Sun Transit 2022 : ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को एक प्रमुख ग्रह माना गया है। जानकारों के मुताबिक सूर्य का संबंध पिता और हमारी आत्मा से भी है। सूर्य को ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों का अधिपति यानि सभी ग्रहों का राजा बताया गया है।

हिन्दू पंचांग के अनुसार वैशाख माह के पूर्णिमा तिथि 16 मई 2022 को साल 2022 का पहला चंद्रग्रहण लगने जा रहा है। इससे ठीक एक दिन पहले यानी 15 मई को सूर्य अपनी राशी परिवर्तन करने जा रहें हैं। सूर्य का गोचार 15 मई को सुबह करीब 5 बजकर 44 मिनट पर होगा।

ज्योतिष के जानकारों के मुताबिक यदि किसी जातक की कुंडली में सूर्य शुभ स्थिति में हो तो जातक को यश प्राप्त होता है। उच्च पद पर आसीन करने में भी सूर्य की भूमिका अहम मानी गई है। सूर्य को पिता, ऑफिस में बॉस भी कहा गया है। इसलिए ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, सूर्य का यह राशि परिवर्तन इन तीन राशियों पर असर डालेगा। इसलिए इन्हें सतर्क रहना होगा।

वैशाख पूर्णिमा व्रत के लिए शुभ मुहूर्त: वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 15 मई 2022, दिन रविवार 12 बजकर 47 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन यानी 16 मई, सोमवार को 09 बजकर 45 मिनट तक रहेगी। पूर्णिमा का व्रत 16 मई को रखा जाएगा, इसी दिन बुद्ध पूर्णिमा भी मनाया जाएगा। इस लिहाज से वैशाख पूर्णिमा के दान-पुण्य के लिए सुबह का समय सबसे उत्तम होगा।

मिथुन, तुला और वृश्चिक को रहना होगा सावधान: ज्योतिषविदों के अनुसार, सूर्य के इस राशि परिवर्तन से मिथुन राशि वालों को काफी सतर्क रहना होगा। भाई बहनों के साथ गलतफहमी के चलते संबंध खराब हो सकते हैं। नौकरी पेशा वाले जातकों को दिक्कत हो सकती है। वहीं तुला राशि के जातकों को आर्थिक समस्या का मुकाबला करना पड़ सकता है। इसलिए प्रापर्टी के लेनदेन से बचें। कोई भी नया व्यापार न करें। कुछ समय तक रुकना बेहतर होगा।

इसके अलावा वृश्चिक राशि के जातकों को थोड़ी समस्या हो सकती है। नौकरी पेशे में दिक्कत आ सकती है। यात्रा के योग हैं साथ ही क्रोध के साथ मुखर होना शुभ फलदायी नहीं होगा। वैवाहिक जीवन में खटास हो सकता है साथ ही यात्रा जीवनसाथी के साथ रिश्तों में कुछ दिक्कतें आ सकती हैं।

बुद्ध पूर्णिमा का महत्व: हिन्दू धर्म में वैशाख माह की पूर्णिमा व बुद्ध पूर्णिमा पर गंगा या किसी पवित्र नदी या कुंड में स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन कोई व्यक्ति स्नान करने के पश्चात भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हुए, अपनी श्रद्धा अनुसार दान-पुण्य करता है तो, मान्यता अनुसार उसे अपने जीवन के तमाम कष्टों व दुखों से निजात मिलती है। वे जातक अपने जीवन में जाने-अनजाने किये गए सभी पापों से मुक्ति पाता है।

शास्त्रों के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा के दिन सत्यविनायक व्रत रखना भी अत्यंत फलदायी होता है। क्योंकि ये व्रत न केवल धर्मराज यमराज को प्रसन्न करने के लिए लिया जाता है, बल्कि इससे व्रती के ऊपर से जीवन में अकाल मृत्यु का खतरा भी टलता है। इसलिए ही विशेषज्ञ पूर्णिमा के दिन चीनी, सफेद तिल, आटा, दूध, दही, खीर आदि विशेषरूप से सफ़ेद वस्तुओं का दान करने की सलाह देते हैं।