Surya Mahadasha Effect: वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रह को ग्रहों का राजा माना गया है। साथ ही सिंह राशि पर सूर्य देव का आधिपत्य होता है। वहीं सूर्य देव मेष राशि में उच्च के होते हैं। साथ ही तुला इनकी नीच राशि होती है। वहीं सूर्य देव की महादशा का प्रभाव व्यक्ति के ऊपर 10 सालों तक रहता है। वहीं सूर्य देव की दशा का सकारात्मक रहेगा या नकारात्मक प्रभाव रहेगा। ये इस बात पर निर्भर करता है कि सूर्य देव आपकी कुंडली में किस स्थिति में विराजमान हैं। मतलब अगर वह ग्रह शुभ मतलब उच्च का स्थित है तो उसकी महादशा में व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति होगी। वहीं अगर वह ग्रह निगेटिव स्थित है तो व्यक्ति को अशुभ फल की प्राप्ति होगी। आइए जानते हैं सूर्य देव की महादशा में किन राशियों की चमकती है किस्मत…
कुंडली में सूर्य देव शुभ विराजमान हों तब
सूर्य देव अगर कुंडली में सकारात्मक स्थित हों तो व्यक्ति को शुभ फल मिलते हैं। साथ ही उस व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ा हुआ रहता है। ज्योतिष में सूर्य ग्रह मेष राशि में उच्च के होते हैं। साथ ही यह अपनी मित्र राशियों में शुभ फल देते हैं। वहीं इस दौरान में व्यक्ति के अटके हुए काम बनते हैं। साथ ही अगर व्यक्ति सरकारी कार्यों से जुड़ा हुआ हो तो अच्छा लाभ होता है। साथ ही व्यक्ति के पिता के साथ संबंध अच्छे रहते हैं और वह सरकारी नौकरी को प्राप्त करता है। वहीं व्यक्ति लोकप्रिय होता है और उसको मान- सम्मान की प्राप्ति होती है।
सूर्य देव जन्मकुंडली में नकारात्मक हो स्थित
सूर्य ग्रह अगर किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में नकारात्मक विराजमान हो तो व्यक्ति थोड़ा घंमडी होता है। साथ ही व्यक्ति के पिता के साथ मतभेत होते रहते हैं और संबंध खराब रहते हैं। वहीं यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में सूर्य देव किसी ग्रह से पीड़ित हो तो उस व्यक्ति को हृदय और आंख से संबंधित रोग हो सकते हैं। वहीं अगर सूर्य देव नीच के स्थिति हो और उनका संबंध चतुर्थ भाव के बन रहा है तो व्यक्ति की मृत्यु ह्रदय रोग से हो सकती है। जबकि गुरु से पीड़ित होने पर जातक को उच्च ब्लड प्रेशर की शिकायत होती है, वहीं व्यक्ति मोटापे से ग्रसित होता है।
साथ ही सूर्य अगर कुंडली में निगिटेव हो तो नौकरीपेशा लोगों को कार्यस्थल पर परेशानियों का सामना करना पड़ता है। साथ ही बॉस के साथ संबंध खराब रहते हैं। वहीं व्यक्ति को समाज में मान- सम्मान की प्राप्ति नहीं होती है।