खंडग्रास चंद्र ग्रहण के बाद अब 21 अगस्त को सूर्य ग्रहण है। चंद्र ग्रहण के दो सप्ताह बाद सूर्य ग्रहण लगता है। इस बार चंद्र ग्रहण की तरह ही सूर्य ग्रहण भी सोमवार को पड़ रहा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक किसी खगोलीय पिंड का पूर्ण अथवा आंशिक रूप किसी अन्य पिंड से ढक जाना या पिंड के पीछे आ जाना ग्रहण कहलाता है। ऐसे ही सूर्य ग्रहण तब होता है, जब पृथ्वी और सूर्य के बीच चंद्रमा आ जाता है। इसके बाद धरती के कुछ हिस्सों पर सूर्य नजर नहीं आता है। जब सूर्य पूर्ण या आंशिक रूप से चंद्रमा द्वारा ढक लिया जाता है तो उसे पूर्ण एवं आंशिक सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
सूर्य ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं। पहला पूर्ण सूर्य ग्रहण होता है। जब चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी को अपनी छाया में ले लेता तो इसे पूर्ण सूर्य ग्रहण कहते हैं। ऐसी स्थिति में सूर्य की किरणें धरती तक नहीं पहुंच पाती हैं और धरती पर अंधेरा छा जाता है। दूसरा ग्रहण है आंशिक सूर्य ग्रहण। इसमें चंद्रमा सूर्य के कुछ हिस्से को ढक लेता है। इस दौरान धरती के कुछ हिस्सों पर सूर्य नजर नहीं आता। तीसरा है वलयाकार सूर्य ग्रहण। इसमें चंद्रमा, सूर्य को इस प्रकार से ढकता है कि सूरज का मध्य हिस्सा ही इससे कवर हो पाता है और सूर्य का बाहरी हिस्सा दिख रहा होता है। ऐसी स्थिति में वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं। ज्योतिष के मुताबिक सूर्य ग्रहण अमावस्या के दिन होता है। इसके अलावा चन्दमा का रेखांश राहू या केतु के पास होने और चन्द्रमा का अक्षांश शून्य के निकट होना पर सूर्य ग्रहण होता है।
बता दें, इससे पहले 7 अगस्त को खंडग्रास चंद्र ग्रहण था। यह चंद्र ग्रहण रक्षा बंधन के दिन लगा था। ऐसा संयोग 12 साल बाद बना था कि रक्षाबंधन के दिन चंद्र ग्रहण पड़ा। इससे पहले साल 2005 में ऐसा संयोग बना था कि रक्षाबंधन के दिन चंद्र ग्रहण पड़ा। रक्षाबंधन के दिन रात में 10.55 बजे से लेकर रात 12.52 मिनट तक चंद्र ग्रहण लगा था। इसके सूतक नौ घंटे पहले 7 अगस्त को दोपहर 1.52 मिनट से लग गए थे।
