Sri Sri Ravi Shankar Tips For Inner Peace: दिन में कई बार ऐसा होता है, जब हमारा मन बेचैनी और चिंता से भर जाता है। ऐसे समय में किया गया कोई भी काम न तो लाभप्रद होता है, न ही सफल। कभी-कभी यह अवस्था हफ्तों और महीनों तक बनी रहती है। वर्तमान में हमारी जीवन शैली एक घातक कार्य-संस्कृति, तेज गति और अत्यधिक दबाव का शिकार हो गई है, जो हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाल रही है। इसके बावजूद स्कूलों में और न ही कॉलेजों में हमें यह सिखाया जाता है कि मन और भावनाओं को कैसे संभालें, तनाव में खुद को कैसे शांत करें, और मानसिक असंतुलन के समय भीतर संतुलन कैसे लाएं।
नई पीढ़ी में यह बेचैनी की भावना और भी अधिक है। वे बेहतर करने, अधिक सीखने, नवाचार लाने, आर्थिक अपेक्षाएं पूरी करने के अधिक से अधिक अवसरों की तलाश में रहते हैं। लेकिन सच यह है कि मन के शांत हुए बिना इन लक्ष्यों को पाना कठिन है। जब तक मन स्थिर नहीं होता, न रचनात्मकता संभव है, न अंतर्ज्ञान और न सीमित समय में दिया गया काम पूरा हो सकता है। अशांत मन से कोई नव सृजन नहीं होता।
हम जिन समस्याओं का सामना करते हैं, जिसमें शारीरिक रोग भी आते हैं, अक्सर मन से ही शुरू होते हैं। स्वस्थ मन ही स्वस्थ शरीर और मजबूत प्रतिरोधक क्षमता का आधार है। तो फिर हम इस मन को प्रशिक्षित कैसे करें? कैसे एक विचार को बढ़ते हुए मन को ढक लेने से रोकें? कैसे वर्तमान क्षण में लौटें, अधिक मुस्कुराएं और चुनौतियों से जल्दी उभर आएँ? यह सब मन को समझने और संभालने से आता है। मन का प्रशिक्षण हमें वह लगाम देता है, जिससे हम इसे इंद्रियों से वापस लौटा कर भीतर शांत स्थान में पहुंचा सकें।
एक ऐसी दुनिया में जहां गति बढ़ती ही जाती है, ध्यान मन के शोर को शांत करने और भीतर की शांति से जुड़ने का मार्ग देता है। यहां गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी के कुछ सबसे गहन अंतर्ज्ञान प्रस्तुत हैं, जो याद दिलाते हैं कि शांति कोई खोजने की चीज नहीं है। यह हमारे भीतर वह स्थान है, जहाँ हमें लौटना होता है।
गुरुदेव श्री श्री रविशंकर से जानें मानसिक शांति के लिए 11 उपाय
- जब बेचैनी शरीर व मन में इकट्ठी हो जाती है, ध्यान उसे पिघला देता है और विश्राम, जागरूकता और ऊर्जा से भर देता है।
- कुछ मिनटों का ध्यान पूरे दिन आपको शांत रख सकता है।
- जिस मन में कोई उद्वेग नहीं, वही ध्यान है।
- सच्चा विश्राम नींद में नहीं, बल्कि गहरे ध्यान में है, जब मन रिक्त और स्थिर हो जाता है।
- जब मन विश्राम करता है, बुद्धि अधिक तीक्ष्ण हो जाती है। शांत और संयत मन नीरस नहीं होता, बल्कि रचनात्मकता और गतिशीलता का स्रोत होता है।
- मौन में रहना और यह जानना कि ईश्वर सबका ध्यान रख रहे हैं, यही सर्वोत्तम प्रार्थना है। सर्वोत्तम प्रार्थना ध्यान ही है।
- ध्यान पूर्ण विश्राम है, अपनी मूल प्रकृति की शांति में लौट आना है।
- मन को शांत करने से अंतर्ज्ञान जागता है, मन वर्तमान क्षण में आता है और जीवन में संतुलन आता है।
- ध्यान में आप ध्वनि से निःशब्दता की ओर, गति से स्थिरता की ओर, सीमित पहचान से अपने भीतर की असीमितता की ओर बढ़ते हैं।
- ध्यान आत्मा का आहार है।
- ध्यान का उद्देश्य मन को उसके घर यानी आत्मा की विशालता में विश्राम कराने के लिए वापस लाना है।
21 दिसंबर, विश्व ध्यान दिवस’ के शुभ अवसर पर विश्व परिवार के संग ‘ध्यान समारोह’ में विश्व विख्यात मानवतावादी और आध्यात्मिक गुरु गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी के सान्निध्य में ध्यान मग्न हों, केवल गुरुदेव के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर जुड़ें।
नए साल में कर्मफल दाता शनि मीन राशि में मार्गी अवस्था में रहेंगे। ऐसे में कुछ राशि के जातकों पर शनि की अशुभ दृष्टि पड़ सकती है। ऐसे में इन 5 राशि के जातकों को सेहत, व्यापार से लेकर आर्थिक स्थिति के क्षेत्र में विशेष ख्याल रखने की जरूरत है। आइए जानते हैं शनि की घातक दृष्टि किन राशियों की बढ़ा सकती है मुश्किलें
