Shukra Pradosh Vrat Puja Vidhi And Shubh Muhurt: शास्त्रों में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं और भगवान शिव की पूजा- अर्चना करते हैं। साथ ही मान्यता है कि भगवान शिव प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। आपको बता दें आश्विन माह का प्रदोष व्रत शुक्रवार के दिन पड़ रहा है, इसलिए यह शुक्र प्रदोष व्रत है। इस दिन पूजा करने से भौतिक सुख, धन और वैभव की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त और पूजा- विधि…
जानिए प्रदोष व्रत की तिथि
वैदिक पंचांग के मुताबिक आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 23 सितंबर को रात 01 बजकर 16 मिनट पर शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन अगले दिन 24 सितंबर शनिवार रात 02 बजकर 31 मिनट पर हो रहा है। वहीं उदयातिथि और प्रदोष पूजा मुहूर्त के आधार पर शुक्र प्रदोष व्रत 23 सितंबर को रखा जाएगा। आपको बता दें कि प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में ही शुभ फलदायी साबित होती है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार 23 सितंबर को शुक्र प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ समय शाम को 06 बजकर 16 मिनट से रात 08 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। जो लोग 23 सितंबर को व्रत रखेंगे, उनको भगवान शिव की पूजा के लिए 02 घंटे से अधिक का समय मिलेगा। आपको बता दें कि वहीं उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके भगवान शंकर का पूजन करना चाहिए।
बन रहे हैं 2 शुभ योग
ज्योतिष पंचांग के अनुसार इस दिन सिद्ध और साध्य योग दोनों शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन सिद्ध योग सुबह से लेकर सुबह 09 बजकर 57 मिनट तक रहेगा। वहीं उसके बाद से साध्य योग शुरू हो जाएगा, जो अगले दिन सुबह 09 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। ज्योतिष शास्त्र में इन दोनों योगों को बहुत शुभ माना जाता है। साथ ही इन योगों में पूजा करने का दोगुना फल प्राप्त होता है। शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत को रखने से दो गायों को दान देने के समान पुन्य फल प्राप्त होता है। शुक्रवार के दिन होने वाला प्रदोष व्रत सौभाग्य और वैवाहिक जीवन में सुख-शान्ति देने वाला होता है।