Janaki Jayanti 2025: हिंदू धर्म में सीता नवमी का विशेष महत्व है। ग्रथों के अनुसार इस दिन माता सीता का प्राकट्य हुआ था। इसलिए इस तिथि को सीता नवमी या जानकी जयंती के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि आज के दिन व्रत रखकर विधि विधान के साथ भगवान राम और माता सीता की पूजा अर्चना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही कष्टों से मुक्ति मिलती है। यह विवाहित महिलायों के लिए एक विशेष दिन होता है जो अपने पति की भलाई और दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं और विशेष प्रार्थना करती हैं। वहीं वैदिक पंचांग के अनुसार आज 5 मई को सीता नवमी है। साथ ही आज रवि योग का निर्माण भी हो रहा है, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। आइए जानते हैं पूजा का शुभ मुहूर्त, आरती और व्रत कथा…
सीता नवमी शुभ मुहूर्त (Sita Navami 2025 Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार सीता नवमी का शुभ मुहूर्त 5 मई 2025 यानी आज सुबह 7 बजकर 34 मिनट से आरंभ होगा और तिथि का समापन 6 मई 2025 यानी कल सुबह 8 बजकर 39 मिनट पर समाप्त होगा। आज सीता नवमी पर रवि योग का भी निर्माण हो रहा है।
सीता नवमी की व्रत कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार मिथिला के राजा जनक के यहां भयंकर सूखा पड़ गया था। अपनी प्रजा की परेशानी देखकर राजा काफी परेशान हो गए थे। उन्होंने इस समस्या का हल निकालने के लिए ऋषियों को दरबार में बुलाया और इस समस्या के समाधान के बारे में जानना चाहा। ऋषियों ने इस समस्या का हल निकालकर राजा जनक से कहा कि अगर महाराज खुद हल चलाकर खेत को जोतते हैं तो उससे भगवान इंद्र की कृपा प्राप्त होगी। जिससे इस अकाल से मुक्ति मिल जाएगी। अपने राज्य की भलाई के लिए राजा जनक ने ऋषियों की यह सलाह मानकर हल चलाने का निर्णय लिया।
राजा ने हल चलाना शुरु कर दिया। हल चलाते चलाते उनकी अचानक से किसी धातु से टक्कर हुई जिस कारण उनका हल वहीं रूक गया। तमाम कोशिशों के बाद भी हल उस जगह से नहीं निकल पाया। तब राजा जनक ने उस जगह की खुदाई करवाने का निर्णय लिया। जमीन की खुदाई के दौरान सैनिकों ने वहां एक कलश देखा। जिसमें एक सुंदर सी कन्या थी। राजा जनक की कोई संतान नहीं होने के कारण उन्होंने इस कन्या को अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार कर लिया। कहा जाता है उसी दौरान मिथिला में जोर की बारिश हुई और राज्य का अकाल दूर हो गया। जिस समय राजा जनक को माता सीता मिली थी उसी समय को माता का जन्म का दिन मान लिया गया।
सीता माता की आरती
आरती श्री जनक दुलारी की ।
सीता जी रघुवर प्यारी की ॥
जगत जननी जग की विस्तारिणी,
नित्य सत्य साकेत विहारिणी,
परम दयामयी दिनोधारिणी,
सीता मैया भक्तन हितकारी की ॥
आरती श्री जनक दुलारी की ।
सीता जी रघुवर प्यारी की ॥
सती श्रोमणि पति हित कारिणी,
पति सेवा वित्त वन वन चारिणी,
पति हित पति वियोग स्वीकारिणी,
त्याग धर्म मूर्ति धरी की ॥
आरती श्री जनक दुलारी की ।
सीता जी रघुवर प्यारी की ॥
विमल कीर्ति सब लोकन छाई,
नाम लेत पवन मति आई,
सुमीरात काटत कष्ट दुख दाई,
शरणागत जन भय हरी की ॥
आरती श्री जनक दुलारी की ।
सीता जी रघुवर प्यारी की ॥