Surya Mahadasha Effect: वैदिक ज्योतिष में लक्ष्य प्राप्ति, साहस, प्रतिभा, नेतृत्व क्षमता, सम्मान, ऊर्जा, आत्म-विश्वास, आशा, ख़ुशी, आनंद, दयालु, शाही उपस्थिति, वफादारी, कुलीनता, सांसारिक मामलों में सफलता, सत्य, जीवन शक्ति का कारक माना जाता है। वहीं सूर्य देव एक राशि से दूसरी राशि में लगभग 1 महीने का समय लगाते हैं। साथ ही सिंह राशि पर सूर्य देव का आधिपत्य होता है। वहीं सूर्य देव की महादशा का प्रभाव व्यक्ति के ऊपर 10 सालों तक रहता है।
वहीं सूर्य देव की दशा का शुभ रहेगा या अशुभ प्रभाव रहेगा। ये कुंडली में सूर्य देव की स्थिति पर निर्भर करता हैं। मतलब अगर वह कुंडली में शुभ स्थित है तो सूर्य की महादशा में व्यक्ति को अच्छे फल प्राप्त होंंगे। वहीं यदि सूर्य की महादशा चल रही हो तो रविवार के दिन जातकों को अच्छे फल मिलते हैं। वहीं अगर वह ग्रह निगेटिव स्थित है तो व्यक्ति को अशुभ फल की प्राप्ति होगी। साथ ही जीवन नीरस रहेगा। आइए जानते हैं सूर्य देव की महादशा में किन राशियों की चमकती है किस्मत…
कुंडली में सूर्य देव शुभ हों स्थित हो तब
सूर्य देव अगर जन्मकुंडली में सकारात्मक स्थित हों तो व्यक्ति को बेहद शुभ फल मिलते हैं। साथ ही व्यक्ति का आत्मविश्वास हाई रहता है। साथ ही समाज में खूब मान- सम्मान पाता हैऔर लोग उसकी बात मानते हैं। वहीं ऐसा व्यक्ति लोगों की मदद करने वाला होता है। साथ ही लोगों का मसीहा होता है। वहीं ज्योतिष में सूर्य ग्रह मेष राशि में उच्च के होते हैं। साथ ही यह अपनी मित्र राशियों में शुभ फल देते हैं। साथ ही अगर व्यक्ति सरकारी कार्यों से जुड़ा हुआ हो तो अच्छा लाभ होता है। साथ ही व्यक्ति के पिता के साथ संबंध अच्छे रहते हैं। वहीं आपने पैतृक व्यापार को आगे बढ़ाता है।
सूर्य देव कुंडली में निगेटिव हो विराजमान
सूर्य ग्रह अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में नकारात्मक विराजमान हो तो व्यक्ति थोड़ा गर्व से भरा हुआ होता है। साथ ही व्यक्ति के पिता के साथ अनबन रहती है। वहीं कुंडली में सूर्य देव, मंगल और राहु से पीड़ित होने पर व्यक्ति को हृदय और आंख से संबंधित रोग हो सकते हैं। जबकि गुरु से पीड़ित होने पर जातक को उच्च ब्लड प्रेशर की शिकायत होती है, वहीं व्यक्ति मोटापे से ग्रसित होता है। वहीं अगर कुंडली में शनि और राहु की युति हो तो ग्रहण दोष का निर्माण होता है। साथ ही ऐसे व्यक्ति के जीवन में कोई बड़ी दुर्घटना के योग बनते हैं।
