Solah Somwar Vrat: अगर आप मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति या अपने वैवाहिक जीवन में सुख-शांति की कामना करती हैं, तो 16 सोमवार का व्रत आपके लिए विशेष फलदायी हो सकता है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। वहीं, कुंआरी कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत करती हैं, जबकि विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, दांपत्य सुख और परिवार की समृद्धि के लिए इसे करती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि 16 सोमवार व्रत का संकल्प लेने का उत्तम महीना कौन सा होता है और इसकी पूजा विधि क्या है? ऐसे में आइए जानते हैं कि इस व्रत का संकल्प कब लें और क्या महत्व है और इसकी विधि क्या है।
सोलह सोमवार व्रत का संकल्प कब करें?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, 16 सोमवार व्रत का संकल्प लेने का सबसे उत्तम समय श्रावण मास माना जाता है। इस वर्ष 2025 में श्रावण मास की शुरुआत 11 जुलाई से हो रही है और यह 9 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान पहला सोमवार 14 जुलाई को पड़ेगा, जिसे 16 सोमवार व्रत आरंभ करने के लिए आदर्श दिन माना गया है। इस दिन से आप व्रत की शुरुआत करके लगातार 16 सोमवार तक इस उपवास को रख सकती हैं।
सोलह सोमवार व्रत विधि
व्रत की शुरुआत सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके करें। स्वच्छ कपड़े पहनकर पूजा स्थल को साफ करें और वहां गंगाजल का छिड़काव करें। फिर शिवलिंग को पहले गंगाजल, फिर दूध से स्नान कराएं। उसके बाद शुद्ध जल से धोकर शिवलिंग को बेलपत्र, धतूरा, सफेद पुष्प, भस्म, मिठाई और गाय का दूध अर्पित करें। इसके बाद ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का 108 बार जाप करें या शिव जी के 108 नामों का स्मरण करें। फिर शिव चालीसा का पाठ करें और अंत में शिव आरती के साथ पूजा संपन्न करें। पूजा के अंत में भगवान शिव से अपने और परिवार की सुख-शांति, समृद्धि और संतान सुख की प्रार्थना करें।
सावन मास में क्यों है यह व्रत विशेष?
श्रावण मास भगवान शिव को अत्यंत प्रिय होता है। मान्यता है कि इस माह में की गई भक्ति, उपवास, दान और ध्यान का विशेष फल मिलता है। 16 सोमवार व्रत सावन में आरंभ करने से व्यक्ति को न सिर्फ सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है, बल्कि आत्मिक शुद्धि भी होती है। पूर्व जन्मों के पापों का नाश होता है और मानसिक-आध्यात्मिक शांति मिलती है। कहा जाता है कि इस व्रत को पूरी श्रद्धा और विधि से करने पर मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है।
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