ज्योतिष शास्त्र के विद्वानों के अनुसार साल 2020 का आखिरी सूर्य ग्रहण आज 14 दिसंबर, सोमवार को शाम 7 बजकर 3 मिनट से शुरू होकर रात 12 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। इस सूर्य ग्रहण की कुल अवधि करीब 5 घंटे की रहेगी।
बताया जा रहा है कि यह सूर्य ग्रहण उस समय लगेगा जब भारत में सूर्यास्त होकर शाम हो चुकी होगी इसलिए भारत में रहने वाले लोगों को यह ग्रहण दिख नहीं पाएगा। कहा जा रहा है कि इसकी वजह से यह संभावनाएं भी बन सकती हैं कि यह भारत की परिस्थितियों में बहुत अधिक परिवर्तन लाने वाला साबित नहीं हो पाएगा।
क्यों खास माना जा रहा है यह ग्रहण – साल के अंतिम सूर्य ग्रहण को इसलिए खास माना जा रहा है क्योंकि इस दिन सोमवती अमावस्या है और 16 दिसंबर, बुधवार से खरमास शुरू होने वाला है। इसलिए कहा जा रहा है कि यह संभावनाएं बन सकती हैं कि इस सूर्य ग्रहण का बहुत अधिक नकारात्मक प्रभाव न पड़े। लेकिन साथ में यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि इस दौरान सावधानियां जरूर बरतें।
कौन-सी सावधानियां बरतनी है जरूरी – सूर्य ग्रहण के दौरान कुछ खास सावधानियां बरतनी जरूरी मानी जाती हैं। खासतौर पर प्रेग्नेंट महिलाओं को खास ख्याल रखने की सलाह दी जाती है। ग्रहण के बीच सूई, कील, तलवार और चाकू जैसी नुकीली वस्तुओं का इस्तेमाल न करें। ध्यान रखें कि ऐसे में खाना खाना, बनाना, सब्जी काटना, आसमान के नीचे खड़े होना और दीपक जलाकर पूजा आदि करना मना होता है।
ग्रहण के दौरान क्या करना माना जाता है शुभ – सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य देव के मंत्रों का जाप करें। संभव हो तो भगवान विष्णु की उपासना करें। आप चाहें तो आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं। पीले रंग के वस्त्र पहनें। ग्रहण की अवधि खत्म होने के बाद मंदिर धोकर स्वयं स्नान कर पूजा करें।
भारतीय समय के मुताबिक, 14 दिसंबर की रात में सूर्य ग्रहण लगेगा, इसलिए दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे भारत में कहीं भी दिखाई नहीं देगा। ज्योतिषियों के मुताबिक, सूर्य ग्रहण 14 दिसंबर की शाम 7:03 बजे से शुरू होकर रात 12:23 बजे तक यानी तकरीबन 5 घंटे 20 मिनट तक चलेगा।
14 दिसंबर को लगने जा रहे सूर्य ग्रहण के दौरान वृश्चिक राशि में 5 ग्रह मौजूद रहेंगे, इसे पंचग्रही योग कहा जा रहा है।
साल के आखिरी सूर्य ग्रहण के सूतक काल का समय 14 दिसंबर, सोमवार यानी आज शाम 7 बजकर 3 मिनट से शुरू होगा और रात 12 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। ज्योतिष शास्त्र के विद्वानों की मानें तो इस सूर्य ग्रहण के सूतक काल की कुल अवधि लगभग 5 घंटे तक की रहेगी।
साल के आखिरी सूर्य ग्रहण के सूतक काल का समय 14 दिसंबर, सोमवार यानी आज शाम 7 बजकर 3 मिनट से शुरू होगा और रात 12 बजकर 23 मिनट तक रहेगा।
साल के आखिरी सूर्य ग्रहण के सूतक काल का समय 14 दिसंबर, सोमवार यानी आज शाम 7 बजकर 3 मिनट से शुरू होगा और रात 12 बजकर 23 मिनट तक रहेगा।
सूतक काल शाम 7 बजकर 3 मिनट से शुरू होगा और रात 12 बजकर 23 मिनट तक रहेगा।
सूर्य ग्रहण के दौरान अपनी गतिविधियों को सही रखना बहुत जरूरी होता है। विशेष तौर पर गर्भवती महिलाओं को इस दौरान अपना ख्याल रखना चाहिए। कहते हैं कि इस अवधि में प्रेग्नेंट महिला अगर कोई भी ऐसी गतिविधि करती है जो ग्रहण के दौरान करना मना है तो इसका दुष्परिणाम गर्भ में पल रहे बच्चे को सहना पड़ता है।
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक मेष, कर्क, मिथुन, कन्या, तुला और मकर राशि पर गुरु चंडाल योग का सबसे नकारात्मक असर पड़ सकता है।
ग्रहण के दौरान सावधान रहने की सलाह दी जाती है। कहते हैं कि ग्रहण के दौरान सावधानियां न बरती जाएं तो इसका सीधा असर स्वास्थ्य पर पड़ सकता है। इसलिए यह भी कहा जाता है कि ग्रहण को नग्न आंखों से नहीं देखना चाहिए।
यह ग्रहण दक्षिणी अफ्रीका, अधिकांश दक्षिण अमेरिका, प्रशांत महासागर, अटलांटिक और हिंद महासागर और अंटार्टिका में दिखाई देगा।
साल के आखिरी सूर्य ग्रहण के सूतक काल का समय 14 दिसंबर, सोमवार यानी आज शाम 7 बजकर 3 मिनट से शुरू होगा और रात 12 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। ज्योतिष शास्त्र के विद्वानों की मानें तो इस सूर्य ग्रहण के सूतक काल की कुल अवधि लगभग 5 घंटे तक की रहेगी।
जब पृथ्वी व सूर्य के बीच चंद्रमा आ जाता है, तब सूर्यग्रहण लगता है। ग्रहण का मानवी जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। ग्रहण के दौरान सूर्य के आंशिक रूप से ढंक जाने पर खंडग्रास लगता है।
र्य ग्रहण के दौरान कुछ खास सावधानियां बरतनी जरूरी मानी जाती हैं। खासतौर पर प्रेग्नेंट महिलाओं को खास ख्याल रखने की सलाह दी जाती है। ग्रहण के बीच सूई, कील, तलवार और चाकू जैसी नुकीली वस्तुओं का इस्तेमाल न करें। ध्यान रखें कि ऐसे में खाना खाना, बनाना, सब्जी काटना, आसमान के नीचे खड़े होना और दीपक जलाकर पूजा आदि करना मना होता है।
साल के आखिरी सूर्य ग्रहण को देखने की चाह रखने वाले लोग टेलिस्कोप की मदद ले सकते हैं. इसके अलावा आप http://www.virtualtelescope.eu पर भी वर्चुअल टेलिस्कोप की मदद से सूर्य ग्रहण को देख सकते हैं. वहीं यूट्यूब चैनल CosmoSapiens, Slooh पर लाइव भी सूर्य ग्रहण देखने का अच्छा विकल्प हो सकता है.
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, मेष, कर्क, मिथुन, कन्या, तुला और मकर राशि पर गुरु चंडाल योग का सबसे बुरा असर पड़ सकता है.
इस ग्रहण काल के दौरान इस राशि वालों को बहुत सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि ग्रहण इसी राशि में लगेगा. ग्रहण के प्रभाव से इनके मान-सम्मान में कमी आ सकती है और इन लोगों को मानसिक पीड़ा भी उठानी पड़ सकती है. वृश्चिक राशि वालों को इस दौरान सूर्य की आराधना करनी चाहिए
सूर्य ग्रहण का प्रभाव देश और दुनिया पर बहुत अधिक पड़ता है। कहते हैं कि सूर्य ग्रह सत्ता, सत्ताधारी और घर के मुखिया को सबसे अधिक प्रभावित करता है।
सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य देव के मंत्रों का जाप करें। संभव हो तो भगवान विष्णु की उपासना करें। आप चाहें तो आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं। पीले रंग के वस्त्र पहनें। ग्रहण की अवधि खत्म होने के बाद मंदिर धोकर स्वयं स्नान कर पूजा करें।
14 दिसंबर को संध्याकाल में लगने वाला ये सूर्य ग्रहण भारत में नजर नहीं आएगा. ऐसे में ग्रहण के दौरान किसी भी तरह के कार्यों पर पाबंदी नहीं होगी.
जब चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ढक लेता है और सूर्य की किरणें धरती तक नहीं पहुंच पाती, इस घटना को पूर्ण सूर्य ग्रहण कहा जाता है. जब चंद्रमा सूर्य को आंशिक रुप से ढक लेता है तो इस घटना को आंशिक सूर्य ग्रहण कहा जाता है. वहीं जब चंद्रमा सूर्य का मध्य भाग ढक लेता है और सूर्य एक रिंग की तरह नजर आने लगता है तो इस खगोलीय घटना को वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं.
साल के अंतिम सूर्य ग्रहण का सूतक काल का समय 14 दिसंबर, सोमवार को शाम 7 बजकर 3 मिनट से शुरू होगा और रात 12 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। विद्वानों की मानें तो इस ग्रहण के सूतक काल की कुल अवधि करीब 5 घंटे की रहेगी।
कहते हैं कि सूर्य ग्रहण के सूतक काल का समय बहुत अधिक प्रभावशाली होता है और इस दौरान बहुत अधिक सावधानियां बरतने की जरूरत होती है वरना ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव परेशानियां उत्पन्न कर सकता है। ऐसी मान्यता भी हैं कि सावधानियां न बरतने पर कई जीवन में कई समस्याएं आ सकती हैं।
सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य देव के मंत्रों का जाप करें। संभव हो तो भगवान विष्णु की उपासना करें। आप चाहें तो आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं। पीले रंग के वस्त्र पहनें। ग्रहण की अवधि खत्म होने के बाद मंदिर धोकर स्वयं स्नान कर पूजा करें।
वैज्ञानिकों की मानें तो सूर्य ग्रहण तब लगता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है। बता दें कि विज्ञान ग्रहण को बहुत अधिक महत्वपूर्ण नहीं मानता है, जबकि ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रहण को बहुत प्रभावशाली और परिवर्तनकारी माना जाता है।
करीब पांच घंटे तक के लिए लगने वाला खंडग्रास सूर्य ग्रहण भारतीय समय के अनुसार शाम 7.04 बजे से आरंभ होगा जो कि मध्य रात्रि 12.23 तक रहेगा।
साल का आखिरी सूर्य ग्रहण दक्षिणी अफ्रीका, अधिकांश दक्षिण अमेरिका, प्रशांत महासागर, अटलांटिक, हिंद महासागर और अंटार्कटिका में पूर्ण रूप से नजर आएगा।
कहते हैं कि इस अवधि में प्रेग्नेंट महिला अगर कोई भी ऐसी गतिविधि करती है जो ग्रहण के दौरान करना मना है तो इसका दुष्परिणाम गर्भ में पल रहे बच्चे को सहना पड़ता है।
सूर्य ग्रहण का प्रभाव देश और दुनिया पर बहुत अधिक पड़ता है। कहते हैं कि सूर्य ग्रह सत्ता, सत्ताधारी और घर के मुखिया को सबसे अधिक प्रभावित करता है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक ग्रहण एक सामान्य खगोलीय घटना है, लेकिन ज्योतिष शास्त्र के विद्वानों का मानना है कि सूर्य ग्रहण बहुत अधिक प्रभावशाली और परिवर्तनकारी होता है।
कहते हैं कि सूर्य ग्रहण के सूतक काल का समय बहुत अधिक प्रभावशाली होता है और इस दौरान बहुत अधिक सावधानियां बरतने की जरूरत होती है वरना ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव परेशानियां उत्पन्न कर सकता है। ऐसी मान्यता भी हैं कि सावधानियां न बरतने पर कई जीवन में कई समस्याएं आ सकती हैं।
विद्वानों का मानना है कि सूर्य ग्रहण का प्रभाव सभी राशियों के जातकों पर अलग-अलग पड़ता है। सूर्य ग्रहण के प्रभाव को जानने के लिए इस दिन राशिफल देखा जाता है। बताया जाता है कि राशिफल के माध्यम से सूर्य ग्रहण के प्रभाव को समझा जा सकता है।
सूर्य ग्रहण की समयावधि में गर्भवती महिलाओं को विशेष ध्यान रखना चाहिए। कहा जाता है कि ग्रहण का सबसे ज्यादा असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ता है।
कहते हैं कि सूर्य ग्रहण के सूतक काल का समय बहुत अधिक प्रभावशाली होता है और इस दौरान बहुत अधिक सावधानियां बरतने की जरूरत होती है वरना ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव परेशानियां उत्पन्न कर सकता है। ऐसी मान्यता भी हैं कि सावधानियां न बरतने पर कई जीवन में कई समस्याएं आ सकती हैं।
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, मेष, कर्क, मिथुन, कन्या, तुला और मकर राशि पर गुरु चंडाल योग का सबसे बुरा असर पड़ सकता है.
सूर्य ग्रहण के दौरान इस बार गुरु चंडाल योग बनेगा. राहु और गुरु के एक ही स्थान पर बैठने से गुरु चंडाल योग (Guru chandal yog) बनता है.
अगले वर्ष 2021 में दो सूर्य ग्रहण पड़ेंगे। पहला 10 जून व दूसरा 4 दिसंबर 2021 को होगा।
ग्रहण का असर प्रशांत महासागर, हिंद महासागर, दक्षिणी अफ्रीका, दक्षिणी अमेरिका, अटलांटिक और अंटार्कटिका में पड़ेगा।
करीब पांच घंटे तक के लिए लगने वाला खंडग्रास सूर्य ग्रहण भारतीय समय के अनुसार शाम 7.04 बजे से आरंभ होगा जो कि मध्य रात्रि 12.23 तक रहेगा।
सूर्य ग्रहण के दौरान एक खतरनाक योग का भी निर्माण हो रहा है. इस योग को गुरु चंडाल योग कहते हैं. यह योग जन्म कुंडली में तब बनाता है जब गुरु के साथ राहु एक ही स्थान में बैठ जाए. वहीं जब दोनों ग्रह कुंडली के अलग-अलग भाव में बैठकर एक-दूसरे को पूर्ण दृष्टि से देखें तो भी गुरु चंडाल योग का निर्माण होता है. इस समय गुरु शनि के साथ मकर राशि और राहु वृष राशि में विराजमान है.
ग्रहण काल में भगवान की मूर्तियों को न तो छूना चाहिए और न ही पूजा पाठ करना चाहिए। ग्रहण का सूतक काल लगते ही कई मंदिर के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं।
ग्रहण काल में सूर्य आंशिक रूप से ढका हुआ रहेगा। इस कारण इसे खंडग्रास सूर्यग्रहण माना जाएगा।