Surya Dev Puja: हिंदू धर्म में हर एक दिन किसी न किसी देवी-देवता से संबंधित है। ऐसे ही रविवार का दिन भगवान सूर्य का है। जिन्हें साक्षात ब्रह्म कहा जाता है। वह धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देने वाले माने जाते हैं। पद्म पुराण के अनुसार, सूर्य द्वारा ही इस चराचर जगत का पान होता है। अगर किसी जातक के ऊपर सूर्यदेव की कृपा होती है, तो वह हर पापों को हर लेते हैं और जीवन में सुख-शांति देते हैं। रविवार के अलावा हर माह के शुक्ल पक्ष के रविवार के दिन सूर्य देव की विधिवत तरीके से पूजा की जाएंगे, तो कई गुना अधिक शुभ फलों की प्राप्ति होती है। पद्म पुराण के सृष्टि खण्ड में महादेव शंकर जी से स्वयं अपने बड़े पुत्र कार्तिकेय को सूर्य देव की विधिवत पूजा से लेकर कई शक्तिशाली मंत्रों के बारे में बताया है। आइए जानते हैं सूर्य पूजा की सही विधि से लेकर मंत्र और नामों के बारे में…

महादेव ने स्वयं बताई सूर्यदेव की पूजा विधि

ब्यास जी कहते हैं– कैलाश के रमणीय शिखर पर भगवान् महेश्वर सुखपूर्वक बैठे थे। इसी समय स्कन्द ने उनके पास जा पृथ्वी पर मस्तक टेककर उन्हें प्रणाम किया और कहा ‘नाथ ! मैं आपसे रविवार आदि का यथार्थ फल सुनना चाहता हूँ।’

महादेव जी ने कहा- बेटा रविवार के दिन मनुष्य व्रत रहकर सूर्य को लाल फूलों से अर्घ्य दे और रात को हविष्यात्र भोजन करे। ऐसा करने से वह कभी स्वर्ग से भ्रष्ट नहीं होता। रविवार का व्रत परम पवित्र और हितकर है। वह समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाला, पुण्यप्रद, ऐश्वर्य दायक, रोगनाशक और वर्ग तथा मोक्ष प्रदान करने वाला है।  यदि रविवार के दिन सूर्य की संक्रांति तथा शुक्ल पक्ष को रविवार हो, तो उस दिन किया हुआ वह, पूजा और जप – सब अक्षय होता है।

ऐसे करें सूर्य देव की पूजा (Surya Dev Puja)

शुक्र पक्ष के रविवार को ग्रहपति सूर्य की पूजा करनी चाहिए। इसके  हाथ में फूल लें लें और लाल कमल पर विराजमान, सुन्दर प्रवासे सुशोभित, रक्त वस्त्रधारी और लाल रंग के आभूषणों से विभूषित भगवान् सूर्य का ध्यान करे और फूलों को सूंघकर ईशान कोण की ओर फेंक दे। इसके बाद ‘आदित्याय विधड़े भास्कराय धीमहि तत्रो धातुः प्रचोदयात्’ इस सूर्य मंत्र का जाप करें। अब गुरु के उपदेश के अनुसार विधिपूर्वक पूजा करे। भक्ति के साथ पुष्प और केले आदि के सुन्दर फल अर्पण करके जल चढ़ाना चाहिए। जल के बाद चन्दन, चन्दन के बाद धूप, धूप के बाद दीप, दीप के पश्चात् नैवेद्य और उसके बाद जल निवेदन करना चाहिए। इसके बाद जप, स्तुति, मुद्रा और नमस्कार करना उचित है। पहली मुद्राला नाम अञ्जलि और दूसरीका नाम धेनु है। इस प्रकार जो सूर्य का पूजन करता है, वह उन्हीं का सायुज्य यानी मोक्ष प्राप्त करता है।

हिंदू पंचांग के हर माह में सूर्य देव का होगा अलग नाम (Surya Dev Hindi Maah Name)

भगवान् सूर्य एक होते हुए भी काल भेद से नाना रूप धारण करके प्रत्येक माह तपते रहते हैं। एक ही सूर्य बारह रूपों में प्रकट होते हैं। मार्गशीर्ष मित्र, पौष में सनातन विष्णु, माघ में वरुण, फाल्गुन में सूर्य, चैत्र मास में भानु, वैशाख में तापन, ज्येष्ठ में इन्द्र, आषाद में रवि, श्रावण में गभस्ति, भादों में यम, अश्विन में हिरण्यरेता और कार्तिक दिवाकर तपते हैं। इस प्रकार हिंदू महीने के भगवान सूर्य बारह नामों से पुकारे जाते हैं। इनका रूप अत्यन्त विशाल महान् तेजस्वी और प्रलय कालीन समान दीप्तिमान  है। जो इसका पाठ करता है, तो वह रोग, दरिद्रता और अपमान का कष्ट भी कभी नहीं उठाना पड़ता। वह क्रमशः यश, राज्य, सुख तथा अक्षय वर्ग प्राप्त करता है।

सूर्य के इस मंत्र को बोलने से व्यक्ति सुख भोगता है। (Surya Dev Mantra)

 महादेव आगे कहते हैं कि अब मैं सबको प्रसन्नता प्रदान करने वाले सूर्य के उत्तम महामन्त्र का वर्णन करूँगा। उसका भाव इस प्रकारहै- ‘सहस्त्र भुजाओं से सुशोभित भगवान् आदित्य को नमस्कार है। हाथ में कमल धारण करने वाले वरुण देव को बारं बार नमस्कार है। अंधकार का विनाश करने वाले श्री सूर्य देव को अनेक बार नमस्कार है। रश्मिमयी सहस्त्रों  जिह्लाएं  धारण करने वाले भानु को नमस्कार है। भगवन् । तुम्हीं ब्रह्मा, तुम्हीं विष्णु और तुम्हीं रुद्र हो। तुम्हें नमस्कार है। तुम्हीं संपूर्ण प्राणियों के भीतर अग्नि और वायु रूप से विराजमान हो।  तुम्हें बारंबार प्रणाम है। तुम्हारी सर्वत्र गति और सब भूतों में स्थिति है, तुम्हारे बिना किसी भी वस्तु की सत्ता नहीं है। तुम इस चराचर जगत में समस्त देहधारियों के भीतर स्थित हो। ‘इस मंत्र का जप करके मनुष्य अपने सम्पूर्ण अभिनित पदार्थों तथा स्वर्ग आदि के भोग को प्राप्त करता है।

सूर्य के इन 12 नामों का जाप करने से मिलती है पापों से मुक्ति (Surya Dev Mantra)

महादेव जी आगे कहते है  कि सूर्य भगवान के इन नामों का जो जप करता है, तो हर तरह के पापों और रोगों से मुक्ति मिल जाती है। इसलिए  आदित्य, भाल्कर, सूर्य, अर्क, भानु, दिवाकर, सुवपरित्ता, मित्र, पूषा, ज्या, स्वयम्भू और बारह का रोज जाप करना चाहिए।

मई माह में गुरु, राहु-केतु के अलावा शुक्र, बुध और सूर्य राशि परिवर्तन करेंगे, जिससे 12 राशियों के जीवन में किसी न किसी तरह से प्रभाव अवश्य देखने को मिलने वाला है। बता दें कि मई माह में कई राशि के जातकों की किस्मत चमक सकती है। आइए जानते हैं मई माह में कैसा बीतेगा 12 राशियों का दिन। जानें मासिक राशिफल

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