Surya Dev Worship: वैदिक ज्योतिष में ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को दूर करने के लिए मंत्र, उपाय और रत्नों का वर्णन मिलता है। यहां हम बात करने जा रहे हैं सूर्य देव से जुड़े उपाय के बारे में। आपको बता दें कि ग्रहों को सूर्य देव का राजा माना गया है और जिस व्यक्ति पर सूर्य देव की कृपा हो जाती है, वह जीवन में मान- प्रतिष्ठा पर लोकप्रियता हासिल करता है। इसलिए कुंडली में सूर्य देव का सकारात्मक होना बहुत जरूरी है। वहीं सूर्य देव की कृपा पाने के लिए सबसे सरल उपाय है, उनको नियमित रूप से प्रात: जल चढाना। आइए जानते हैं सूर्य देव को जल चढ़ाने के नियम, वैज्ञानिक और ज्योतिषीय लाभ…
सूर्य देव को अर्घ्य देते समय रखें इन बातों का ध्यान
सूर्य भगवान की आराधना का सर्वोत्तम समय सुबह सूर्योदय का ही होता है। साथ ही सूर्यदेव को हमेशा तांबे के पात्र में ही अर्घ्य देना चाहिए। साथ ही जल साफ और ताजा ही लेना चाहिए। पानी में फूल, कुमकुम और अक्षत डालना शुभ माना जाता है। अर्घ्य देते समय व्यक्ति का मुंह पूर्व दिशा में होना चाहिए। साथ ही जल चढ़ाते समय जूते-चप्पल नहीं पहनना चाहिए। सूर्य को जल अर्पित करते समय गिरती धार में सूर्य देव की किरणों को देखना शुभ माना जाता है। वहीं आदित्य हृदय का नियमित पाठ करने एवं रविवार को तेल, नमक नहीं खाने तथा एक समय ही भोजन करने से भी सूर्य भगवान कि हमेशा कृपा बनी रहती है। सूर्य देव को जल देते समय ॐ घृणि सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें।
सूर्य देव को जल चढ़ाने के वैज्ञानिक लाभ
सूर्य की रौशनी से मिलने वाला विटामिन डी शरीर में पूरा होता है। त्वचा के रोग कम होते हैं। साथ ही अथर्ववेद में कहा गया है कि सूर्योदय के समय सूर्य की लाल किरणों के प्रकाश में खुले शरीर बैठने से हृदय रोगों और पीलिया के रोग में लाभ होता है।
सूर्य देव को जल चढ़ाने के ज्योतिषीय लाभ
सूर्यनारायण को तीन बार अर्घ्य देकर प्रणाम करना चाहिए। मान्यता है कि इस अर्घ्य से भगवान सूर्य प्रसन्न होकर अपने भक्तों की हर संकटों से रक्षा करते हैं। साथ ही व्यक्ति को आरोग्य, वैभव और सौभाग्य का आशीर्वाद देते हैं। साथ ही अगर कुंडली में सूर्य देव नीच या अशुभ के स्थित हों तो सूर्य जल देने के उनके अशुभ प्रभाव में बहुत कमी आती है। ह्रदय रोगियों को भगवान सूर्य की उपासना करने से विशेष लाभ होता है। उन्हें आदित्य ह्रदय स्तोत्र का नित्य पाठ करना चाहिए।