जुलाई को लगेगा। जुलाई के पहले सप्ताह में लगने वाला चंद्र ग्रहण इस साल का तीसरा चंद्र ग्रहण होगा। इससे पहले 10 जनवरी को पहला और 05 जून को दूसरा चंद्र ग्रहण लगा था। इस साल कुल चार चंद्र ग्रहण लगेंगे। साल का आखिरी और चौथा चंद्र ग्रहण 30 नवंबर को को लगेगा। वहीं इस साल दो सूर्य ग्रहण हैं। पहला 21 जून को लग चुका है, दूसरा 14 दिसंबर को लगेगा।
आज यानि कि 21 जून के बाद अगला सूर्य ग्रहण दिसंबर माह के 14 तारीख को लगेगा। बता दें कि इस साल दो सूर्य ग्रहण हैं।
ग्रीष्म संक्राति साल का सबसे बड़ा दिन होता है। ऐसा तब होता है जब पृथ्वी, सूर्य की परिक्रमा करते हुए, सूर्य की ओर अपने अधिकतम झुकाव पर पहुंच जाती है। आपको बता दें, हर साल पृथ्वी पर दो संक्रांति देखने को मिलती है। एक ग्रीष्म और शीतकालीन अयनांत, जो तब होती है जब पृथ्वी सूर्य से सबसे दूर होती है और उसका झुकाव भी सूर्य की ओर नहीं होता।
देश के ज्यादातर हिस्सों में खत्म हुआ सूर्य ग्रहण...
यह सलाह दी जाती है कि पहले से बने हुए भोजन को त्यागकर ग्रहण के पश्चात् मात्र स्वच्छ एवं ताजा बने हुए भोजन का ही सेवन करना चाहिये। गेहूँ, चावल, अन्य अनाज तथा अचार इत्यादि जिन्हें त्यागा नहीं जा सकता, इन खाद्य पदार्थों में कुश घास तथा तुलसी दल डालकर ग्रहण के दुष्प्रभाव से संरक्षित किया जाना चाहिये। ग्रहण समाप्ति के उपरान्त स्नान आदि करके ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देनी चाहिये। ग्रहणोपरान्त दान करना अत्यन्त शुभ व लाभदायक माना जाता है।
साल का पहला और सदी का दूसरा सूर्य ग्रहण ज्योतिषाचार्यों का मत है कि इस तरह का दुर्लभ सूर्य ग्रहण इस सदी का दूसरा और इस साल का पहला सूर्य ग्रहण है. यह सूर्य ग्रहण भारत में करीब 3 घंटे तक रहेगा. इस दौरान लोग अपने घरों में रहें. अपने भगवान को साफ़ कपड़े से ढक दें. तथा कोई भी वर्जित काम न करें. ग्रहण की समाप्ति के बाद स्नान और दान करें.
देहरादून में वलयाकार सूर्य ग्रहण दिखाई दिया। यहां आसमान में कंगन जैसी आकृति नजर आई। आपको बता दें कि वलयाकार सूर्य ग्रहण तब लगता है जब चांद पृथ्वी से बेहद दूर रहने हुए सूर्य और पृथ्वी के बीच में इस तरह से आ जाता है। जिससे चांद सूर्य की आधे से ज्यादा रोशनी को रोक लेता है।
दिल्ली में आसमान में बादल छाने की वजह से दिल्ली के लोग इस खूबसूरत नजारे को नहीं देख पाए। लेकिन स्पेशल उपकरणों की सहायता से देखने पर कुछ ऐसा दिखाई दिया सूर्य ग्रहण...
चंद्र ग्रहण को जहां खुली आंखों से देखना सुरक्षित होता है वहीं सूर्य ग्रहण को नग्न आंखों से नहीं देखने की सलाह दी जाती है। कहा जाता है कि इससे हमारी आंखो को नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए इसे देखने के लिए टेलीस्कोप या सोलर फिल्टर चश्में का उपयोग किया जाता है।
किन देशों में दिखेगा ग्रहण: भारत के साथ यह ग्रहण बैंकाक, काठमांडू, कराची, अबू धाबी, रियाद आदि में देखने को मिलेगा। मध्य अफ्रिका, उत्तरी भारत, ताइवान, चीन में यह ग्रहण पूर्ण रुप से दिखाई देगा।
अबुधाबी से सूर्य ग्रहण की तस्वीर
सूर्यग्रहण को नग्न आंखों से देखने से आंखों को नुकसान पहुंचता है। सूर्यग्रहण के वक्त निकलने वाली हानिकारक किरणें आपकी आंखों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। बता दें कि सूर्य को सीधे देखने से आंखों के रेटिना को स्थायी नुकसान हो सकता है इसलिए सूर्य ग्रहण देखने के लिए विशेष चश्मे, वेल्डर की ढाल या पिन-होल इमेजिंग तकनीक का उपयोग करने की सिफारिश की जाती है। इस बार सूर्यग्रहण कहीं-कहीं आंशिक दिखेगा और कहीं-कहीं वलयाकार रूप में नजर आएगा।
अगर आप ऐसी जगह पर रह रहे हैं जहां 21 जून को पड़ने वाला यह सूर्य ग्रहण दिखेगा, तो आप खुद अपनी आंखों से इसका अनुभव कर पाएंगे। ध्यान रहे कि सूर्य ग्रहण देखते समय अपनी आंखों के लिए प्रोटेक्शन लें। अगर आप इसे ऑनलाइन देखना चाहते हैं तो पॉप्युलर चैनल जैसे TimeandDate और Slooh अपने यूट्यूब चैनल पर इसकी लाइव स्ट्रीमिंग करेंगे। इसके अलावा NASA ट्रैकर का इसतेमाल कर भी आप सूर्य ग्रहण लाइव देख सकते हैं।
21 जून का दिन साल का सबसे बड़ा दिन होता है। इस सदी में 21 जून को लगने वाला यह सूर्य ग्रहण पहला नहीं है। इससे पहले भी इस सदी में इस दिन सूर्य ग्रहण लग चुका है। 21 जून 2001 को भी सूर्य ग्रहण की घटना हुई थी।
आज होने वाली सूर्य ग्रहण की घटना को ग्रहण को लाइव दिखाने वाले कई यूट्यूब चैनल प्रसारित करेंगे। आप घर बैठे ही ग्रहण के नजारे देख सकते हैं। ग्रहण सुबह 10:20 बजे से शुरू होकर दोपहर 2 बजे खत्म होगा।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर में सूर्य ग्रहण 21 जून को सुबह 10.20 मिनट से प्रारंभ होकर 3 घंटे 28 मिनट 36 सेकेंड तक रहेगा। देश-दुनिया में कई जगहों पर सूर्यग्रहण लगने के दौरान दिन में भी शाम जैसी स्थिति हो जाएगी। सूर्यग्रहण के दौरान सूर्य चमकते छल्ले की तरह दिखाई देगा। खास बात कि साल के सबसे बड़े दिन पर लगने वाला यह सूर्यग्रहण देश में कहीं पूर्ण रूप से तो कहीं आंशिक रूप से दिखाई देगा। इस बार उत्तर भारत के लोगों को भी यह अद्भूत दृष्ट देखने को मिलेगा। ग्रहण के समय सूर्य के केंद्र का भाग पूरा काला नजर आने वाला है, जबकि किनारों पर चमक रहेगी।
सूर्य ग्रहण को सीधे आंखों से देखने की सलाह नहीं दी जाती। दरअसल, सूर्यग्रहण के दौरान सूर्य से काफी हानिकारक सोलर रेडिएशन निकलते हैं जिससे कि आंखों के नाजुक टिशू डैमेज हो जाते हैं और आंखों को जबरदस्त नुकसान पहुंच सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक सूर्य ग्रहण देखने के लिए नॉर्मल गॉगल्स या चश्मे का इस्तेमाल कतई न करें बल्कि इसके लिए सोलर-व्युइंग ग्लासेस, पर्सनल सोलर फिल्टर्स या आइक्लिप्स ग्लासेस का इस्तेमाल करना चाहिए। इस तरह के चश्मे को सोलर फिल्टर युक्त चश्मा कहा जाता है। पिनहोल, टेलेस्कोप और दूरबीन से भी सूर्यग्रहण देखना हानिकारक साबित हो सकता है।
21 जून यानी आज का दिन बेहद ही खास है। आज देशभर में सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है जिसका वैज्ञानिक, धार्मिक और ज्योतिष महत्व होता है। आज ही के दिन विश्व योग दिवस भी मनाया जाता है। इसके साथ ही आज का दिन यानी 21 जून साल का सबसे बड़ा दिन भी होता है।
लद्दाख में तनाव के बीच एलएसी से सटा हनले गांव रविवार को सूर्यग्रहण की खगोलीय घटना को अन्य क्षेत्रों की तुलना में ज्यादा साफ और करीब से देखेगा। एलएसी से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित इंडियन एस्ट्रोनॉमिकल ऑब्जर्वेटरी हनले में विशेष टेलीस्कोप से सूर्यग्रहण को रिकॉर्ड किया जाएगा।
ज्योतिष अनुसार सूर्य ग्रहण के समय ग्रह और नक्षत्रों का ऐसा संयोग बनने जा रहा है जो पिछले 500 सालों में नहीं बना। ग्रहण मृगशिरा, आद्र्रा नक्षत्र और मिथुन राशि में लगेगा।
देश की राजधानी दिल्ली में सूर्य ग्रहण की शुरुआत 10:20 AM के करीब होगी। ग्रहण 12:02 PM बजे अपने पूर्ण प्रभाव में होगा और इसकी समाप्ति 01:49 PM पर होगी। देश के अन्य शहरों में ग्रहण के समय में कुछ अंतर देखने को मिल सकता है। इस ग्रहण का सूतक काल मान्य होगा। जिसकी शुरुआत ग्रहण लगने से ठीक 12 घंटे पहले हो जाएगी। सूतक 20 जून की रात 09:52 बजे से लग जाएगा।
ग्रहण का आंशिक रूप सुबह 9.16 बजे शुरू होगा। वलयाकार रूप सुबह 10.19 बजे शुरू होगा और यह अपराह्न 2.02 बजे समाप्त होगा।
दिल्ली में नेहरू तारामंडल की निदेशक एन रत्नाश्री ने कहा कि अगला वलयाकार ग्रहण दिसंबर 2020 में पड़ेगा, जो दक्षिण अमेरिका से देखा जाएगा।
ग्रहण के दौरान निकलने वाली किरणें हानिकारक होती हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्रहण के दाैरान किसी भी प्रकार के नुकसान से बचने के लिए रेडिएशन वाले उपकरणों टीवी, रेडियो और मोबाइल से दूर रहें।
जब चंद्रमा सूरज के सिर्फ़ कुछ हिस्से को ही ढकता है तो वह स्थिति खण्ड-ग्रहण कहलाती है। इसके उलट जब चंद्रमा सूरज को पूरी तरह ढंक लेता है, उसे पूर्ण-ग्रहण कहते हैं।
ग्रहण काल में आपसी विवाद और झगड़ों को त्यागकर पूरा ध्यान सिर्फ भगवत भजन पर लगाना चाहिए। भजन करने से मन एकाग्र रहता है।
ग्रहण काल में निषेध कार्यों को करने से शारीरिक और मानसिक समस्याएं आती हैं। साथ ही घर में क्लेश, अशांति और अवनति का वातावरण बनता है। इससे बचने के लिए शास्त्रों में बताए गए नियमों का पालन करना चाहिए।
अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA का कहना है कि पृथ्वी से जिन जगहों पर ग्रहण देखा जा सकेगा, वहां से मीलों दूर होने पर भी आसमान साफ रहने पर इसको देखे जाने की संभावना है। हर साल लोग ग्रहण देखने के लिए ट्रैवल भी करते हैं लेकिन इस बार कोरोना वायरस की वजह से ऐसा संभव नहीं हो सकेगा और ज्यादातर लोग ऑनलाइन स्ट्रीमिंग से ही इस नजारे को देखेंगे।
कुश से बने आसन पर बैठ कर साधना करने से आरोग्य, यश और तेज की वृद्धि होती है। साधक की एकाग्रता भंग नहीं होती। कुश मूल की माला से जाप करने से अंगुलियों के एक्यूप्रेशर बिंदु दबते रहते हैं, जिससे शरीर में रक्त संचार ठीक रहता है। भाद्रपद कृष्ण अमावस्या को लाई गई कुशावर्ष भर तक पवित्र रहती है। देव पूजन, यज्ञ, हवन, यज्ञोपवीत, ग्रहशांति पूजन कार्यो में रुद्र कलश एवं वरुण कलश में जल भर कर सर्वप्रथम कुश डालते हैं। कलश में कुश डालने का वैज्ञानिक पक्ष यह है कि कलश में भरा हुआ जल लंबे समय तक जीवाणु से मुक्त रहता है।
विधुन्तुद नमस्तुभ्यं सिंहिकानन्दनाच्युत।
दानेनानेन नागस्य रक्ष मां वेधजाद्भयात्॥२॥
श्लोक अर्थ - सिंहिकानन्दन (पुत्र), अच्युत! हे विधुन्तुद, नाग के इस दान से ग्रहणजनित भय से मेरी रक्षा करो।
कुंभ -तेल, तिल, नीले-काले कपड़े, ऊनी कपड़े और लोहे का दान करें।
मीन - पीली चीजें, धर्मग्रंथ, शहद, भूमि, दूध देने वाली गाय, पीला चंदन, पीले कपड़े दान कर सकते हैं।